हिमाचल में हिलोरें मारता फिर आया भूकंप, चंबा और स्पिति में धरती हिलने से लोग सहमे*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हिमाचल में हिलोरें मारता फिर आया भूकंप, चंबा और स्पिति में धरती हिलने से लोग सहमे*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ;- हिमाचल प्रदेश की धरती रविवार देर रात फिर से डोल गई। चंबा और लाहौल स्पीति जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। चंबा में रात करीब 2:01 बजे भूकंप आया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.4 रही और इसका केंद्र जमीन के अंदर 14 किलोमीटर गहराई पर था।
लाहौल स्पीति में रात करीब 3:39 बजे 2.8 की तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र जमीन के अंदर 5 किलोमीटर गहराई पर था। हालांकि भूकंप से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन मौसम विज्ञान केंद्र शिमला की ओर से दोनों जगहों पर भूकंप की पुष्टि की गई है।
दो दिन पहले भी आया था भूकंप
इससे पहले शुक्रवार देर रात को भी कंपन महसूस हुआ था। लाहौल स्पीति में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3 थी। हालांकि, इससे जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ था और मौसम विज्ञान के शिमला केंद्र ने इसकी पुष्टि की थी।
मार्च में लगातार 3 दिन आया भूकंप
हिमाचल प्रदेश में मार्च महीने में लगातार तीन दिन भूकंप के झटके लगे थे। मार्च के दूसरे सप्ताह में चंबा और किन्नौर में हल्के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि, इससे किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था। लेकिन, पहाड़ी इलाका होने के कारण लोगों में अफरा-तफरी मच ही जाती है।
चंबा में आते हैं सबसे अधिक भूकंप
हिमाचल में सबसे अधिक भूकंप चंबा में आते हैं। इसके बाद किन्नौर, शिमला, बिलासपुर और मंडी संवेदनशील जोन में आते हैं। शिमला को लेकर भी चेतावनी दी गई थी कि यह शहर भूकंप जैसी आपदा के लिए तैयार नहीं है। किन्नौर में 1975 में बड़ा भूकंप आ चुका है। कांगड़ा में 1905 में भूकंप आया था, जिसमें 20 हजार लोगों की जान गई थी। वैज्ञानिकों का दावा है कि हिमालय के आसपास घनी आबादी वाले देशों में इससे भारी तबाही मच सकती है। शिमला और दिल्ली तो भूकंप के झटके सहने के लिए तैयार ही नहीं हैं। भूकंप वैज्ञानिकों का मानना है कि छोटे-छोटे झटके महसूस होते रहने से बड़े भूकंप का खतरा कम हो जाता है। लोग दहशत में रहते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि आगे यह तीव्रता ज्यादा हो सकती है। वैसे भी हिमाचल प्रदेश का अधिकतर क्षेत्र संवेदशील जोन में आता है।