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एक हो सकते हैं चाचा-भतीजा?/ आनन-फानन में कांग्रेस और उद्धव सेना क्यों हुए एकजुट/ क्या MVA में पड़ गई फूट!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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एक हो सकते हैं चाचा-भतीजा?/ आनन-फानन में कांग्रेस और उद्धव सेना क्यों हुए एकजुट/ क्या MVA में पड़ गई फूट!*
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मुंबई ;- पुणे नगर निगम (PMC) चुनाव से पहले महा विकास आघाड़ी (MVA) में बड़ी फूट सामने आती दिख रही है। खबर है कि एनसीपी के दोनों गुट यानी चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार की एनसीपी पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ महानगर पालिका चुनाव के लिए एक साथ साथ आ सकते हैं। इंडिया टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक,पुणे महानगरपालिका चुनाव को लेकर दोनों पार्टियों के बीच गुरुवार को सीट शेयरिंग पर बात भी हुई है। पता चला है कि शरद पवार की पार्टी ने 40 से 45 सीटें मांगी हैं जबकि अजित पवार की NCP 30 सीटें देने को तैयार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीटों पर आखिरी फैसला अजित पवार और सुप्रिया सुले करेंगी। इस तरह MVA में स्थानीय स्तर पर एक तरह से टूट हो गई है। इस स्थिति को देखते हुए MVA के दो घटक दलों यानी कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) ने आनन-फानन में एक-दूसरे के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सूत्रों के हवाले से इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 जनवरी को होने वाले पुणे महानगरपालिका चुनाव के लिए दोनों दलों के बीच गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस ने शिवसेना (UBT) को औपचारिक प्रस्ताव भेजा है। माना जा रहा है कि सीटों के बंटवारे पर बातचीत शुक्रवार को फाइनल होने वाली है। पुणे नगर निगम में कुल 41 वार्ड और 165 पार्षद सीटें हैं, जिन पर दोनों दलों के बीच समझौता होना है।
MNS को भी मिल सकती हैं कुछ सीटें
सूत्रों का कहना है कि इस गठबंधन में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) को भी कुछ सीटें दी जा सकती हैं। पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने MNS के साथ गठबंधन की संभावना भी टटोली थी। ऐसे में कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और MNS के साथ आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं ने साफ कर दिया है कि पार्टी अजित पवार गुट के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उनका कहना है कि ऐसा गठबंधन पार्टी के लंबे समय के हित में नहीं होगा। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही अजित पवार ने कांग्रेस नेता को फोन कर पुणे में गठबंधन का ऑफर दिया था लेकिन कांग्रेस ने अजित पवार से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया।

*कांग्रेस 2017 वाली गलती को दोहराना नहीं चाहती*
कांग्रेस नेताओं ने 2017 के PMC चुनाव का हवाला दिया, जब कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था और 85 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बावजूद सिर्फ 10 सीटें जीत पाई थी।इस बार कांग्रेस उस गलती को दोहराना नहीं चाहती और मजबूत गठबंधन के जरिए चुनाव मैदान में उतरना चाहती है। हालांकि विपक्ष के सामने चुनौती भी है। हाल ही में बीजेपी ने अलग-अलग दलों के 22 पूर्व पार्षदों और पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल कर लिया है, जिससे कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को नए उम्मीदवार तलाशने पड़ रहे हैं।

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