Friday, September 13, 2024
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हरियाणा कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर भूपेंद्र हु्ड्डा गुट ने मारी बाजी/ कुमारी शैलजा अपने सिर्फ 9 समर्थकों को दिलवा पाई टिकट!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर भूपेंद्र हु्ड्डा गुट ने मारी बाजी/ कुमारी शैलजा अपने सिर्फ 9 समर्थकों को दिलवा पाई टिकट!*
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चंडीगड़ ;- 2024 विधानसभा चुनाव में हरियाणा की सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। टिकट कटने से नेताओं ने दलबदल भी किया। टिकटों को लेकर सबसे ज्यादा घमासान bjp और कांग्रेस में दिखा। कांग्रेस में अब सर्वत्र चर्चा है कि टिकट बंटवारे में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट का प्रभाव ज्यादा रहा यानी कि हुड्डा गुट के लोगो को ज्यादा टिकट मिली। कुमारी शैलजा को कुछ सीटो पर ही सब्र पड़ा। सूत्रों की मानें तो हुड्डा के कहने पर पार्टी ने 72 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. वहीं, कुमारी सैलजा के कहने पर पार्टी ने 9 प्रत्याशियों को टिकट दिया है। वहीं, रणदीप सुरजेवाला गुट के कहने पर पार्टी ने 2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसके साथ ही कांग्रेस नेतृत्व की सिफारिश पर 5 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। अजय यादव के कहने पर 1 प्रत्याशी को उतारा गया है. जबकि गठबंधन में कांग्रेस ने एक टिकट CPIM को दिया।
*कुमारी सैलजा के समर्थको को टिकट!*

पंचकुला

जगाधरी

अंबाला कैंट

नारायणगढ़

सढौरा

असंध

हिसार

कालका ,
सूत्रों के मुताबिक तिगांव और बल्लभगढ़ विधानसभा सीट को लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उम्मीदवारों के नाम सजेस्ट नहीं किए थे. सियासी गलियारों में अक्सर इस बात की चर्चा होती है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अंदरुनी कलह से भी जूझ रही है. पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा के बीच टकराव की स्थिति लगातार चर्चा का विषय रही है। बहरहाल कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उससे ये झलक रहा रहा है कि हुड्डा परिवार का रूतबा अभी भी पार्टी में बरकरार है. कुमारी सैलजा विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन पार्टी ने किसी भी मौजूदा सांसद को टिकट नहीं दिया। शैलजा कई मौके पर खुद को सीएम पद के लिए दावेदार भी बता चुकी हैं। शैलजा और दीपेंद्र हुड्डा के अलग-अलग प्रचार अभियान पर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। अब देखना यह है कि हुड्डा और शैलजा दल के कितने कितने उम्मीदवार जीत कर आते हैं।

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