चंडीगढ़ नगर निगम की हंगामेदार रही बैठक, सदस्यों ने सेक्टर-22 अवैध पार्किंग मामला की सीबीआई जांच की करी मांग*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ़ नगर निगम की हंगामेदार रही बैठक, सदस्यों ने सेक्टर-22 अवैध पार्किंग मामला की सीबीआई जांच की करी मांग*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ़ ;- नगर निगम की शुक्रवार को हुई बैठक जहां हंगामे भरी हुई वहीं पर चर्चा के लिए आए एजेंडों की बारी के समय अधिकारियों व पार्षदों को एहसास हुआ कि जो एजेंडे आए हैं वे बिना होमवर्क किए ही आए हैं। जिस वजह से कालोनी में अवैध तौर पर निर्मित मकानों के वनटाइम चार्ज लेकर नियमित करने, शहरो के कम्युनिटी सेंटर के संचालन-रखरखाव और लाल डोरे से बाहर अवैध पानी के कनेक्शन को चार्ज लेकर नियमित करने के प्रस्तावों के आकलन, अध्यन और समीक्षा के लिए कमेटी गठन करने का निर्णय लेना पड़ा। हालांकि इस सब पर सदन में हंगामा भारी पड़ गया जब लाल डेरे से बाहर के एजेंडे में गांवासियों से चार्ज लेने को लेकर की जा रही चर्चा के दौरान पांचों कांग्रेसी पार्षद हाथ में बनैर लिए सदन के बीचो-बीच आ गए। कांग्रेसी पार्षदों ने मेयर, निगम आयुक्त और मीडियो को बैनर दिखाते स्मार्ट वॉच लागू करने का फैसला कैंसिल करो , तीन गुणा बड़े पानी के रेट्स वापिस लो, ओउटसोर्से कर्मचारियों को रेगुलर करो तथा सैक्टर 22 की अवैध पार्किंग की सीबीआई जांच कराने की मांग की। हंगामे के दौरान बीजेपी पार्षदों ने तंज कस दिया कि मीडिया की मौजूगी में अगर फोटो खिंचा ली है तो अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाएं। तब कांगे्रेसी पार्षदों ने कहा कि हम शहर के लिए आए हैं फोटो खिंचाने नहीं आए हैं। माहौल तब ज्यादा गर्म हो गया जब दल-बदल के एक-दूसरे पर आरोप लगाए लगने शुरू हो गए। दल बदल की आरोप में मुख्य केंद्र मेयर राजबाला मलिक और पार्षद सतीश कैंथ निशाने पर रहे। इससे पूर्व कांग्रेस पार्षद एवं पूर्व डिप्टी मेयर सतीश कुमार कैंथ ने कहा कि प्रशासन द्वारा कराए गए सर्वे के दौरान स्ट्रीट वेंडर्स के साथ भारी गड़बड़ हुई। जिसके चलते सैंकड़ों स्ट्रीट वेंडर्स आज दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं। इसके चलते उनमें त्राहि-त्राहि मची हुई है।
कैंथ ने कहा कि सर्वे के दौरान ही उन्होंने सर्वे टीम द्वारा किए गए सर्वे की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े किए थे, किन्तु उस वक्त उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया। आज उसी के कारण यह गरीब तबके के मजदूर रोजी रोटी के लिए परेशान हैं। इस बीच निगम कमिश्नर ने उनकी बात में दखल देते हुए कहा कि आपने तत्कालीन सदन बैठक में संबंधित प्रस्ताव पर जो कुछ कहा था उसका पता कैसे चलेगा। जवाब में कैंथ ने कहा कि उस बैठक की वीडियो और ऑडियो रिकार्डिंग निकलवाकर जांच की जाए, इससे कुछ हल निकल सकता है। बीच में सत्ताधारी पक्ष के एक पार्षद ने मजाकिया लहजे में कहा कि इस बात के लिए इतनी ज्यादा चमचागिरी भी ठीक नही है। जवाब में कमिश्नर ने नगर निगम के सेक्रेटरी को ‘चमचागिरी’ जैसे शब्द रिकार्ड से डिलीट करने के निर्देश दिए। यादव का कहना था कि सदन की मर्यादा में रहकर ही बात होनी चाहिए। ऐसा नहीं कि पार्षद ने जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया उसी को रिकार्ड कर लिया गया। उन्होंने पार्षदों से भी सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की। बहस में भाग लेते हुए भाजपा के अनिल कुमार दूबे ने कहा कि वह भी कैंथ की बात का समर्थन करते हैं। स्ट्रीट वेंडर्स गरीब तबके से आते हैं। ज्यादातर यह लोग उन्हीं के ही वार्ड से हैं, इसलिए वह चाहेंगे कि स्ट्रीट वेंडर्स को न्याय मिले। पूर्व मेयर राजेश कालिया ने ठेके पर रखे सफाई कर्मियों के वेतन में विलंब होने का मामला उठाते हुए कहा कि उनके साथ अन्याय हो रहा है। जवाब में कमिश्नर का कहना था कि त्यौहारी सीजन में उनकी सैलरी रोकने की नहीं बल्कि भुगतान के आदेश जारी किए थे। जिसके लिए उनके पास फंड भी था, किन्तु पूरा
हिसाब किताब बाद में देने की बात कही गई थी।
सचिन लोहटिया ने भी सफाई कर्मियों की परेशानी को लेकर बहस में भाग लिया। इस दौरान जीपीएस वॉच पर भी सवाल खड़े किए गए। माइक ढंग से काम न करने पर भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने पोर्टेबल माइक का सहारा लिया। जिस पर कांग्रेस के देवेंद्र सिंह बबला और कैंथ ने ऐतराज जताया। कमिश्नर ने चीफ इंजीनियर को कार्रवाई संबंधी चर्चा को चेक करने को कहा, कि माइक से आवाज आ रही है या नहीं यह सुनिश्चित करें। बिग स्क्रीन पर चल रही बहस की वर्डिंग स्पष्ट रूप से सुनाई नहीं दे रही थी। अधिकारी इसके ठीक करने में लगे रहे।