*हरियाणा के मिलावटखोरों सावधान, अब कसेगा जाएगा शिकंजा, जनता सिर्फ 20 रुपय में करा सकेंगे खाद्य सामग्री की जांच*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*हरियाणा के मिलावटखोरों सावधान, अब कसेगा जाएगा शिकंजा, जनता सिर्फ 20 रुपय में करा सकेंगे खाद्य सामग्री की जांच*
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चंडीगढ़ ;- यदि आपको किसी खाद्य सामग्री की शुद्धता पर शक है तो अब आप इसकी अपने स्तर पर जांच करा सकेंगे। इसके लिए दूसरे जिलों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। न ही मोबाइल लैब का इंतजार करना पड़ेगा। इसके लिए हरियाणा के 16 जिलों में मिनी लैब व 5 जिलों में बड़ी लीगल लैब जल्द बनाई जाएंगी। इनमें 20 रुपए देकर खाद्य सामग्री की शुद्धता की जांच करा सकेंगे। इससे लोग मिलावटखोरों पर नजर रखते हुए उन पर शिकंजा कस सकेंगे। करनाल में पहले से लीगल लैब स्थापित है। फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट ने नई लैब का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है। वहां से मंजूरी मिलते ही लैब खोलने का काम शुरू कर दिया जाएगा। जिलों में लैब शुरू होने पर लाेग खाद्य पदार्थों के सैंपल लेकर खुद जांच करा सकेंगे। हालांकि, सैंपल रिपोर्ट को लेकर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर पाएंगे। लेकिन, सैंपल फेल मिलता है या खाद्य सामग्री अशुद्ध मिलती है तो जिले में एफएसओ (खाद्य सुरक्षा अधिकारी) से संपर्क कर संबंधित प्रतिष्ठान यानी जहां से खाद्य सामग्री खरीदी थी, वहां कार्यवाही के लिए कह सकेंगे।
एफएसओ के सैंपलों की जांच लीगल लैब में होगी: ये लैब खुलने के बाद प्रदेश के सभी 22 जिलों में लैब हो जाएंगी। 16 मिनी लैब आम आदमी के लिए ही रहेंगी। मिनी लैब में दो से तीन कर्मचारियों का स्टाफ होगा। वहीं, लीगल लैब में खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) की ओर से लिए गए सैंपलों की जांच की जाएगी। हालांकि, लीगल लैब में आम आदमी के लिए खाद्य सामग्री की जांच को लेकर अलग से डेस्क बनाने की योजना है। 45 में से सिर्फ 18 एफएसओ, इनमें 15 एमबीबीएस या वेटरनरी सर्जन : फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट के पास अभी स्टाफ की भारी कमी है। 45 पदों के मुकाबले 18 एफएसओ काम कर रहे हैं। इनमें विभाग के एफएसओ की संख्या सिर्फ तीन है। बाकी एमबीबीएस और पशु चिकित्सकों को डेपुटेशन पर लगाया हुआ है। जो सैंपल भर रहे हैं। कुछ भर्तियां अटकी हुई हैं। अब नई लैब बनेगी तो कर्मचारियों की भी भर्ती होगी। दो लैब हैं, सालभर में 3500 सैंपल लिए जा रहे, रिपोर्ट में हो रही देरी : फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट की अभी दो लैब हैं।
एक चंडीगढ़ तो दूसरी करनाल में है। सालभर में खाद्य सामग्री के करीब 3500 सैंपल लिए जा रहे हैं। इनमें 20% से ज्यादा सैंपल में खाद्य सामग्री मानकों पर खरी नहीं उतर रही। यानी खाने लायक नहीं मिलती। सितंबर से नवंबर तक त्योहारी सीजन में मिलावटखोर ज्यादा सक्रिय होते हैं। ज्यादातर दूध और दूध से बने पदार्थों में मिलावट मिलती है। अभी विभाग के पास 5 मोबाइल लैब हैं। इनका जिला वाइज शेड्यूल होता है। इनके चले जाने के बाद जांच नहीं करा पाते हैं। लैब कम होने से रिपोर्ट में 6 महीने से भी ज्यादा लग जाते हैं।
राज्य के पंचकूला, यमुनानगर, कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, सोनीपत, सिरसा, फतेहाबाद, जींद, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, चरखी दादरी, कैथल जिले में मिनी लैब खुलेंगी। वहीं, गुड़गांव, फरीदाबाद, अम्बाला, रोहतक, हिसार में बड़ी लीगल लैब बनेंगी। करनाल में पहले से लीगल लैब है। प्रत्येक मिनी लैब पर 20 से 25 लाख का खर्च आने का अनुमान है। बड़ी लीगल लैब पर खर्च करोड़ों रुपए में आएगा। अगर खाद्य सामग्री की जांच के लिए लैब पास में होंगी तो सैंपलों की संख्या बढ़ेगी। इससे मिलावटखोरों पर शिकंजा कस सकेगा। जांच में पता लगेगा कि किस खाद्य सामग्री में क्या गड़बड़ी की गई है। मिलावटी सामान खाने से बच सकेंगे। प्रदेश के हर जिले में लैब होने से खाद्य सामग्री की जांच रिपोर्ट भी जल्द मिलेगी। मिलावटखोरों के खिलाफ शिकायत जल्द होगी।