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*हरियाणा सरकार ने नो लिटिगेशन पॉलिसी 2023 को दी मंजूरी, गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सेहरावां गांवों की राजस्व संपत्ति में मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के लिए जारी की गई नीति*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*हरियाणा सरकार ने नो लिटिगेशन पॉलिसी 2023 को दी मंजूरी, गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सेहरावां गांवों की राजस्व संपत्ति में मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के लिए जारी की गई नीति*
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चंडीगढ़ ;- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सेहरावां गांवों की राजस्व संपदा में मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के लिए नो लिटिगेशन पॉलिसी-2023 को मंजूरी प्रदान की गई। मुख्यमंत्री ने 9 अगस्त, 2022 को विधानसभा में इस विषय के समाधान को लेकर आश्वसत किया था।
इस नीति का उद्देश्य विकास को तेजी से आगे बढ़ाना और भूमि मालिकों को विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाना है। साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उचित लाभ मिले। जो भूमि मालिक नो लिटिगेशन पॉलिसी 2023 के तहत विकल्प नहीं चुनते हैं, वे भूमि मालिकों के लिए पुनर्वास और पुनर्स्थापन और भूमि अधिग्रहण विस्थापित नीति (आर एंड आर) के तहत लाभ के लिए पात्र होंगे।
राज्य सरकार ने मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के विकास के उद्देश्य से 10 जनवरी, 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत जिला गुरुग्राम की मानेसर तहसील के गांवों कासन, कुकरोला और सेहरावां में लगभग 1810 एकड़ जमीन को अधिसूचित किया था। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल, 2011 के आदेश के तहत उपर्युक्त अधिग्रहण कार्यवाही पर रोक लगा दी। न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया और उसके बाद उक्त भूमि को 17 अगस्त, 2020 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया और बाद में 8 अगस्त, 2022 को अवार्ड की घोषणा की गई थी।
2011 में शुरू किए गए अधिग्रहणों पर भूमि मालिकों के बीच असंतोष था। इस मुद्दे को लेकर प्रभावित भूमि मालिकों के साथ कई बैठकें आयोजित की गईं, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि इस तरह की देरी के कारण, 16 अगस्त, 2022 को स्टे हटने के बाद 10 जनवरी 2011 की अधिसूचना के समय कलेक्टर दर के आधार पर मुआवजा राशि निर्धारित की गई। 9 अगस्त, 2022 को हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया था कि विस्थापित भूमि मालिकों का उचित पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए इस अधिग्रहण की कार्यवाही के लिए पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीति 2010 को संशोधित किया जाएगा। उसी के अनुसरण में, अब उन भूस्वामियों के पुनर्वास के लिए एक विशिष्ट नीति तैयार की गई है, जिनकी भूमि 16 अगस्त 2022 के अवार्ड संख्या 1, 2 और 3 के तहत क्रमशः कसान, कुकरोला और सेहरावां गांवों के लिए 1758 एकड़ क्षेत्रफल के लिए अधिग्रहित की गई।
इस नीति का लाभ उन भूमि मालिकों के लिए लागू होगा जिनकी भूमि को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत अनिवार्य अधिग्रहण के लिए 10 जनवरी, 2011 को अधिसूचित किया गया था, जिनकी भूमि के संबंध में अधिनियम की धारा 9 के तहत अवार्ड संख्या 1,2 और 3 दिनांक 16 अगस्त, 2022 के माध्यम से क्रमशः कसान, कुकरोला और सेहरावां गांवों के लिए मुआवजा घोषित किया गया था। यदि वे मानेसर के तहसीलदार सह कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा विधिवत सत्यापित निर्धारित प्रारूप में एक अंडरटेकिंग प्रस्तुत करते हैं तो पॉलिसी बेहतर लाभ प्राप्त करने का विकल्प प्रदान करती है।
योजना का लाभ नो लिटिगेशन पॉलिसी-2023 समानुपातिक आधार पर एक एकड़ भूमि के बदले 1000 वर्गमीटर विकसित भूमि/भूखंड की पात्रता की अनुमति देती है। किसानों/भूमि मालिकों को इसकी अधिसूचना और पोर्टल के लॉन्च से 6 महीने की अवधि के भीतर योजना का विकल्प चुनने का अधिकार होगा।
भूमि मालिकों को तत्काल लाभ सुनिश्चित करने के लिए, एचएसआईआईडीसी योजना के बंद होने से 3 महीने की अवधि के भीतर भूमि मालिकों के आवंटन हिस्से के आधार पर आवासीय या औद्योगिक क्षेत्र को विकसित करने का आश्वसन देते हुए भूमि पात्रता प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।
भूमि मालिकों या भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को भूमि पात्रता प्रमाण पत्र का व्यापार करने, खरीदने या बेचने की स्वतंत्रता होगी। इसका तात्पर्य यह है कि भूमि मालिक खुले बाजार में प्रमाणपत्र का मुद्रीकरण कर सकता है या एचएसआईआईडीसी को वापस बेच सकता है।
इस प्रमाणपत्र को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में स्थानांतरित या गिरवी रखा जा सकता है। आवंटित की जाने वाली साइट के संबंध में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को पोजेशन के साथ एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित भूखंडों की पेशकश की जाएगी। भूमि पात्रता प्रमाण पत्र के अनुसार, पॉलिसी किसी भी उपयोग यानी औद्योगिक और आवासीय के लिए भूखंड के आवंटन का आश्वासन देती है। भूमि मालिक अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड लेने के विकल्प का प्रयोग करने के पात्र होंगे। विकसित आवासीय भूखंडों या औद्योगिक भूखंडों जैसा भी मामला हो, के लिए पात्र भूमि मालिकों को एचएसआईआईडीसी द्वारा पहले फ्लोटेशन के समय निर्धारित आरक्षित मूल्य के बराबर आवंटन मूल्य पर भूखंड की पेशकश की जाएगी। एचएसआईआईडीसी द्वारा ऑफर किए जाने वाले प्लॉट का आकार मानक आकार का होगा यानी विकसित आवासीय उपयोग के लिए 100 वर्गमीटर और 150 वर्गमीटर के प्लॉट तथा विकसित औद्योगिक उपयोग के लिए 450 वर्गमीटर का प्लॉट।
ऐसे मामले में आवासीय भूखंडों का आवंटन सुनिश्चित किया जाएगा जहां अपरिहार्य कारणों से स्व-कब्जे वाले आवासीय का अधिग्रहण किया गया था। इस श्रेणी के तहत, सरकार द्वारा अधिग्रहित स्व-कब्जे वाली आवासीय संरचना/घरों के मालिक, जो 10 जनवरी, 2011 को अधिसूचित भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 के तहत अधिसूचना पर या उससे पहले अस्तित्व में थे, उन्हें प्रस्तावित आवंटन हिस्सेदारी के अलावा अतिरिक्त आवासीय भूखंड के आवंटन का आश्वासन दिया जाएगा।
भूमि मालिक 33 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किए जा रहे वार्षिकी भुगतान का लाभ उठाने का भी हकदार होगा। वार्षिकी भुगतान (एन्युटी पेमेंट) 33 वर्ष की अवधि के लिए 21,000 प्रति एकड़ प्रति वर्ष होगा। इस वार्षिकी राशि में हर साल 750 रुपये की एक निश्चित राशि से वृद्धि की जाएगी।
*भूमि पात्रता प्रमाणपत्र के बाय बैक का प्रावधान*
नीति को अधिक स्वीकार्य बनाने और लैंड पूलिंग पॉलिसी 2022 की तर्ज पर भूमि मालिक/भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारक एचएसआईआईडीसी से वैध भूमि पात्रता प्रमाण पत्र वापस खरीदने का अनुरोध कर सकते हैं। नीति को अधिक स्वीकार्य बनाने और लैंड पूलिंग पॉलिसी 2022 की तर्ज पर किसानों को लाभान्वित करने के लिए भूमि मालिक/भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारक एचएसआईआईडीसी से भूमि पात्रता प्रमाण पत्र को 35,400 रुपये प्रति वर्ग मीटर की कीमत पर वापस खरीदने का अनुरोध कर सकते हैं, यदि वह वार्षिकी भुगतान प्रोत्साहन का लाभ नहीं उठाता है। यदि भूमि मालिक/भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारक वार्षिकी भुगतान प्रोत्साहन का लाभ उठाता है तो बाय बैक का मूल्य 35,100 रुपये प्रति वर्गमीटर होगा।

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