Monday, December 23, 2024
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*भारतीय न्यूज तथा राष्ट्रीय खोज टीम की ग्राउंड रिपोर्ट अनुसार अधिकतर सीटो पर कांग्रेस का बोलबाला!/ नायब सरकार के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी का माहौल!/ चुनाव में भाजपा के कई दिग्गजो को देखना पड़ सकता है हार का मुंह!*

*राणा ओबराय*
*राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,*
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*भारतीय न्यूज तथा राष्ट्रीय खोज टीम की ग्राउंड रिपोर्ट अनुसार अधिकतर सीटो पर कांग्रेस का बोलबाला!/ नायब सरकार के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी का माहौल!/ चुनाव में भाजपा के कई दिग्गज मंत्रियों को देखना पड़ सकता है हार का मुंह!*
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चंडीगड़ :- हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार गुरुवार शाम समाप्त हो गया था। सभी 90 सीटों पर शनिवार को वोट डाले जाएंगे। मतों की गणना का कार्य 8 तारीख को होगा। भारतीय न्यूज तथा राष्ट्रीय खोज की टीमें हरियाणा विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही ग्राउंड लेवल पर लगातार सक्रिय रही है। हमारी टीम ने तमाम जगहों पर पहुंचकर मतदाताओं के राय को समझने की कोशिश की।
*हरियाणा में क्या रहेगा माहौल?*
हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी सबसे बड़ा फैक्टर है। कई जगहों पर भाजपा की बेहतर हालत देखने को मिल रही है। कुछ सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में लहर देखने को मिल रही है। खासकर रोहतक और झज्जर के इलाके जिसे भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। लोगों में भारतीय जनता पार्टी और वहां की सरकार में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। इस चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से अधिक बीजेपी सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश है।
*हरियाणा में क्या हैं सबसे अहम मुद्दे?*
इस चुनाव में बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा है। विधायकों के प्रति लोगों में बेहद आक्रोश देखने को मिल रहे हैं।
हरियाणा में इस चुनाव में नशा भी एक अहम मुद्दा रहेगा।
प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ इस वक्त भारी एंटी इनकंबेंसी देखने को मिल रही है।
*प्रदेश के मतदाता स्थानीय नेताओं से ज्यादा नाराज*
जातिगत समीकरण भी कई जगहों पर बेहद प्रभावी हैं।
अग्निवीर का मुद्दा भी कई सीटों पर लोग मुखरता के साथ उठा रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी के बीच अधिकतर सीटों पर सीधा मुकाबला है। मतदाताओं का कहना है कि नेता न तो बदली करवा सकते हैं और न ही नोकरी दिलवा सकते है। ऐसी नेताओं को दुबारा बनाने का कोई फायदा नही।
*बीजेपी और कांग्रेस दोनों बागियों से परेशान*
सबसे बड़ा झटका भाजपा और कांग्रेस को उनके बागी नेताओं से मिल रहा है। इन दोनों प्रमुख दलों से बगावत कर करीब दर्जनों नेता मैदान में उतर गए हैं। जिससे चुनावी समीकरण गड़बड़ा गए हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के शीर्ष नेतृत्व ने बागी नेताओं को मनाने की भरपूर कोशिश की। हाईकमान ने व्यक्तिगत स्तर पर बातचीत से लेकर राजनीतिक दबाव तक सब कुछ आजमाया, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद बागी नेताओं ने अपना नाम वापस नहीं लिया। ये नेता अब अपनी ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। जिससे पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशियों की जीत की राह मुश्किल हो गई है।
हरियाणा के चुनावी मैदान में बागियों की मौजूदगी ने समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है। दोनों ही दलों को अपने ही नेताओं से चुनौती मिल रही है। भाजपा और कांग्रेस के बागी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत जनाधार रखते हैं और इनकी लोकप्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये बागी किस तरह से चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं।
*कांग्रेस की सरकार बनने के आसार!*
प्रदेश में जिस तरह से मतदाता सरकार से नाराज दिखाई दे रहे हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि शायद हरियाणा में कांग्रेस की सरकार न बन जाए!

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