किसान आंदोलन के नाम पर विपक्षी दल व कम्युनिस्ट जनता द्वारा चुनी हुई हरियाणा की सरकार को करना चाहते हैं अस्थिर ;- मंत्री जेपी दलाल*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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किसान आंदोलन के नाम पर विपक्षी दल व कम्युनिस्ट जनता द्वारा चुनी हुई हरियाणा की सरकार को करना चाहते हैं अस्थिर ;- मंत्री जेपी दलाल*
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चंडीगढ़ :- किसान आंदोलन के नाम पर हरियाणा में आए दिन जनप्रतिनिधियों पर हो रहे हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। प्रदेश के मुख्यमंत्री के काफिले पर अंबाला में हुए हमले और फिर कैमला में उनका कार्यक्रम न होने देने के बाद उपमुख्यमंत्री के कार्यक्रमों का भी कड़ा विरोध किसानों द्वारा किया गया। अब भारतीय जनता पार्टी के कुरुक्षेत्र सांसद नायब सिंह सैनी पर भी हमला और विधायक राम कर्ण काला के घर पर भी घेराव की कोशिश के बाद अब भाजपा के लोग खुलकर इस आंदोलन को एक षड्यंत्र करार देने लगे हैं। कृषि मंत्री जेपी दलाल ने मीडिया से बातचीत में कहा इस प्रकार के घटनाक्रमों को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसान एक तरफ तो कहते हैं कि उनका आंदोलन पूर्णतय शांतिपूर्ण और गैर राजनीतिक है। लेकिन ताकत के बल पर प्रदेश की जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के कार्यक्रमों को रद्द करवाने से यह साफ है कि यह आंदोलन अब किसानों के हाथ में नहीं रहा। बल्कि यह कांग्रेस, कम्युनिस्टों व अन्य राजनीतिक दलों के हाथों में जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह लोग जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। यह किसानों के हितों की बजाय कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे हैं।
अगर यह सचमुच किसानों के हितों को देखते तो यह आंदोलन गन्ने के मुद्दे पर पंजाब में होता, क्योंकि हरियाणा प्रदेश देश में सबसे अधिक 350 प्रति क्विंटल का भाव किसान को देता है। जिससे पंजाब के गन्ना किसान को प्रति एकड़ लगभग कम भाव मिलने के कारण 10000 का नुकसान हो रहा है। यह आंदोलन राजस्थान में होना चाहिए था जहां आज भी बाजरा 1000 से 1200 क्विंटल बिक रहा है। जबकि हमारे प्रदेश में 2150 प्रति क्विंटल बाजरे का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदा गया।
जेपी दलाल ने कहा कि हरियाणा की सरकार किसानों की सरकार है और हर फैसला किसानों के हितों में किया जा रहा है। उनकी सरकार एमएसपी पर खरीदी गई फसल के पैसे सीधे किसानों के खातों में भेजना चाहती है। सबसे अधिक भाव, सबसे अधिक सबसे अधिक सब्सिडी हमारे प्रदेश में किसानों को दी जा रही है। लेकिन राजनीतिक आकाओं के इशारों पर इस प्रकार के आंदोलन खड़े किए जा रहे हैं। किसान पंचायत के नाम पर कांग्रेसी नेता कार्यक्रम कर रहे हैं। आंदोलनों में बैठे लोग अधिकतर वही हैं जिन्हें जनता द्वारा रिजेक्ट किया गया है। आज इस आंदोलन पर किसान विरोधी ताकतों का कब्जा हो गया है। जो लोग राजनीतिक एजेंडा चला रहे हैं वह किसानों के हितों में नहीं है। नए कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन यह लोग भ्रम फैला रहे हैं कि किसान बर्बाद हो जाएगा, एमएसपी खत्म हो जाएगी, मंडिया खत्म हो जाएंगी। मैं मानता हूं कि इस तरह का भ्रामक प्रचार करना उचित नहीं है। कृषि मंत्री ने कांग्रेसियों से प्रार्थना भी की कि आप जो हिंसा फैलाने की, किसानों को भड़काने की कोशिश करते हैं इसका परिणाम खुद कांग्रेस के लिए भी गलत होगा। जेपी दलाल ने बताया कि प्रदेश सरकार और हमारे मुख्यमंत्री प्रदेश में हर फसल की मैपिंग करवाना चाहते हैं कि कितनी-कितनी जमीन पर गेहूं, गन्ना, बाजरा, सब्जियां या अन्य फसलें बोई जाती है। ताकि उस मैपिंग के हिसाब से किसानों को एमएसपी, सब्सिडी या उनके हिसाब की मशीनरी बांटने है उन नीतियों पर काम कर सकें। इसके साथ जेपी दलाल ने आढ़तियों की चेतावनी पर भी जवाब दिया कि आढ़तियों के आंदोलन का कोई औचित्य नहीं बनता। क्योंकि आढ़ती को केवल अपनी आढ़त, कट्टा सिलाई और लोडिंग के पैसे लेने का हक बनता है। लेकिन फसल की कीमत का हकदार वह अन्नदाता है जिसने दिन-रात मेहनत करके उस फसल को उगाया है।