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मनोहर सरकार अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेता को आखिर क्यो करना चाहती है कमजोर?

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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मनोहर सरकार अपनी ही पार्टी के कद्दावर नेता को आखिर क्यो करना चाहती है कमजोर?
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चंडीगढ़ ;- मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विभागीय बंटवारे से पहले एक बार फिर गृह विभाग को लेकर बड़ा विवाद हो गया। पुख्ता जानकारी के अनुसार, कैबिनेट मंत्री अनिल विज को दो विभाग छोड़ने को कहा गया। इनमें नगर निकाय और गृह विभाग शामिल थे। लेकिन विज गृह विभाग किसी भी सूरत में देने को तैयार नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि विज ने मंगलवार को शपथ ग्रहण से पहले सीएम आवास पर सीएम मनोहर लाल से मुलाकात की।
उस वक्त भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े भी वहां मौजूद थे। जब उनसे दोनों विभाग देने को कहा गया तो उन्होंने मौके पर ही कह दिया कि यदि गृह विभाग लिया गया तो वे सभी विभाग छोड़ देंगे। यह कह कर वह चलने लगे तो सीएम ने उन्हें बैठने को कहा। परंतु विज वहां नहीं रुके और चले गए। उन्होंने सीएमओ की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। वे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने राजभवन भी नहीं पहुंचे। हालांकि, बाद में उनसे गृह विभाग नहीं लिया गया। सूत्रों का कहना है कि यदि विज से गृह विभाग लिया जाता तो वे इस्तीफा दे देते, जो उनकी जेब में ही लिखा हुआ रखा था। यह मामला दिल्ली दरबार में भी पहुंचा। बुधवार को विभागों के बंटवारे से पहले ही विज के पास प्रभारी तावड़े ने मैसेज पहुंचा दिया था कि उनसे गृह विभाग नहीं लिया जाएगा। दिल्ली की दखल के बाद यह विवाद अभी तो खत्म हो गया है। मुख्यमंत्री द्वारा अनिल विज से गृह विभाग मांगने के बाद अब स्थानीय निकाय विभाग ले लेने से भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा उत्पन्न हुई है। भाजपा पार्टी के एक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक ने कहा अनिल विज एक ईमानदार व कुशल प्रशासक है। उनको जान बूझकर कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। एक जिला स्तर के भाजपा नेता ने कहा विज जैसे नेता कमजोर करने से प्रदेश में पार्टी कमजोर ही होगी। आखिरकार सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री हमेशा अनिल विज को ही क्यों टारगेट करते है? 6 बार लगातार जितने वाले जनमानस के नेता हैं अनिल विज.

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