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व्हिप के कारण हरियाणा विधानसभा में एकजुट दिखने वाली कांग्रेस, धरातल पर बंटे हुए दिखते हैं कांग्रेसी विधायक?

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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व्हिप के कारण हरियाणा विधानसभा में एकजुट दिखने वाली कांग्रेस, धरातल पर बंटे हुए दिखते हैं कांग्रेसी विधायक?
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चंडीगढ ;- हरियाणा कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई जग जाहिर है। हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ विधायक संख्या ज्यादा मानी जाती है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा के साथ हरियाणा के विधायको की संख्या कम कम मानी जाती हैं। अभी हाल ही में हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी व्हिप के कारण 30 के 30 विधायक एकजुट नजर आए और सभी ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। हरियाणा विधानसभा में कुछ देर के लिए एकजुट दिखने वाली कांग्रेस की धरातल पर वास्तविक स्थिति कुछ और ही है। यदि कांग्रेस संगठन को लेकर जिला, शहरी और ब्लॉक स्तर पर देखें तो वहां पर कांग्रेस की गुटबाजी साफ तौर पर दिखाई देती है! शैलजा गुट के कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के कार्यकर्मों से अपनी दूरी बना कर रखते हैं। इसका उदाहरण कुछ माह पहले हुए मेयर चुनाव में साफ देखने को मिला। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा से जब राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज के संपादक राणा ओबराय ने उनके निवास पर हुई प्रेसवार्ता में पूछा था कि आप पंचकूला मेयर के चुनाव में प्रत्याशी के हक में प्रचार में क्यों नहीं गए तो हुड्डा ने जवाब देते हुए कहा था कि मुझे पंचकूला के कांग्रेस प्रत्याशी ने प्रचार के लिए आमंत्रित ही नहीं किया था या यह कहें कि बुलाया ही नहीं था। हरियाणा के नेता प्रतिपक्ष और दो बार पूर्व में मुख्यमंत्री रहे हुड्डा जब प्रेसवार्ता में ऐसे बयान देते हैं कि मुझे मेयर प्रत्याशी ने बुलाया ही नहीं था तो इससे ज्यादा गुटबाजी ज्यादा देखने को नही मिल सकती है? कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम में इतने बड़े नेता को किसी के बुलाने की जरूरत नहीं थी। यदि वह कांग्रेस का हित समझते तो वह पंचकूला मेयर चुनाव में प्रत्याशी के हक में जरूर प्रचार करते। यदि हुड्डा पंचकूला में प्रचार करते तो इसमें कोई दो राय नहीं कि मेयर चुनाव में वहां भी कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी सीट जीत सकता था। इसी तरह सोनीपत में हुई मेयर चुनाव की सीट पर प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा भी प्रचार के लिए नहीं दिखी? हरियाणा कांग्रेस प्रभारी ने प्रदेश में संगठन को मजबूत करने के लिए एक अभियान चलाया है। जिसमें उन्होंने पर्यवेक्षक के रुप में कांग्रेस के नेताओं की ड्यूटी लगाई है। मेरा यह मानना है कि यह सिर्फ ड्रामेबाजी औऱ दिखावा है। वास्तविकता तो यह है कि प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा और नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की आपसी गुटबाजी के कारण जिला स्तर पर संगठन खड़ा करने वाली योजना भी ठंडे बस्ते में पड़ती नजर आएगी ?

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