केंद्र सरकार औऱ किसान संगठनों में 9वें राउंड की बातचीत में निकल सकता है कोई हल? दोनों तय कार्यक्रम के मुताबिक ही बातचीत को तैयार*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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केंद्र सरकार औऱ किसान संगठनों में 9वें राउंड की बातचीत में निकल सकता है कोई हल? दोनों तय कार्यक्रम के मुताबिक ही बातचीत को तैयार*
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दिल्ली ;- सुप्रीम कोर्ट की समिति के एक सदस्य के नाम वापस लेने के बाद और किसानों के समिति को विरोध करने के बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच नौवें दौर की वार्ता आज होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह साफ करते हुए कहा, दोनों पक्षों के बीच वार्ता 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे होगी। तोमर ने कहा, सरकार किसान नेताओं के साथ खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है। वहीं, किसान संगठनों ने भी कहा, हम भी तय कार्यक्रम के मुताबिक ही बातचीत को तैयार हैं। हालांकि, हम सुप्रीम कोर्ट की समिति के समक्ष पेश नहीं होना चाहते हैं। शुक्रवार को होने वाली वार्ता में अगर दोनों पक्ष लचीला रुख अपनाए तो इस मसले पर कोई सार्थक परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। उधर, किसान अभी भी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी को कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी को किसान देश का सिर ऊंचा करेंगे। दुनिया की सबसे ऐतिहासिक परेड होगी। एक तरफ से जवान चलेगा और एक तरफ से किसान चलेगा। इंडिया गेट पर हमारे शहीदों की अमर ज्योति पर दोनों का मेल मिलाप होगा। साथ ही उन्होंने बैठकर को लेकर कहा कि सरकार से बातचीत के लिए हम तैयार हैं। सरकार कृषि कानूनों को वापस ले, इसी संबंध में शुक्रवार को मुलाकात होगी। वहीं दूसरी तरफ क्रांति किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने भी कहा कि हम बातचीत के लिए कल (शुक्रवार) की बैठक में जाएंगे। बैठक में सरकार कैसे व्यवहार करेगी, इसके आधार पर हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए बनाई गई समिति के सदस्य भूपिंदर सिंह मान के इस्तीफे को सही ठहराया।इससे पहले किसानों की सबसे पहली वार्ता 14 अक्तूबर, 2020 को हुई। इसके बाद 13 नवंबर, एक दिसंबर, 2020 के बाद आठ जनवरी को भी वार्ता हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। ठीक एक हफ्ते बाद शुक्रवार को एक बार फिर दोनों पक्षों के बीच वार्ता में एजेंडा रखने की तैयारी हो चुकी है। अब विज्ञान भवन में वार्ता के शुरू होने के बाद, सभी को इंतजार है कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता से सरकार-किसानों के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए कोई रास्ता कैसे निकले। सुप्रीम कोर्ट की समिति से भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान के अलग होने का प्रदर्शनकारी किसानों ने स्वागत किया है। किसान नेताओं ने कहा, हम कोई समिति नहीं चाहते हैं और तीनों कानूनों को रद्द किए जाने से कम हमें कुछ भी मंजूर नहीं है। किसान नेताओं ने कहा, समिति के तीन अन्य सदस्यों को भी इससे अलग हो जाना चाहिए। किसानों ने कहा, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों पर किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध को सुलझाने के लिए किसी समिति के गठन की मांग ही नहीं की थी। वहीं, कुछ नेताओं ने मान को कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने का न्योता भी दिया। किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने समिति के सदस्यों को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा था कि इसके सदस्य पूर्व में तीनों कानूनों की पैरवी कर चुके हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, मान का फैसला अच्छा कदम है, क्योंकि किसान यूनियनों के लिए किसी भी समिति की कोई अहमियत नहीं है, क्योंकि संगठनों ने कभी इसकी मांग ही नहीं की थी। मान जानते हैं कि कोई भी किसान संगठन समिति के सामने पेश नहीं होगा, इसलिए उन्होंने यह निर्णय किया है।