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चंडीगढ़ निगम कमिश्नर मित्रा ने चंडीगढ़ रेजिडेंट्स एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा शहर में स्वच्छता बनाये रखने के लिए शहरवासियों को ही आगे आना होगा*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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चंडीगढ़ निगम कमिश्नर मित्रा ने चंडीगढ़ रेजिडेंट्स एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा शहर में स्वच्छता बनाये रखने के लिए शहरवासियों को ही आगे आना होगा*
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चंडीगढ़ ;- सिटी बीयूटीफुल चंडीगढ़ को स्वच्छता में आगे ले जाने के लिए सभी शहरवासियों को आगे आना होगा। निगम के सिर्फ 10 हजार कर्मी 12 लाख लोगों के शहर को ठीक नहीं कर सकते। चंडीगढ़ नगर निगम कमिश्नर अनंदिता मित्रा ने यह बात कल चंडीगढ़ रेजिडेंट्स एसोसिएशन वेलफेयर फेडरेशन के एक कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि शहर में सफाई में चंडीगढ़ 66वें नंबर पर है। अगर निगम अकेले की जिम्मेदारी होती तो शायद 33वें नंबर पर हो जाता। 50 प्रतिशत जिम्मेदारी लोगों की बनती है जो जिम्मेदार नहीं हैं। नगर निगम कमिश्नर ने कहा कि वह (निगम) सरकार हैं और सरकार की जिम्मेदारी और गलतियां दोनों ज्यादा होती हैं। वहीं जिम्मेदारी भी ज्यादा होती है और ड्यूटी भी ज्यादा होती है।
कमिश्नर ने उनके स्वागत में CRAWFED द्वारा प्लास्टिक से रैप किए हुए फूल भेंट करने और प्लास्टिक बोतल में पानी रखने पर कहा कि हमें चंडीगढ़ को स्वच्छता में आगे ले जाना है। सभी लोगों की जिम्मेदारी बनती है। निगम कमिश्नर ने लोगों को सरकार द्वारा किए जाने वाले अच्छे कामों की प्रशंसा करने के लिए एक उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा कि अगर हाउसवाइफ को कह दें कि दाल बहुत स्वाद बनी है तो वह कोशिश करती है कि अगली बार दाल और स्वाद बन जाए। वहीं जिस दिन कह देंगे के कि दाल में नकम नहीं था तो मान कर चलिए की दूसरे दिन आपको खाना बहुत बुरा मिलेगा। ऐसे में निगम का भी यही हाल है। अगर आप कहते रहें कि आप अच्छा काम कर रहे हैं तो हम और अच्छा काम करेगें। वहीं आप कहते रहें कि हम बहुत बुरा काम करते हैं तो हम कहेंगे कि वैसे ही हमारी रेपुटेशन इतनी खराब है तो कोई बात नहीं, रहने ही देते हैं। कमिश्नर ने कहा कि वह(निगम) भी उनकी प्रशंसा और शब्दों के भूखे हैं। कमिश्नर ने कहा कि निगम को और कोशिश करने की ज़रुरत है। कमिश्नर ने कहा कि वह इस मीटिंग में वह अपने साथ चीफ इंजीनियर को इसलिए साथ लाई हैं क्योंकि चंडीगढ़ में आधे मुद्दे इंजीनियरिंग विभाग के होते हैं और आधे मुद्दे एमओएच विंग के होते हैं। वहीं इसके अलावा ज्यादा कोई बड़ा मुद्दा नहीं होता। कमिश्नर ने कहा कि शहर में ज्यादातर समस्या पार्कों में आ रही है। कमिश्नर ने कहा कि निगम के पास शहर में कुल 1,800 पार्क हैं। किसी पार्क में फुटपाथ टूटा हुआ है और कहीं जिम टूटा हुआ है। उन्होंने कहा कि एक बार निगम को फिर से ऐसे नेबरहुड पार्कों का दौरा करने की ज़रुरत है। इंफ्रास्ट्रचर में कमी को देखना होगा। वहीं मेंटेनेंस पर भी ध्यान देने की ज़रुरत है। उन्होंने कहा कि पार्कों में घास बड़ी होती है और उन्हें काटना भी होगा। वहीं पार्कों में कचरे के डिब्बे भी भरेगें और उन्हें खाली करना पड़ेगा। पार्कों में लेवलिंग का मुद्दा भी बना हुआ है। कमिश्नर ने कहा कि शहर के पार्कों में झूले और जिम का टूटा सामान रिप्लेस करने को कहा गया है। इसके टेंडर भी जारी हो चुके हैं। कुछ जगहों पर रिप्लेसमेंट हो भी चुकी है।
कमिश्नर ने कहा कि पेड़ों की प्रूनिंग और खतरनाक पेड़ों को हटाने की प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है और नोटिफाई कर दिया गया है। अभी सिर्फ सॉफ्टवेयर में बदलाव रह गया है। अगले दो सप्ताह में यह काम भी हो जाएगा। इसके तहत पेड़ों से जुड़े फैसले लेने की पावर विभाग के मुखी को दे दी गई हैं। निगम अपने स्तर पर फैसला ले सकेगी। वहीं प्रशासन अपना और फॉरेस्ट विभाग अपने अंतर्गत आते पेड़ों पर फैसला ले पाएगी।
कमिश्नर ने कहा कि शहर में पेड़ गिरने से बड़ा हादसा हुआ है मगर शहर को अगर अभी तक वह पेड़ों ने बचा कर भी रखा है। कमिश्नर ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ शहरों में लोगों को प्रदूषण के चलते मास्क पाकर घूमना पड़ता है। वहीं अगर चंडीगढ़ में लोग अच्छे से सांस ले पा रहे हैं तो वह पेड़ों की बदौलत है।
कमिश्नर ने कहा कि हैरिटेज ट्री हादसे के बाद से हजारों की संख्या में उन्हें पेड़ों से जुड़ी शिकायतें आई हैं। कुछ शिकायतें सही हैं और कई शिकायतें फोबिया की वजह से भी आई हैं कि पेड़ गिरने से कुछ हो न जाए। उन्होंने कहा कि शहर को बनाते वक्त इसके आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए और हमारे बुजुर्गों ने पेड़ों का अहम हिस्सा रखा था। कमिश्नर ने कहा कि उनके भी 2 कनाल की सरकारी कोठी में पेड़ है। वहां भी पेड़ थोड़ा झुका हुआ है, लगता है कि कहीं गिर न जाए। कमिश्नर ने कहा कि प्रूनिंग की प्रक्रिया भी सरल कर दी गई है। वहीं कमिश्नर ने साफ किया है कि निगम पेड़ों में भेदभाव के आधार पर उनकी कटिंग नहीं करेगी। एक सवाल के जवाब में कमिश्नर ने कहा कि आरडब्यूए को पेड़ों की कटाई की मंजूरी देना संभव नहीं होगा। एक सिटीजन ने कहा कि शहर में किसी के चाहे बेटा हो या बेटी हो, किन्नर 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए के बीच मांगते हैं। इससे कम में वह तैयार नहीं होते। परिवार वाले और पड़ोसी काफी दुखी हो जाते हैं और किन्नर किसी की बात नहीं मानते। उन्होंने कमिश्नर को कहा कि कुछ ऐसा प्रबंध हो कि परिवार बच्चे के जन्म पर खुशी मनाते हुए अपनी समर्थता के अनुसार किन्नरों को शगुन दे सके। कमिश्नर ने कहा कि यह मुद्दा उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। हालांकि वह देखेंगी की क्या इस पर कुछ किया जा सकता है। मीटिंग के दौरान लोगों ने कहा कि गार्बेज कलेक्टर भी काफी समस्या खड़ी करते हैं। उनकी कोई टाइमिंग नहीं होती। कई बार वह आते तक नहीं हैं। निगम कमिश्नर ने कहा कि लगभग 2 महीने पहले निगम ने अपनी 585 कूड़े की गाड़ियों का रिव्यू किया था कि क्या वह समय पर सही जगह जा रही हैं। एक दिन में 12,000 प्वांइट्स पर गाड़ी या तो समय पर नहीं पहुंची या पहुंची ही नहीं थी। हर गाड़ी पर जीपीएस लगा है। आईसीसीसी, सेक्टर 17 से निगम के 5 कर्मियों की टीम इन गाड़ियों को मानीटर करती है। वहां पर अलर्ट जारी हो जाता है। अब स्थिति काफी बेहतर है। अब लगभग सिर्फ 3 हजार प्वाइंट्स पर ऐसा हो रहा है। कमिश्नर ने कहा कि जल्द ही शहर को और अच्छे से इस दिशा में सेवाएं दी जा सकेंगी। कमिश्नर ने कहा कि घरों के बिल्डिंग प्लान में गाड़ी अंदर खड़ी करने का प्रावधान है। हालांकि कई लोगों ने अंदर बगीचे आदि बना लिए हैं और गाड़ियां बाहर खड़ी करते हैं। ऐसे में एस्टेट ऑफिस के तहत नोटिस भिजवाए जा रहे हैं। लोग अगर घरों में गाड़ियां खड़ी करने लगे तो पार्किंग की समस्या आधी से ज्यादा खत्म हो जाएगी।
प्रॉपर्टी टैक्स के मुद्दे पर कमिश्नर ने बताया कि 10 रुपए का फाइन प्रतिदिन 10 पैसे करने के मुद्दे को प्रशासक के पास भेजा गया है। वहीं पुरानी वन टाइम पैनल्टी को छोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है। वहीं कमिश्नर ने कहा कि लोगों को एक नागरिक के रुप में कानून और नियमों की जानकारी होनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि अपराध कर के कह दें कि हमें पता नहीं था।

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