Sunday, December 22, 2024
Latest:
करनालखेलचंडीगढ़जिंददेश-विदेशपंचकुलापंजाबपानीपतराज्यहरियाणा

असिस्टेंट इंजीनियर की भर्ती प्रक्रिया को लेकर सवालों के घेरे में हरियाणा लोक सेवा आयोग! हाइकोर्ट ने HPSC को शपथपत्र दाखिल करने के दिये आदेश*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
असिस्टेंट इंजीनियर की भर्ती प्रक्रिया को लेकर सवालों के घेरे में हरियाणा लोक सेवा आयोग! हाइकोर्ट ने HPSC को शपथपत्र दाखिल करने के दिये आदेश*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगड़ ;- असिस्टेंट इंजीनियर पद की नियुक्ति प्रक्रिया में चयन के मानदंड तय करने के लिए बुलाई बैठक का रिकॉर्ड मिला था। लेकिन बैठक के लिए सदस्यों को नोटिस, एजेंडा, इसके लिए नोटिंग आदि का रिकॉर्ड नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने हरियाणा लोक सेवा आयोग को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। हाईकोर्ट ने अब एचपीएससी से पूछा है कि आखिर क्यों चयन के मानदंड अंतिम तिथि से पहले न तय करके आवेदन की अंतिम तिथि के कई महीने बाद मानदंड तय किए गए। याचिका दाखिल करते हुए फरीदाबाद निवासी अरविंद ने एडवोकेट हिमांशु अरोड़ा के माध्यम से हाईकोर्ट को बताया कि हरियाणा लोक सेवा आयोग ने असिस्टेंट इंजीनियर के 7 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। आवेदन की अंतिम तिथि 8 मार्च 2016 थी, जिसे अवैध तरीके से बढ़ा कर 31 जुलाई 2017 कर दिया गया। इसके बाद आठ फरवरी 2018 को लिखित परीक्षा व पांच मार्च 2018 को साक्षात्कार हुआ। 9 मार्च को जारी परिणाम में याची को एससी वर्ग के दो आरक्षित पदों में से एक लिए चयनित कर लिया गया। इसके बाद जब नियुक्ति की बारी आई तो दोबारा रिजल्ट जारी कर याची को इससे बाहर कर दिया गया। सिंगल बेंच के समक्ष आयोग ने कहा था कि 16 फरवरी 2018 को आयोग की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में चयन के मानदंड तय किए गए और फैसला लिया कि पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए दो अंकों का लाभ दिया जाएगा। इन अंकों को किसे दिया जाएगा। इस पर विभाग से स्पष्टीकरण मांगा गया था और इसको लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते नौ मार्च को जारी परिणाम में याची को चयनित दर्शाया गया। बाद में आयोग ने पाया कि अन्य आवेदक दो अंकों का लाभ पाकर मेरिट में ऊपर आ गया और उसे नियुक्ति दे दी गई।
सिंगल बेंच ने आयोग के फैसले को सही मानते हुए याची का दावा अस्वीकार कर दिया था। सिंगल बेंच के फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने आयोग को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। हाईकोर्ट ने सवाल किया कि जब बैठक का रिकॉर्ड है तो इसे बुलाने से जुड़ा रिकॉर्ड क्यों नहीं है। आयोग के सदस्यों को बैठक का नोटिस और एजेंडा भेजने का रिकॉर्ड क्यों नहीं है। साथ ही यदि मानदंड तय करने थे तो वह अंतिम तिथि से पहले होने चाहिए थे, आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि अंतिम तिथि के कई महीने बाद और चयन से ठीक पहले मानदंड तय करने का निर्णय लिया गया। हाईकोर्ट ने आयोग को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!