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आतंक मचाने वाला बाघ वर्चस्व की लड़ाई में गंवा बैठा जान, वन्यजीव प्रेमियों में निराशा*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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आतंक मचाने वाला बाघ वर्चस्व की लड़ाई में गंवा बैठा जान, वन्यजीव प्रेमियों में निराशा*
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रेवाड़ी के धारूहेड़ा और झाबुआ क्षेत्र में घूमने वाले टाइगर एसटी 2303 की मौत हो गई है। यह वही बाघ है जिसे कुछ माह पहले राजस्थान और हरियाणा की वाइल्डलाइफ टीमों ने संयुक्त रूप से रेस्क्यू किया था और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (बूंदी, राजस्थान) में छोड़ा गया था। रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा रहे वन्यजीव प्रेमियों ने इस बाघ की अचानक हुई मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, इस युवा बाघ की मौत इलाके पर वर्चस्व की लड़ाई के दौरान वहां पहले से मौजूद एक बड़े नर बाघ के हमले में हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आना अभी बाकी है, जिससे मौत के सही कारणों की पुष्टि होगी। एसटी 2303 को सरिस्का टाइगर रिजर्व से दो बार रेवाड़ी में आया था। झाबुआ से पकड़कर इसे रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया था। दो दिन पहले ही इसे खुले जंगल में छोड़ा गया था। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार नर बाघ अपनी क्षेत्रीय सीमा को लेकर बेहद आक्रामक होते हैं और अपने इलाके को किसी अन्य बाघ के साथ साझा नहीं करते। अक्सर इस तरह की भिड़ंत में युवा बाघ मौजूदा ताकतवर नर बाघ से हार जाते हैं और मारे जाते हैं, एसटी 2303 के साथ भी ऐसा ही हुआ।करीब 200 किलो वजन का यह युवा बाघ बेहद सुंदर और स्वस्थ था। गुरुग्राम निवासी वन्यजीव प्रेमी अनिल के मुताबिक, इस बाघ से उनका खास लगाव था और वे लगातार अधिकारियों से इसके हालचाल पूछते रहते थे। अब इसकी अचानक मौत ने सभी को दुखी कर दिया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि टाइगर रिलोकेशन प्रोग्राम में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है, ताकि इस तरह के दुर्भाग्यपूर्ण हादसों से बचा जा सके। फिलहाल वन विभाग इस मामले की गहन जांच कर रहा है।

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