भयभीत मंत्रियों, नेताओं को नहीं मिल रहा हरियाणा प्रदेश की जनता और युवाओं का समर्थन!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज़,
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भयभीत मंत्रियों, नेताओं को नहीं मिल रहा हरियाणा प्रदेश की जनता और युवाओं का समर्थन!*
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चंडीगढ़ ;- हरियाणा में भाजपा सरकार ने रो धो कर अपने चार वर्ष पूरे कर लिए।परन्तु इन चार वर्षों में हर वर्ष हरियाणा की जनता को कोई न कोई त्रासदी भी जरूर झेलनी पड़ी है। जिस युवाओं के बल पर हरियाणा में भाजपा पहली बार सत्तारूढ़ हुई आज वही युवा अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है। हरियाणा के युवाओं और जनता ने एक सपना देखा था प्रदेश से भ्रष्टाचार ख़त्म होगा और युवाओं को नोकरियो के लिए भटकना नही पड़ेगा।इस सबके विपरीत न तो युवाओं को रोजगार मिल और न ही प्रेदश से भ्रष्टाचार कम हुआ बल्कि प्रदेश में भ्रष्टाचार ने पहले से भी ज्यादा पांव पसारे। आज सरकारी तंत्र लोगों के बीच में जाकर चार साल की उपलब्धियां बताने में लग गया है।भाजपा के सत्ता में बैठे नेता यह बताने में लग गए हैं कि वें दूसरे राजनैतिक दलों से किस तरह से अलग हैं। वें यह बताने में जूट गए हैं कि भाजपा शासन में विकास के कार्य बिना क्षेत्रीय भेदभाव के हुए। सरकारी नौकरियों से लेकर किसानों की फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने तक को भाजपाई लोगों के बीच जाकर बताने लग गए हैं। इतना ही नहीं भाजपा सरकार मीडिया को भी खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पहले वरिष्ठ पत्रकारों को पैंशन और अब हैल्थ कार्ड जारी कर सरकार ने मीडिया का विश्वास जीतने का प्रयास किया है।भाजपा सरकार ने आपातकाल में जेल जाने वालों को भी सम्मान देकर उस वर्ग को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया है। कहने का अर्थ यह है कि ऐसा कोई वर्ग नहीं जिसको भाजपा ने नहीं रिझाया हो। परन्तु इस सबके बावजूद भी भाजपा के विधायक अंदरखाते भयभीत दिखाई दे रहे हैं ! एक तो बार बार यह कहा जा रहा है कि इस बार रिपोर्ट कार्ड के अनुसार आधे से अधिक वर्तमान विधायकों की टिकट कटेगी? इससे बहुत से विधायकों में असुरक्षा की भावना आ गई है। इतना ही नहीं पार्टी के नए फरमान ने तो विधायकों के जनाधार की पोल ही खोल कर रख दी है। भाजपा आलाकमान के फरमान के अनुसार विधायक प्रतिदिन पदयात्रा कर सरकार की उपलब्धियां लोगों तक पहुंचायेंगे और और जन समस्याओं को जानेंगे। इस बारे मिल रही जानकारी के अनुसार जिन विधायकों ने ये पदयात्रा शरू की है, उनको बहुत ज्यादा जनसमर्थन नहीं मिला है। जंहा पार्टी ने कहा है कि पदयात्रा में एक सौ से अधिक लोग साथ होने चाहिए, वहां विधायकों के साथ चलने वालों की संख्या 15 से 20 से अधिक नहीं हो पा रही है। ऐसे में विधायकों को अब यह भय सताने लगा है कि आने वाले चुनाव में उनको अगर टिकट मिल जाती है तो परिणाम क्या रहेगा? साथ ही चुनाव क्षेत्र में पदयात्री विधायकों को मतदाताओं का भी उत्साहवर्धक रस्पोंस नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में अब चर्चाएं यह भी चल पड़ी है कि 2014 के चुनाव में जो भाजपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे हैं, उनको भी टिकट दिए जाने पर विचार किया जायेगा। चर्चाकारों का कहना है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि जब मोदी लहर में भी जो प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे हैं तो इस बार उनकी जीत की सम्भावनाएं अधिक नहीं कही जा सकती। ऐसे में होने वाले प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। इन सब हालातों के चलते राजनीति में रूचि रखने वाले युवा वर्ग, जो 2014 के चुनाव में भाजपा विचारधारा से जुड़ा था भर्ष्टाचार के कारण अब भाजपा से विमुख होने लगा है।