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पंजाब सीएम का बड़ा एलान, कृषि आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को 5-5 लाख रुपए व नौकरी देगी सरकार*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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पंजाब सीएम का बड़ा एलान, कृषि आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को 5-5 लाख रुपए व नौकरी देगी सरकार*
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चंडीगढ़ ;- कृषि कानूनों के मुद्दे सम्बन्धी अकालियों और आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए और केंद्र सरकार की तरफ से इन कानूनों को रद्द करने से इन्कार किये जाने को ‘अमानवीय’ करार देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को राज्य के हर उस किसान के पारिवारिक मैंबर के लिए नौकरी का ऐलान किया है जो इन काले कानूनों के खि़लाफ़ संघर्ष दौरान मारा गया है। यह सवाल करते हुए कि ‘‘केंद्र सरकार इन कानूनों को रद्द करने से क्यों भाग रही है?’’, मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को ये कानून रद्द करके किसानों के साथ बैठकर बातचीत करनी चाहिए और सभी सम्बन्धित पक्षों के साथ सलाह-परामर्श के बाद नये कानून बनाने चाहिएं। यह स्पष्ट करते हुए कि भारत के संविधान में भी कई बार संशोधन हो चुका है, उन्होंने पूछा कि भारत सरकार यह कानून वापस न लेने पर क्यों अड़ी हुई है।केंद्र सरकार की तरफ से सिफऱ् अपने बहुमत के ज़ोर पर बिना किसी चर्चा के संसद में ये कानून पास करवाने के लिए केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी कीमत सारा देश चुका रहा है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि ‘‘क्या देश में कोई संविधान है? कृषि अनुसूची-7 के अंतर्गत राज्यों का विषय है इसलिए केंद्र की तरफ से प्रांतीय मामले में दखल क्यों दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र ने बिना किसी को पूछे इन कानूनों को अमली जामा पहना दिया जिस कारण सबको इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि लॉकडाऊन के दौरान जब समूचा उद्योग ठप्प हो गया था तो उसके बाद हालात सामान्य हो रहे थे और इसी समय खेती कानून थोप दिए गए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की तरफ से किसानों और कृषि पर पडऩे वाले प्रभाव का ख़्याल किये बिना ही ये कानून लागू कर दिए गए। यह साफ़ करते हुए कि ‘‘हम किसानों के साथ हैं और उनके साथ खड़े रहेंगे’’, मुख्यमंत्री ने ‘कैप्टन से सवाल’ के 20वें फेसबुक लाइव सैशन के अवसर पर कहा कि पंजाब सरकार और राज्य का हर नागरिक किसानों की हिमायत करता है। उन्होंने कहा ‘‘दिल्ली की सरहद पर बैठे हमारे किसानों की पूरे पंजाबियों को चिंता है क्योंकि वह केंद्र सरकार पर उन कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव डालने हेतु उस स्थान पर डटे हुए हैं जो कानून हमें बिना विश्वास में लिए लागू कर दिए गए थे।’’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा ‘‘बड़ी संख्या में बुज़ुर्ग भी उन सरहदों पर अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चों और पोते-पोतीयों के भविष्य के लिए बैठे हुए हैं।’’मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि दुख की बात तो यह है कि ‘‘ठंड के कारण हर दिन हम अपने किसानों की जानें गंवा रहे हैं और अब तक तकरीबन 76 किसानों की मौत हो चुकी है।’’ उन्होंने यह भी बताया कि मारे गए किसानों के परिवार को 5 लाख रुपए तक का मुआवज़ा दिए जाने के अलावा उनकी सरकार की तरफ से इन किसानों के परिवार में से एक मैंबर को नौकरी भी प्रदान की जायेगी।’’फिऱोज़पुर निवासी की तरफ से किये गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि अकाली दल और आम आदमी पार्टी कृषि सुधारों वाले उच्च स्तरीय कमेटी के मुद्दे पर झूठ फैला रही है। आर.टी.आई. के जवाब में दोनों के झूठ का पर्दाफाश हो गया है। इस बात की तरफ इशारा करते हुए कि शुरुआत में तो पंजाब कमेटी का हिस्सा ही नहीं था, उन्होंने कहा कि उनके (मुख्यमंत्री) द्वारा केंद्र को लिखने के बाद ही पंजाब का नाम शामिल किया गया जब तक कमेटी की पहली मीटिंग राज्य की नुमायंदगी के बिना ही हो चुकी थी। दूसरी मीटिंग में मनप्रीत सिंह बादल शामिल हुए जिसमें वित्तीय मामलों पर विचार किया गया जबकि तीसरी और आखिरी मीटिंग में कोई राजनीतिज्ञ नहीं बुलाया गया और सिफऱ् कृषि सचिव ही शामिल हुए।कैप्टन अमरिन्दर सिंह तरन तारन निवासी के साथ सहमत हुए कि केंद्र अहंकारी है और खेती कानूनों के किसानों पर पडऩे वाले प्रभावों के बारे नहीं सोच रही। यह पूछे जाने पर कि इस मुल्क में लोकतंत्र नहीं रहा तो उन्होंने कहा, ‘आपको यह बात केंद्र सरकार को कहनी चाहिए कि भारत अब एक लोकतांत्रिक मुल्क नहीं रहा।’ मुख्यमंत्री इस बात के साथ सहमत हुए कि जब किसान जिनके लिए यह कानून बनाऐ हैं अगर वही यह कानून नहीं चाहते तो इनको रद्द क्यों नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, ‘यह मानवता के विरुद्ध है।’मुख्यमंत्री ने यह बात जोर देते हुये कहा कि देश भर से सभी किसान जत्थेबंदियों के नुमायंदें दिल्ली बार्डरों पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अब पूरे देश के किसानों का है न कि अकेले पंजाब के किसानों का। उन्होंने यह बात याद की कि किसानों को 1966 से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) मिल रहा है और कांग्रेस ने पहले शुरुआत की थी। अब कोई भी यह दुविधा न रखे कि यह जारी रहेंगे क्योंकि इन खेती कानूनों का उद्देश्य एम.एस.पी. और मंडी व्यवस्था को खत्म करना है। उन्होंने कहा, ‘और अगर यह हो गया तो केंद्र की तरफ से मौजूदा समय की जा रही अनाज की खरीद से की जाती सार्वजनिक प्रणाली (पी.डी.सी.) भी खत्म हो जायेगी। गरीबों को कौन अनाज देगा?’कुछ किसानों और किसान आंदोलन के समर्थक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) केे नोटिस भेजे जाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने न्यूजीलैंड पंजाबी वीकली के समाचार संपादक को कहा कि यह गलत कदम है और वह जल्द ही केंद्र गृह मंत्री को इस मामला के बारे लिखेंगे। यहां तक कि खालसा एड, जो वैश्विक स्तर पर काम करती है, को भी नहीं बक्शा गया। उन्होंने कहा, ‘पंजाबियों को प्यार के साथ मनाएं और मान लेंगे…. आप लाठी उठाओगे, वह भी लाठी उठा लेंगे।’

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