वकील मनु सिंघवी का दावा- CM केजरीवाल शराब नीति की फाइल के अलावा सभी फाइलो पर कर सकते हैं हस्ताक्षर!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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वकील मनु सिंघवी का दावा- CM केजरीवाल शराब नीति की फाइल के अलावा सभी फाइलो पर कर सकते हैं हस्ताक्षर!*
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कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आ गए हैं। शुक्रवार शाम भारी बारिश के बीच आम आदमी पार्टी के कई नेताओं और आप कार्यकर्ताओं ने तिहाड़ जेल के बाहर केजरीवाल का दिल खोलकर स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत तो दी है लेकिन उसके साथ कुछ शर्ते भी लगाई हैं। यह वहीं शर्तें हैं जो 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के मामले में केजरीवाल को जमानत देते वक्त लगाई थीं।
हालांकि इस मामले में उनके वकील और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने एक बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि शराब नीति के मामलों से जुड़ी फाइलों को छोड़कर केजरीवाल बाकी सभी फाइलों पर साइन कर सकते हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और निर्वाचित सरकार या राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई भी शक्ति इस स्थिति को नहीं बदल सकती। इस बात पर जोर देते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कोई नई शर्त नहीं लगाई है, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, वह शराब नीति से जुड़ी फाइलों को छोड़कर बाकी सभी फाइलों पर साइन कर सकते है।
*’सभी फाइलों पर साइन करने के हकदार केजरीवाल’*
उन्होंने कहा, यह कहना गलत है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकते। यह शर्ते ईडी मामले में कई महीनों से मौजूद हैं। एक भी नई शर्त नहीं रखी गई है। वह इस मामले से संबंधित फाइलों को छोड़कर सभी फाइलों पर साइन करने के हकदार है।
सिंघवी ने आगे दावा किया कि दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय ने अनुचित और गलत तरीके से, उन मामलों पर गौर करना बंद कर दिया था जिनमें केजरीवाल के साइन नहीं हो पाते थे। सुप्रीम कोर्ट के स्पेसिफिक क्लॉज के बाद अऱविंद केजरीवाल उन फाइलों पर भी साइन कर सकते हैं जो उपराज्यपाल के पास जानी हैं और जिन पर उनके साइन जरूरी है।सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल पर वह सभी शर्तें लागू होंगी जो ईडी के मामले 10 मई के आदेश में दी गई थीं। वहीं 10 मई के आदेश में कोर्ट ने कहा था कि वह किसी भी फाइल पर तक साइन नहीं कर सकते, जब तक वह जरूरी ना हो और जिस पर उपराज्यपाल के पास जाने के लिए उनके क्लियरेंस की जरूरत ना हो।