Thursday, September 12, 2024
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सुरजेवाला का खट्टर सरकार पर जबरदस्त कटाक्ष, नौकरी घोटाला’ बना अपराधी बचाओ योजना, नौकरी बिक्री घोटालों की जाँच शुरू होने से पहले ही हुई बंद!

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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सुरजेवाला का खट्टर सरकार पर जबरदस्त कटाक्ष, नौकरी घोटाला’ बना अपराधी बचाओ योजना, नौकरी बिक्री घोटालों की जाँच शुरू होने से पहले ही हुई बंद!
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चंडीगड़ ;- भाजपा-जजपा सरकार के ‘‘खर्ची की अटैची लाओ – पद पाओ अभियान’’ की परतें खुलते ही अब सारी ताकत नौकरी बेचने वाले गिरोह के संरक्षक आला अधिकारियों व सफेदपोशों को बचाने में लगाई जा रही है। भाजपा-जजपा सरकार व CM, श्री मनोहर लाल खट्टर अपनी जिम्मेवारी स्वीकारने की बजाय पूरी तफ्तीश को दिग्भ्रमित कर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश में हैं। लगता है कि पुलिस व विजिलैंस विभाग भी अब नौकरी घोटाले की जाँच पूरी होने से पहले ही पर्दा डालने पर लगे हैं। पूरी सरकार मिलकर किसी तरह से-किसी कीमत पर सारे मामले को रफा-दफा करने में लगी है। यहां तक कि मुख्य दोषी पुलिस की हिरासत से छूट अब न्यायिक हिरासत में चैन से हैं। इस गति से तो मुख्य आरोपी बहुत जल्द जमानत पर होंगे व साल 2018 के एचपीएससी के ‘‘रिश्वत दो-नौकरी लो’’ घोटाले की तरह मौजूदा नौकरी बिक्री व्यापम घोटाला भी पाताल की तह में छिप जाएगा।
भाजपा-जजपा सरकार व मुख्यमंत्री अपनी जवाबदेही से पल्ला नहीं झाड़ सकते। नए सनसनीखेज खुलासे व तथ्य अब सीधे तौर से ‘‘पर्दा डालो – अपराधी बचाओ’’ योजना की ओर इशारा कर रहे हैं। भाजपा-जजपा सरकार व मुख्यमंत्री को सिलसिलेवार बिंदुओं का जवाब देना होगा।

1. खट्टर साहेब ने ‘‘झूठ’’ बोलकर क्यों बरगलाया, किसे बचाया?

हरियाणा पुलिस के विजिलैंस विभाग ने 20 नवंबर, 2021 को व्हाट्सऐप प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पत्रकारों को बताया कि एचपीएससी का डिप्टी सेक्रेटरी, अनिल नागर एक करोड़ से अधिक रुपये की रिश्वत के साथ ‘दफ्तर’ से गिरफ्तार किया गया। इसकी प्रतिलिपि A1 संलग्न है।

विजिलैंस विभाग ने 23 नवंबर, 2021 को अदालत में दी रिमांड की दरख्वास्त (पेज 5) में यह माना कि आरोपी अनिल नागर को हरियाणा लोकसेवा आयोग से रिश्वत के ₹1.07 करोड़ के साथ गिरफ्तार किया गया। रिमांड की दरख्वास्त की कॉपी A2 संलग्न है।

पर 23 नवंबर को हाई पॉवर परचेज़ कमिटी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने डिप्टी सेक्रेटरी, HPSC, अनिल नागर को रिश्वत की राशि के साथ HPSC के कार्यालय से रिकवर होने की बात सिरे से ही नकार दी। दूसरी तरफ, अनिल नागर के वकील पहले से ही पैसे की रिकवरी न होने की बात कह रहे हैं। ऐसे में अनिल नागर के वकील और मुख्यमंत्री, हरियाणा लगभग एक ही बात कह रहे हैं, जो हरियाणा विजिलैंस ब्यूरो की बात को झुठला रही है। साफ है कि रिश्वत के पैसे की रिकवरी पर अगर मुख्यमंत्री खट्टर साहब अपने ही विजिलैंस ब्यूरो की बात को झुठला देंगे, तो मुख्य आरोपी, अनिल नागर के खिलाफ तो केस अपने आप ही कमजोर पड़ जाएगा।

सवाल यह है कि मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने झूठ क्यों बोला?

2. इतने बड़े महाव्यापम घोटाले में मुख्य आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन का पुलिस रिमांड कैसे और क्यों खारिज हुआ?

कमाल की बात यह है कि अभी तक पुलिस विजिलैंस ब्यूरो ने अपनी जाँच पूरी तरह से शुरू भी नहीं की। न तो अनिल नागर के मामा रामकिशन के घर गांव रिठाल, जिला रोहतक जाकर बरामदगी की, न ही अनिल नागर के निवास मकान नंबर 12/766, पुराना आर्य नगर, रोहतक से कागजात की बरामदगी की, न ही अनिल नागर के मकान नंबर 396, सेक्टर 17, पंचकुला से कागजात की बरामदगी की, न ही अश्विनी शर्मा के मकान शिव कॉलोनी, सोनिपत से कागजात की बरामदगी की, न ही एप्लीकेशन पोर्टल-स्कैनिंग-पेपर चेक करने वाली जसबीर सिंह मलिक की एजेंसी Safedot e-solutions Pvt. Ltd. Sector 11, पंचकुला से बरामदगी की, न ही मुख्य दोषियों को जसबीर सिंह मलिक, जसबीर सिंह भलारा, विजय भलारा के साथ आमने-सामने बिठाकर तफ्तीश की, न ही HSSC से जाँच या बरामदगी की, न ही हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से HTET की परीक्षा बारे जाँच या बरामदगी की।

संयोग देखिए कि इन सबके बावजूद मुख्य आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन को पुलिस रिमांड व हिरासत से छोड़कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। एक तरह पुलिस की हिरासत में आरोपियों की तफ्तीश बंद हो गई। इस गति से तो शायद कुछ समय के बाद मुख्य आरोपी जमानत पर भी छूट जाएं।

यह सब ‘‘संयोग है या प्रयोग’’? पुलिस रिमांड के बगैर इन सारे षडयंत्रों की परत कैसे खुलेगी? इन सारे कागजात की बरामदगी कैसे होगी? इन सारे घोटालों पर से पर्दा कैसे उठेगा? और खट्टर सरकार और उनकी विजिलैंस क्या कर रही है?

3. महाव्यापम नौकरी बिक्री घोटाले को डेंटल सर्जन की केवल 14 ओएमआर शीट तथा HCS की 22 ओएमआर शीट तक सीमित कर पर्दा डालने की साजिश साफ है।

पूरे मामले को रफा-दफा करने के लिए अब इसे मात्र HCS पेपर की 12 ओएमआर शीट व डेंटल सर्जन की 14 ओएमआर शीट तक सीमित किया जा रहा है। यह बात अब तक हुए खुलासों व रिमांड की दरख्वास्त (A2) से साफ है।

सवाल बड़ा सीधा है। HCS पेपर का नतीजा 24 सितंबर, 2021 को आया और अनिल नागर की गिरफ्तारी 18 नवंबर, 2021 को हुई तथा उसके बाद रेड में ओएमआर शीट बरामद हुई। यानि HCS का रिज़ल्ट आने के बाद पूरे दो महीने (56 दिन) बीत गए। तो क्या अनिल नागर ओएमआर शीट दो महीने से अपने दफ्तर में रखे बैठा था, कि विजिलैंस आए और उन ओएमआर शीट्स को बरामद कर ले?

क्या ऐसा तो नहीं कि धांधली बहुत बड़े स्तर पर हुई और पहले रिज़ल्ट में धांधली करने के बाद ओएमआर शीट्स भरने का दूसरा राउंड चल रहा था ताकि रिवाईज़्ड रिज़ल्ट में भी अपने गुर्गे फिट किए जा सकें?

यह भी कहा जा रहा है कि HCS पेपर की जो ओएमआर शीट अनिल नागर के दफ्तर से मिली, उनमें से केवल पाँच ही पास हुए। सवाल यह है कि यदि अनिल नागर और अश्विनी शर्मा ओएमआर शीट भरने ही बैठ गए थे, तो बाकी की ओएमआर शीट भरने में क्या रोक-टोक या दिक्कत थी?

क्या खट्टर सरकार और विजिलैंस इन सारी धांधलियों की जाँच करना भी चाहती है या नहीं? क्या अब यह सब बातें परदे में रहेंगी क्योंकि अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन का पुलिस रिमांड खारिज कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है?

4. HSSC नौकरी बिक्री घोटाले की जाँच शुरू होने से पहले ही बंद क्यों हो गई?

अगर विजिलैंस विभाग की भी मानें (पेज 4 संलग्नक A2), तो साल, 2021 में नौकरियों की मंडी लगा बिक्री करने वाले इसी गिरोह ने HSSC द्वारा भर्ती किए गए स्टाफ नर्स, ANM व VLDA के पेपर भी लाखों रुपये की रिश्वत लेकर नाज़ायज तरीके से पास करवाए थे। विजिलैंस विभाग की रिमांड की दरख्वास्त में यह भी साफ लिखा है कि अश्विनी शर्मा HSSC के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर लिखित परीक्षा पास करवा देता था।

सवाल यह है कि खट्टर सरकार व विजिलैंस विभाग ने HSSC में नौकरी भर्ती व बिक्री घोटाले की जाँच शुरू करने से पहले ही बंद क्यों कर दी? क्या सीधे-सीधे स्टाफ नर्स, ANM व VLDA की नौकरी बिकने का प्रथम दृष्टि से सबूत नहीं है? क्या HSSC के लोगों की नौकरी बेचने वाले दलालों से मिलीभगत की जाँच नहीं होनी चाहिए?

5. HSSC द्वारा हाल में हुई सब इंस्पेक्टर, पुलिस की भर्ती में फर्जीवाड़े के सबूत मिले, तो फिर जाँच क्यों नहीं?

एक और सनसनीखेज खुलासे में सब इंस्पेक्टर पुलिस की हाल में हुई भर्ती में ‘‘पेपर सॉल्वर गैंग’’ का हाथ सामने आया है। 15 चयनित पुलिस सब इंस्पेक्टर नौकरी की चिट्ठी लेने ही नहीं आए। शायद उन्हें खतरा था कि उनका बायोमेट्रिक स्कैन नहीं मिलेगा और वो पकड़े जाएंगे। सब इंस्पेक्टर पुलिस की भर्ती भी धांधली के आरोपों से घिरी रही है व HSSC की भूमिका संदेह के घेरे में रही है। सवाल यह है कि जाँच क्यों नहीं?
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के HTET पेपर घोटाले की जाँच पर पर्दा क्यों? सामने आया है कि इसी नौकरी बिक्री गिरोह के तार 2016 से HTET पेपर पास करवाने से भी जुड़े हैं। RTI में तो यह भी खुलासा हुआ है कि हर बार HTET परीक्षा का ठेका उन्हीं एजेंसियों को दिया गया, जो अनियमितताओं के चलते विवादों के घेरे में थीं। संयोग से अनिल नागर उन दिनों शिक्षा बोर्ड के सचिव थे। तो फिर जाँच क्यों नहीं?
हरियाणा के युवाओं के पास अब केवल दो रास्ते बचे हैं। पहला, अटैची देकर नौकरी खरीद लें। दूसरा, खट्टर सरकार की आंखों में आंखें डालकर जवाब मांगें। युवा जवाब मांगता है।
यह लड़ाई हरियाणा के भविष्य को बचाने की है।
भाजपा-जजपा याद रखें कि हरियाणा के युवा अपराधियों को 100 पर्दों के पीछे भी छिपने नहीं देंगे।

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