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हरियाणा के छोटे से गांव की IPS बेटी बिना कोचिंग के रोजाना 10 घण्टे पढ़ाई करके 105 वां रेंक लेकर बनी IAS*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा के छोटे से गांव की IPS बेटी बिना कोचिंग के रोजाना 10 घण्टे पढ़ाई करके 105 वां रेंक लेकर बनी IAS*
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महेंद्रगढ़ ;- मीडिया रिपोर्ट के अनुसार युवाओं को प्रेरित करने वाली हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के छोटे से गांव निंबी से निकलकर एक बेटी पहले आई अफसर बनी और अब एक और इतिहास रचते हुए IAS अफसर बन गई है। दिव्या तंवर ने पहले ही प्रयास में UPSC सिविल सर्विस एग्जाम 2021 क्लीयर करके 438वां रैंक लिया और IPS अधिकारी बनीं। उन्हें मणिपुर कैडर अलॉट हुआ। अब दिव्या ने UPSC 2022 क्लीयर करके 105वां रैंक लिया और अब वे IAS अधिकारी बन गई हैं।
*बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर खर्चा निकाला*
दिव्या तंवर बेहद साधारण से किसान परिवार में जन्म लिया। पिता का बीमारी के चलते 2011 में ही निधन हो गया तो परिवार का पूरा बोझ मां और दिव्या के कंधों पर आ गया। मां दूसरों के खेतों में काम किया करती और घर-घर जाकर झाड़ू पोछा करती, लेकिन उनकी इस मेहनत ने प्रेरणा दी। दिव्या का एक छोटा भाई और एक बहन है। मां पर दिव्या की पढ़ाई का बोझ आने के कारण वह बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करती थी।
*सेल्फ स्टडी करके टारगेट पूरा किया*
दिव्या ने अपनी स्कूलिंग महेंद्रगढ़ के निंबी मनु हाई विद्यालय से की। जवाहर नवोदय विद्यालय में एडमिशन लेकर 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की। उसके बाद गवर्नमेंट PG कॉलेज महेंद्रगढ़ में दाखिला लिया और वहां से BSC में स्नातक किया। इसके बाद UPSC की तैयारी में जुट गई, लेकिन दिव्या का यह सफर कई चुनौतियों से भरा रहा। पैसे के अभाव में कोचिंग नहीं ले पाई तो सेल्फ स्टडी करके तय लक्ष्य प्राप्त किया।

*23 साल की उम्र में IPS बनी दिव्या*
दिव्या बताती हैं कि शुरुआत में 4 से 5 घंटे पढ़ाई की और फिर धीरे-धीरे रोजाना 10 घंटे पढ़ाई करना शुरू किया। दिव्या जिस कमरे में पढ़ती थी, उसी कमरे में खाना-पीना, पढ़ना और सोना होता था। कड़ी मेहनत और शिद्दत के साथ सिर्फ 23 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में UPSC 2021 में 438 रैंक लेकर दिव्या ने यह साबित कर दिया कि लक्ष्य हासिल करने के लिए संसाधनों की नहीं, जी तोड़ मेहनत और प्रयास की जरूरत है।
दिव्या कहती हैं कि 24 वर्ष की उम्र में दूसरे प्रयास में UPSC 2022 क्रैक करके 105वां रैंक मिला तो इसके साथ ही उनका IAS बनने का सपना पूरा हो गया। दिव्या ने अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपनी मां को दिया, क्योंकि उन्होंने कभी दिव्या के ऊपर दबाव नही डाला कि घर का काम करे। शादी करे या नौकरी करके घर चलाने में हाथ बंटाए। बल्कि उन्होंने खुद मेहनत करके प्रेरक बनकर दिव्या को अफसर बनाया। उसके सपनों को उड़ान दी।

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