*आतिशी का दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने तक का सफर*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*आतिशी का दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने तक का सफर*
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आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने मंगलवार को मीडिया को जानकारी दी।
सीएम चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा, ”जब तक मैं सीएम हूं, मेरा एक ही मकसद है कि अरविंद केजरीवाल को दोबारा सीएम बनाना है. साथ ही मैं दिल्ली के लोगों की रक्षा करने की कोशिश करुंगी. मैं अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में काम करुंगी.”
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफ़े पर आतिशी ने कहा, “मुझे इस बात का दुख भी है कि आज अरविंद केजरीवाल इस्तीफ़ा दे रहे हैं. मैं आज दिल्ली की दो करोड़ जनता की तरफ़ से यही कहना चाहती हूं कि दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल है.”
इससे पहले गोपाल राय ने कहा कि आतिशी मुश्किल हालात में दिल्ली की सीएम बन रही हैं।
गोपाल राय ने आरोप लगाया, ”बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को तोड़ने और सरकार को गिराने की कोशिश की. लेकिन हमने उनकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया.”
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफ़े के बाद आतिशी को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने पर पार्टी के विधायक दल की बैठक में सहमति बनी।
विधायक दल की बैठक में खुद अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा।
रविवार को जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि वह दो दिन बाद इस्तीफ़ा दे देंगे, तभी से इस पद की दौड़ में आतिशी का नाम भी शामिल था।
हालांकि, उनके अलावा गोपाल राय और कैलाश गहलोत के साथ ही अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के नामों पर भी चर्चा थी.
लेकिन अब 43 साल की आतिशी के नाम पर मोहर लग गई है. विधानसभा चुनावों तक आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री रहेंगी.
*आतिशी के हक़ में गईं ये बातें?*
दरअसल, सोमवार को हुई बैठक के बाद आतिशी को इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था. केजरीवाल के जेल में रहते हुए आतिशी के पास सर्वाधिक मंत्रालय और विभाग रहे हैं.
उन्होंने मनीष सिसोदिया के शिक्षा मंत्री रहते, शिक्षा क्षेत्र में भी कई अहम काम किए थे और मनीष सिसोदिया की ग़ैर मौजूदगी में शिक्षा विभाग भी संभाला। माना जाता है कि आतिशी केजरीवाल की विश्वासपात्र हैं.
पार्टी से जुड़े कई सूत्रों ने भी बीबीसी से बातचीत में ये संकेत दिए थे कि मौजूदा परिस्थिति में वो ही सबसे आगे हैं.
*जब आतिशी को नहीं मिला था मंत्री पद*
2020 विधानसभा चुनाव के बाद केजरीवाल की कैबिनेट में आतिशी समेत किसी भी महिला को जगह नहीं मिली थी।
तब आतिशी को कैबिनेट में जगह ना दिए जाने को लेकर पार्टी के ही कुछ नेताओं ने इस कदम की आलोचना की थी.
ये वह चुनाव था जब आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. इनमें से आठ महिला विधायक थीं।
लेकिन इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल ने अपनी कैबिनेट में एक भी महिला नेता को जगह नहीं दी थी। लेकिन वक्त के साथ-साथ दिल्ली के राजनीतिक हालात भी बदले।
मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और फिर खुद अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद आतिशी सरकार से लेकर पार्टी तक के मसले पर मोर्चा संभालते दिखीं.
*आतिशी साल 2023 में पहली बार केजरीवाल सरकार में शिक्षा मंत्री बनीं, जब आतिशी ने हटाया था अपना उपनाम*
आतिशी को पहली बार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘आप’ ने उनको पूर्वी दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था. उस वक्त वह आतिशी मार्लेना के तौर पर जानी जाती थीं.
इससे पहले आतिशी आम तौर पर पर्दे के पीछे सक्रिय नेताओं में गिनी जाती थीं।
2019 में आम चुनावों के दौरान अचानक आम लोगों की भीड़ के सामने आतिशी के हाथ में माइक देखकर इसका अंदाज़ा होने लगा था कि वो चुनावी राजनीति में ‘आप’ की एक अहम महिला चेहरा बन सकती हैं। उसी चुनाव में प्रचार के दौरान आतिशी ने पार्टी के सभी रिकॉर्ड और चुनाव अभियान से जुड़े सभी कागज़ातों से अपना उपनाम यानी ‘मार्लेना’ हटा दिया था। उस समय भारतीय जनता पार्टी ने आतिशी के सरनेम की वजह से उन्हें विदेशी और ईसाई बताकर घेरना शुरू कर दिया था। हालांकि, आतिशी ने कहा था कि वह अपना सरनेम इसलिए हटा रही हैं क्योंकि वह अपनी पहचान साबित करने में समय बर्बाद नहीं करना चाहतीं.
दरअसल, आतिशी के माता-पिता को वामपंथी झुकाव वाला माना जाता है और कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन के नामों के अक्षरों को जोड़कर आतिशी को ‘मार्लेना’ सरनेम दिया गया था।
आतिशी के सरनेम पर छिड़े विवाद के बीच उस समय मनीष सिसोदिया उनके बचाव में उतरे और उन्हें ‘राजपूतानी’ बताया था।
*सिसोदिया ने एक ट्वीट में लिखा था,* “मुझे दुख है कि बीजेपी और कांग्रेस मिलकर हमारी पूर्वी दिल्ली की प्रत्याशी आतिशी के धर्म को लेकर झूठ फैला रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस वालों! जान लो- आतिशी सिंह है उसका पूरा नाम. राजपूतानी है. पक्की क्षत्राणी…झांसी की रानी है. बच के रहना. जीतेगी भी और इतिहास भी बनाएगी.”
2019 चुनाव में आतिशी तीसरे नंबर पर रही थीं और बीजेपी की टिकट पर गौतम गंभीर चुनाव जीते थे। हालांकि, इसके बाद आतिशी ने अपने एक्स हैंडल पर भी अपना सरनेम हटा दिया।