*हरियाणा की तरह ही चंडीगढ़ में भी प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के साथ ही दर्ज होगा ऑटोमैटिक म्यूटेशन/तहसील व जिला उपायुक्त कार्यालय के नही काटने होंगे चक्कर*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*हरियाणा की तरह ही चंडीगढ़ में भी प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के साथ ही दर्ज होगा ऑटोमैटिक म्यूटेशन/तहसील व जिला उपायुक्त कार्यालय के नही काटने होंगे चक्कर*
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चंडीगढ़ (रमेश गोयत) ;- चंडीगढ़ प्रशासन ने नागरिकों की सुविधा और प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक और बड़ा डिजिटल सुधार करते हुए प्रॉपर्टी रजिस्ट्री के साथ ही ऑटोमैटिक म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) की व्यवस्था शुरू कर दी है। यह व्यवस्था हरियाणा सरकार की तर्ज पर बनाई गई है और अब चंडीगढ़ में संपत्ति का रजिस्ट्रेशन होते ही उसका मालिकाना हक अपने-आप रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगा। अब म्यूटेशन दर्ज करवाने के लिए तहसील व जिला उपायुक्त कार्यालय के चक्कर नही काटने होंगे।
यूटी एस्टेट ऑफिसर निशांत कुमार यादव (आईएएस) ने इस पहल की पुष्टि करते हुए बताया कि यह सिस्टम एस्टेट ऑफिस के अंतर्गत आने वाली सभी अचल संपत्तियों — चाहे वे फ्रीहोल्ड हों या लीजहोल्ड, उन पर लागू होगा। इसके तहत रजिस्टर्ड डीड के आधार पर म्यूटेशन की प्रक्रिया अब स्वत: ही आरंभ हो जाएगी।
क्या है ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम?
अब तक चंडीगढ़ में किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होने के बाद मालिक को अलग से म्यूटेशन के लिए एस्टेट ऑफिस में आवेदन देना पड़ता था, जिसमें कई बार महीनों का समय लग जाता था। अब यह स्वचालित (ऑटोमेटिक) प्रक्रिया होगी, जिसमें संपत्ति के पंजीकरण के साथ ही स्वामित्व रिकॉर्ड अपडेट हो जाएगा।
सिस्टम की मुख्य विशेषताएं:
कोई अलग आवेदन की आवश्यकता नहीं:
संपत्ति की रजिस्ट्री होते ही म्यूटेशन प्रक्रिया अपने आप शुरू हो जाएगी।
रीयल टाइम डेटा इंटीग्रेशन:
उप-पंजीयक कार्यालय और एस्टेट ऑफिस के बीच डिजिटल माध्यम से डेटा का त्वरित और सुरक्षित आदान-प्रदान होगा।
डिजिटल वर्कफ्लो मॉनिटरिंग:
प्रक्रिया के हर चरण को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ट्रैक किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
नागरिकों को होंगे ये लाभ:
म्यूटेशन के लिए बार-बार कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
दस्तावेज़ों की दोबारा फाइलिंग की जरूरत नहीं होगी।
पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया से भ्रष्टाचार की संभावनाएं होंगी कम।
नागरिकों को स्वचालित पावती और स्थिति की जानकारी डिजिटल माध्यम से मिलती रहेगी।
एस्टेट ऑफिसर निशांत यादव ने क्या कहा?
“यह ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम चंडीगढ़ में ई-गवर्नेंस की दिशा में एक अहम सुधार है। हमारा लक्ष्य यह है कि नागरिकों को न्यूनतम प्रयास में अधिकतम सुविधाएं मिलें। अब संपत्ति के ट्रांसफर को लेकर अनावश्यक देरी या फॉलोअप की जरूरत नहीं होगी। पूरी प्रक्रिया अब समयबद्ध, पारदर्शी और जवाबदेह है।”
पुराने मामलों में क्या होगा?
इस व्यवस्था का लाभ नई रजिस्ट्री पर तुरंत लागू होगा। जबकि पुराने या लंबित मामलों में मैनुअल म्यूटेशन प्रक्रिया पहले की तरह चलती रहेगी। प्रशासन का लक्ष्य है कि भविष्य में पूरी व्यवस्था को डिजिटल रूप से एकीकृत किया जाए।
*डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में चंडीगढ़ का बड़ा कदम*
चंडीगढ़ प्रशासन ने हाल के वर्षों में कई डिजिटल सुधारों को लागू किया है। इस ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम को ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के तहत एक मजबूत पहल माना जा रहा है। यह न केवल नागरिकों को राहत देगा बल्कि संपत्ति रिकॉर्ड की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को भी मजबूती देगा।
चंडीगढ़ में संपत्ति खरीदने वाले अब केवल एक बार रजिस्ट्री करवा कर ही मालिकाना हक प्राप्त कर सकेंगे। न आवेदन, न चक्कर – सिर्फ पारदर्शी, सरल और डिजिटल व्यवस्था। यह सिस्टम आने वाले दिनों में अचल संपत्ति के लेन-देन को और अधिक आसान बना देगा।

