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*पंजाब गवर्नर पुरोहित का इस्तीफा अभी तक मंजूर न होने मतलब मिल गया अभय दान, फिर सक्रिय हुए गवर्नर बनवारी लाल?*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*पंजाब गवर्नर पुरोहित का इस्तीफा अभी तक मंजूर न होने मतलब मिल गया अभय दान, फिर सक्रिय हुए गवर्नर बनवारी लाल?*
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चंडीगढ़ ;- जिस तरह से पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित अपने सरकारी कार्यों पर पुनः सक्रिय हो गए हैं। उससे ऐसा लगता है कि यह दोनों पदों पर बने रहेंगे। क्योंकि गवर्नर पुरोहित द्वारा दिये गए इस्तीफा को केंद्र सरकार ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है। निजी कारणों का हवाला देकर बनवारी लाल पुरोहित ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से नई दिल्ली में मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया था। बनवारी लाल पुरोहित के इस्तीफे को लेकर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। संकेत ऐसे मिल रहे हैं कि फिलहाल उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होगा। इस्तीफे के बाद से बनवारी लाल पुरोहित बड़े सक्रिय होकर अपनी पारी खेल रहे हैं। उन्होंने यूटी, चंडीगढ़ में अधिकारियों के साथ न केवल दोबारा मीटिंगें लेनी शुरू कर दी है बल्कि अधिकारियों से जवाब-तलबी भी शुरू कर दी है। दूसरी तरफ पंजाब के मसलों में भी एक मर्तबा राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित दोबारा सक्रिय हो गये हैं। उन्होंने सोमवार को पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में अपने छठे दौरे का कार्यक्रम जारी किया।
पुरोहित, 20 फरवरी से 23 फरवरी तक एक बार फिर सीमावर्ती क्षेत्रों के महत्वपूर्ण दौरे पर जाने वाले हैं। यह छठी बार होगा जब वह पिछले ढाई वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों के दौरे पर होंगे। अपने इस दौरे के दौरान, राज्यपाल पठानकोट, गुरुदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का के सीमावर्ती जिलों में जाएंगे। उनके इस यात्रा कार्यक्रम में उनके पिछले दौरों के बाद हुई प्रगति की समीक्षा करने और हाल के दिनों में सामने आए किसी भी नए मुद्दे के समाधान के लिए केंद्रीय एजेंसियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठकें शामिल हैं। इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच बाधाओं को दूर करने हेतु समन्वय बढ़ाना है।
पंजाब के मसलों पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की भगवंत मान की सरकार के साथ टसलबाजी चलती रही है। कई सारे बिलों को राज्यपाल ने रोक लिया। हालांकि उस पर सुप्रीम कोर्ट की तलख टिप्पणी के बाद इनमें से कुछ को क्लीयर भी कर दिया। कई अन्य मसलों पर भी बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के बीच टकराव होता रहा जो लगातार सार्वजनिक भी होता रहा। पंजाब सरकार का आरोप रहा है कि केंद्र सरकार के इशारे पर ही राज्यपाल ऐसा कर रहे हैं ताकि पंजाब की सरकार को कामकाज न करने दिया जाए और उसे डांवाडोल किया जाए। राज्यपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में दौरे का मकसद सीमा पार से नशे की खेप इत्यादि को लेकर समीक्षा करना है। बीएसएफ सहित पंजाब पुलिस व अन्य केंद्रीय एजेंसियों के तालमेल पर भी इस दौरान बातचीत होगी।
वहीं बीते दिनों यूटी, चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित के एडवाइजर राजीव वर्मा ने अपना पदभार ग्रहण किया। उनके साथ भी पुरोहित ने लंबी मुलाकात की। इसके बाद ट्रांसपोर्ट विभाग ने अयोध्या के लिये सीटीयू की बस सेवा शुरू की जिसकी सचिवालय से शुरुआत पुरोहित ने ही की। पुरोहित ने अधिकारियों के साथ बैठकें कर विभिन्न प्रोजेक्टों की समीक्षा रिपोर्ट भी ली। जिस तरह से इस्तीफा भेजने के बाद दोबारा बनवारी लाल पुरोहित अपने कामकाज में दोबारा सक्रिय हुए हैं, उससे संकेत यह मिल रहे हैं कि अभी केंद्र सरकार की ओर से उन्हें इन पदों की जिम्मेदारी आगे जारी रखने को कहा गया है। इसकी एक वजह यह भी है कि जल्द ही लोकसभा चुनावों की घोषणा हो सकती है और आचार संहिता लागू होने के आसार हैं। लोकसभा चुनाव तक उन्हें ही केंद्र सरकार बनाये रख सकती है। इसके बाद ही कोई नया फेरबदल किया जा सकता है।
चंडीगढ़ में मेयर चुनाव को लेकर भी चंडीगढ़ प्रशासन पर भेदभाव के आरोप लगे। प्रशासन के बड़े अफसरों की कार्यप्रणाली घेरे में आई। बतौर प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित पर भी उंगलियां उठी कि उनका अफसरों पर नियंत्रण नहीं है। विपक्षी पार्टियों जिसमें कांग्रेस और आप खासतौर से शामिल हैं की ओर से यह आरोप लगाये जाते रहे कि बनवारी लाल पुरोहित भाजपा के मोहरे के तौर पर काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में जब मेयर के चुनाव का मसला पहुंचा तो ठीक कोर्ट में तारीख से पहले बनवारी लाल पुरोहित ने नई दिल्ली दौरे के बाद इस्तीफा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव और इसमें रिटर्निंग अफसर की भूमिका को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। अब कोर्ट में इस मसले की अगली तारीख 19 फरवरी है।

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