Thursday, September 19, 2024
Latest:
चंडीगढ़देश-विदेशहरियाणा

2014 में हुड्डा सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में रेगुलर हुए कर्मचारियों पर कोर्ट की लटकती तलवार*

राणा ओबराय
राष्ट्रिय खोज/भारतीय न्यूज़,
,,,,,,,,,,,,,,,,
2014 में हुड्डा सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में रेगुलर हुए कर्मचारियों पर कोर्ट की लटकती तलवार*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंड़ीगड़ :- हरियाणा में 2014 में हुड्डा सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में रेगुलर हुए कर्मचारियों पर कोर्ट की तलवार लटक रही लगती है । कल  30 नवम्बर को माननीय सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा बिहार सरकार बनाम कीर्ति नारायण प्रसाद नामक केस में दिए गए निर्णय जिसमें कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली सिविल अपील को स्वीकार करते हुए एक बार पुन: यह कहा है कि नियमों को ताक पर रखकर एवं पिछले दरवाज़े से सरकारी सेवा में रखे गए कर्मचारियों को  नौकरी में किसी भी प्रकार से नियमित/पक्का नहीं किया जा सकता, इसका सीधा असर हरियाणा सरकार द्वारा  पंजाब एवं  हरियाणा हाईकोर्ट के एक डिवीज़न बेंच द्वारा  31  मई 2018 को दिए गए निर्णय – योगेश त्यागी बनाम हरियाणा सरकार को चुनौती देने सम्बन्धी एस.एल.पी.- स्पेशल लीव पेटीशन (विशेष अनुमति याचिका) पर भी पड़ेगा। हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि अभी गत सोमवार 26  नवम्बर को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की एस.एल.पी. पर सुनवाई करते हुए इस मामले में स्टेटस-को (यथा-स्थिति) बरक़रार)  रखने  के आदेश दिए हैं। हेमंत के अनुसार यह  स्टेटस-को बरक़रार रखने  का सीधा कानूनी अर्थ तो यही निकलता है कि हाई कोर्ट के डिवीज़न बेंच द्वारा 31 मई  2018  को दिए गये फैसले, जिसमे 2014 में तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा बनायीं गयी नियमतिकरण की नीतियों, जिन्हें हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया,  के तहत नियमित/पक्के किये गए कर्मचारियों एवं अन्य सामान पदों पर सेवा कर रहे  कच्चे/तदर्थ कर्मचारियों को नौकरी से निकाला नहीं जाएगा हालाकि कुछ हलकों में इसका एक अर्थ यह भी  निकला जा रहा है  की चूँकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पंजाब एवं हरियाणा हाई हाई कोर्ट के डिवीज़न बेंच के 31 मई 2018 के निर्णय (योगेश त्यागी बनाम हरियाणा सरकार) के क्रियावनन पर स्पष्ट तौर पर कोई स्टे नहीं लगाया, तो सुप्रीम कोर्ट के स्टेटस-को बरक़रार  रखने के उक्त आदेश को स्वत: हाई कोर्ट के निर्णय का क्रियावनन करने पर  स्टे कैसे समझा जा सकता है ? एडवोकेट हेमन्त ने पुन: मांग की है कि हरियाणा सरकार को इस आशय में एक सरकारी विज्ञप्ति जारी कर इस स्थिति को पूर्ण रूप से स्पष्ट करना चाहिए जिससे कोई संशय उत्पन्न न हो। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने  हरियाणा सरकार द्वारा दायर एस.एल.पी. को अर्थात जिसमे वह  वादी है को मदन सिंह द्वारा दायर अन्य एस.एल.पी. के साथ, जिसमे हालाकि हरियाणा सरकार प्रतिवादी है, के साथ आगामी जनवरी,2019  में  लिस्ट करने के आदेश दिए है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!