हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा व कांग्रेस ने तीनों विवादों पर अपना स्टैंड किया क्लियर, हिंदी भाषी क्षेत्र, पानी साथ मे लेंगे चंडीगढ़*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा व कांग्रेस ने तीनों विवादों पर अपना स्टैंड किया क्लियर, हिंदी भाषी क्षेत्र, पानी साथ मे लेंगे चंडीगढ़*
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चंडीगढ़ ;- आज चंडीगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने अपने चंडीगढ़ निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हुड्डा ने कहा कि हमारे लिए सबसे जरूरी पानी है। इसके बाद हिंदी भाषी क्षेत्र और फिर राजधानी की बात करेंगे। तीनों मुद्दे बारी-बारी से सॉल्व करेंगे। तीनों मामलों पर कांग्रेस पार्टी का स्टैंड क्लीयर है। पूर्व सीएम ने कहा कि चाहे पंजाब में कैप्टन की सरकार रही हो या फिर अकाली दल और भाजपा की सरकार, सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को केंद्र सरकार ने लागू करना है। यदि सरकार लागू नहीं करवाती तो कांग्रेस अपना कार्यक्रम बनाएगी। प्रधानमंत्री से मिलने के लिए चीफ मिनिस्टर बात करेंगे तो हम साथ जाएंगे।
हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में आप पहले चुनाव लड़ चुकी है, लेकिन कोई सीट नहीं जीत सकी। दिल्ली से हरियाणा तीन तरफ से लगता है। जब दिल्ली में सरकार आने पर हरियाणा पर असर नहीं पड़ा तो पंजाब में आने से क्या होगा। कांग्रेस में गुटबाजी के सवाल को हुड्डा टालते नजर आए। हुड्डा बोले सभी एकजुट हैं। यदि किसी विधायक ने गुटबाजी की बात कही तो वह स्वयं उनसे बात करेंगे। हुड्डा ने कैप्टन अजय यादव के बयान कि इगो छोड़ो और एकजुट हो जाओ, पर कहा कि जिसमें इगो हो, उसे छोड़ देनी चाहिए। 2019 में कांग्रेस में सीटों का बंटवारा सही हुआ। लोगों को कांग्रेस पार्टी से ही बदलाव की उम्मीद है। हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य का बुरा हाल है। शिक्षा सेक्टर में 50 हजार पद खाली हैं। प्रिंसिपल के पद भी खाली हैं। अस्पताल में जाओ तो डॉक्टर नहीं, स्कूल में जाओ तो मास्टर नहीं। दफ्तर में जाओ तो बाबू नहीं। हमारे समय में हरियाणा में सबसे सस्ता डीजल था। हर बॉर्डर पर बोर्ड लगे थे, परंतु अब उल्टा है। दिल्ली और चंडीगढ़ के पंपों पर बोर्ड लगे हैं कि हरियाणा से सस्ता डीजल। राजस्थान में सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर दी है, परंतु हरियाणा में सरकार नहीं कर रही। यदि कोई फैसला पहले ले लिया है तो उसे बदला भी जा सकता है। कांग्रेस की सरकार आई तो पुरानी पेंशन स्कीम लागू करेंगे।
पंजाब और हरियाणा के बीच राजधानी और एसवाईएल का मुद्दा और हिंदी भाषाई 108 गांवों का मुद्दा सालों पुराना है। राजधानी और एसवाईएल का विवाद 1966 से ही है, जब पंजाब- हरियाणा का अलग- गठन हुआ। 56 साल में पंजाब ने 7वीं बार इस प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया। 1967,1970,1978,1985,1986, 2014 में भी पंजाब ने प्रस्ताव पास किया, जबकि हरियाणा ने एसवाईएल पर 2000 से लेकर अब तक 5 बार प्रस्ताव पास किया।
सतलुज युमना लिंक नहर बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला और कोर्ट ने पंजाब सरकार को नहर बनाने के आदेश भी जारी किए, परंतु पंजाब ने नहर बनाने की बजाए नहर पाट दी और विधानसभा में प्रस्ताव पास करके जमीनें किसानों को लौटा दी। 1 अप्रैल को पंजाब विधानसभा ने चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार जताते हुए प्रस्ताव पास किया और गृह मंत्रालय के पास भेज दिया। भंगवत मान का कहना है कि चंडीगढ़, पंजाब के गांवों को उजाड़ कर बनाया गया है और इस पर उनका अधिकार है। जबकि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान द्वारा विधानसभा में प्रस्ताव पास करने की निंदा कर चुके हैं और कह चुके हैं कि यह दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी है और रहेगी। वहीं हरियाणा विधानसभा में मंगलवार को पंजाब के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पेश किया।