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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने पुलिस कस्टडी में खोले कई खतरनाक राज*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने पुलिस कस्टडी में खोले कई खतरनाक राज*
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दिल्ली ;- खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को मोगा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जाता है कि अमृतपाल को मोगा के गांव रोड़े के गुरुद्वारे से हिरासत में लिया गया है। वह 36 दिन से फरार चल रहा था। ये गांव खालिस्तानी आतंकी भिंडरावाला का है। कहा ये भी जा रहा है कि अमृतपाल ने पूरी प्लानिंग के साथ पुलिस को अपनी गिरफ्तारी दी है। अमृतपाल को लेकर अब तक कई बड़े खुलासे हो चुके हैं। आइए जानते हैं अमृतपाल की पूरी कहानी। अब तक उसको लेकर क्या-क्या सामने आ चुका है?
1. नशामुक्ति की आड़ में युवाओं को मानव बम के रूप में तैयार कर रहा था अमृतपाल: वारिस पंजाब दे का प्रमुख अमृतपाल सिंह नशामुक्ति की आड़ में युवाओं को मानव बम के रूप में तैयार कर रहा था। यह सनसनीखेज खुलासा पंजाब पुलिस और खुफिया एजेंसियों की जांच में हुआ है। अमृतपाल नशा छुड़ाने के अभियान, धर्मप्रचार और अमृतपान के नाम पर युवाओं को इकट्ठा कर रहा था। नशा छुड़ाओ केंद्रों में युवाओं का ब्रेन वॉश किया जा रहा था। उन्हें इस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा था कि जरूरत पड़ने पर वह जान देने को भी तैयार हो जाएं। उन पर भावनात्मक प्रभाव डाला जा रहा था। इन्हीं के सहारे वह आनंदपुर खालसा फौज (एकेएफ) खड़ी कर रहा था।
अमृतपाल के गांव जल्लूपुर खेड़ा में भी स्थित गुरुद्वारा में चल रहे नशा छुड़ाओ केंद्र में 36 युवाओं को भर्ती किया गया था। अमृतपाल की ””खालसा वहीर”” (एक प्रकार का धार्मिक जुलूस) के सदस्य ही युवाओं की काउंसलिंग करते थे। इस दौरान युवाओं को पाठ करवाया जाता था। नशा न मिलने के कारण युवाओं को कोई शारीरिक समस्या या दर्द आदि की मुश्किल आती थी, तो अमृतपाल के युवा साथी ही उसकी मालिश भी करते थे। युवाओं को ड्राई फ्रूट व दूध आदि दिया जाता था। जिन युवाओं की तबीयत ज्यादा खराब होने लगती थी तो निशुल्क सेवाएं देने वाले एक नजदीक के डॉक्टर को बुलाया जाता था। युवाओं को पेन किलर व अन्य ताकत की दवाएं दी जाती थीं। एक युवक चार-पांच दिन तक गहन निगरानी में रखा जाता था। उन्हें अमृतपान करवाया जाता था और भविष्य में नशा न करने की सख्त हिदायतें भी दी जाती थी।

2. विदेश से वॉट्सएप कॉल पर लंबी बात करता था अमृतपाल
जांच में सामने आया है अमृतपाल को जब भी विदेश से फोन आता था, तो वह वाट्सएप कॉल पर लंबी बातचीत करता रहता था। यह काल कहां से आती थी, इसकी जानकारी उसके आसपास के लोगों को भी नहीं दी जाती थी। अमृतपाल के ””खालसा वहीर”” का हिस्सा रहे एक युवक ने बताया कि वहीर में 35 के करीब क्वालीफाइड डॉक्टर भी शामिल थे। ये पंजाब के अलग-अलग इलाकों से नशा सेवन करने वाले युवाओं का नशा छुड़ाने का काम करते थे। इमरजेंसी में इलाज करने भी पहुंच जाते थे। कई बार फोन पर ही दवाएं बता दिया करते थे।
3. ISI ने अमृतपाल को दी थी ट्रेनिंग
खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के नापाक इरादों की उपज है। आईएसआई अमृतपाल से पहले आंतकी रिंदा और अर्शदीप सिंह डल्ला का भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन उनके माध्यम से वह सीधे लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थी। इस बीच अमृतपाल सिंह को तैयार किया गया। जॉर्जिया में आधुनिक हथियारों की ट्रेनिंग भी दी गई। इसके बाद उसे दुबई के रास्ते भारत भेजा गया था।
इसके बाद अमृतपाल जींस, टी-शर्ट को छोड़ धार्मिक पहनावा पहनने लगा। उसे विदेश से फंडिंग भी मिल रही थी। पिछले साल यानी 2022 के अगस्त महीने में अमृतपाल भारत आया। इसके बाद उसने दीप सिद्धू के संगठन वारिस पंजाब दे की कमान संभाली। इसके बाद वह अपने कार्यक्रमों में भड़काऊ भाषण देने लगा और देखते-देखते उसके समर्थकों की संख्या बढ़ने लगी थी।
4. दुबई में अमृतपाल की आईएसआई एजेंट से हुई थी मुलाकात
आईएसआई भारत में युवाओं का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में उसने पंजाब में अमृतपाल के रूप में नया प्रयोग किया था। सूत्रों से जानकारी मिली थी कि अमृतपाल की आईएसआई के एजेंटों से मुलाकात दुबई में हुई थी। यहीं आंखों के इलाज के दौरान पहली बार अमृतपाल आईएसआई के गुर्गों से मिला। इन एजेंटों में कुछ पाकिस्तान में रह रहे खालिस्तान समर्थक भी थे। दरअसल, उन्होंने भांप लिया था कि अगर अमृतपाल का इस्तेमाल किया तो अच्छा फायदा हो सकता है।
5. पति के लिए फंडिंग करती है किरणदीप
पुलिस और खुफिया एजेंसियों का दावा किया है कि कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह को 158 विदेशी अकाउंट से फंडिंग की जा रही थी। इनमें से 28 खातों से पांच करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम भेजी गई थी। इन खातों का संबंध पंजाब के माझा और मालवा से है। शुरुआती जांच में पता चला है कि किरणदीप ही अमृतपाल के लिए फंडिंग एकत्र करने का काम कर रही थी। किरणदीप लंबे समय से यूके में रह रही थी। यहीं से वह फंडिंग का पूरा काम देखती थी।

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