Thursday, September 12, 2024
Latest:
करनालकुरुक्षेत्रचंडीगढ़जिंददेश-विदेशपंचकुलापंजाबपानीपतहरियाणा

मुख्यमंत्री खट्टर की राजनीतिक प्रतिष्ठा लगी दांव पर, कुरूक्षेत्र और करनाल की सीट जीताने की है नैतिक जिम्मेदारी*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज़,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुख्यमंत्री खट्टर की राजनीतिक प्रतिष्ठा लगी दांव पर, कुरूक्षेत्र और करनाल की सीट जीताने की है नैतिक जिम्मेदारी*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ़ ;- वैसे तो प्रदेश के चुनाव में हार जीत का सेहरा पार्टी के मुखिया के सिर पर ही बंधता है। परंतु यदि सत्तारूढ़ पार्टी की सरकार हो तो उसकी हार जीत का श्रेय विशेष तौर पर मुख्यमंत्री को ही जाता है। क्योंकि चुनावों में ही मुख्यमंत्री और उसकी सरकार के कार्यो की समीक्षा होती है। मतदाता मुख्यमंत्री द्वारा किए गए कार्यों पर ही मोहर लगाता है। हरियाणा के लोकसभा चुनाव में मानो प्रदेश के मुख्यमन्त्री मनोहर लाल की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है। मुख्यमंत्री के अपने प्रत्याशियों की जीत मुख्यमंत्री का राजनैतिक भविष्य तय करेंगी। प्रदेश के वर्तमान में भाजपा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दो खास प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इन दोनों को टिकट मुख्यमंत्री के दबाव पर ही मिली है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल के बहुत विश्वसनीय और करीबी माने जाने वाले राज्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भाजपा ने कुरूक्षेत्र से अपना प्रत्याशी बनाया है।

नायब सैनी मुख्यमंत्री की ही पसंद का प्रत्याशी हैं। हमारी जानकारी के मुख्यमंत्री की सिफारिश पर ही उनको टिकट दी गई है। कुरूक्षेत्र में भाजपा का बड़ा प्रभाव नहीं रहा। 2014 के हुए चुनाव में मोदी लहर के चलते राजकुमार सैनी भाजपा की टिकट से विजयी हुए थे। राजकुमार सैनी को उस समय 418112 वोट मिले थे। उन्होने इनेलो के बलबीर सिंह सैनी को 129736 वोटो से हराया था। लेकिन उसके पश्चात उन्होने पार्टी लाईन से अलग अपना रास्ता चुन लिया। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान वे अपने गैर-जाट वर्ग के समर्थन में ब्यानों को लेकर जाट समुदाय के निशाने पर आ गए। इस बार चुनाव में राजकुमार सैनी भाजपा प्रत्याशी के लिए बड़ी चुनौती हैं। लेकिन भाजपा प्रत्याशी नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आशीर्वाद प्राप्त है। नायब सिंह सैनी की जीत मनोहर लाल के लिए राजनैतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल के लिए उनके अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल से प्रत्याशी संजय भाटिया की जीत भी राजनैतिक रूप से बड़े मायने रखती है। यंहा से भी वर्तमान में भाजपा के अश्वनी चोपड़ा सिटिंग सांसद हैं। उन्होने पिछले चुनाव में कांग्रेस क अरविंद शर्मा को 360147 वोटों से हराया था। चोपड़ा को 594817 वोट मिले थे। लेकिन पांच साल में वें अपने चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं को अपने काम से संतुष्ठ नहीं कर पाए। इसी बीच राजनैतिक हितों को लेकर चोपड़ा की मुख्यमंत्री से अनबन भी हो गई थी। वें इस बार अपनी पत्नी के लिए टिकट चाह रहे थे। क्योकि वें खुद पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने प्रभाव का प्रयोग कर अपने चहेते एंव पार्टी के महासचिव संजय भाटिया को टिकट दिलवा दी। अब एक तो मुख्यमंत्री ने अप्रोच कर भाटिया को टिकट दिलवाई है और दूसरे करनाल उनका अपना विधानसभा क्षेत्र है, तो ऐसे में उन पर बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। मुख्यमंत्री की पूरी कौशिश रहेगी कि वें अपने दोनो प्रत्याशियों को हर हाल में जीतवाएं। लेकिन विपक्ष भी इन दोनों सीटों पर अपनी पूरी नजरें लगाए हुए हैं। ताकि किसी भी तरह इन दोनों उम्मीदवारों को हराया जा सके औऱ मुख्यमंत्री खट्टर के राजनीति कद को कमजोर व नीचा किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!