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सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा वकील पंजीकरण पर वैधानिक शुल्क के अतिरिक्त कोई ‘वैकल्पिक’ शुल्क नहीं ले सकते!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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सुप्रीम कोर्ट ने बार कौंसिल को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा वकील पंजीकरण पर वैधानिक शुल्क के अतिरिक्त कोई ‘वैकल्पिक’ शुल्क नहीं ले सकते!*
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सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) कानून की डिग्री हासिल कर चुके स्नातकों से वकील के रूप में पंजीकरण के लिए कोई भी “वैकल्पिक” (optional) शुल्क नहीं वसूल सकते हैं। कोर्ट ने अपने पिछले फैसले का कड़ाई से पालन करने का आदेश देते हुए कर्नाटक राज्य बार काउंसिल को तत्काल प्रभाव से ऐसी कोई भी अतिरिक्त राशि वसूलना बंद करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
*अवमानना याचिका की पृष्ठभूमि*
यह मामला के.एल.जे.ए. किरण बाबू द्वारा दायर एक अवमानना याचिका के माध्यम से अदालत के समक्ष आया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि 30 जुलाई, 2024 के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में दिए गए निर्देशों का कर्नाटक राज्य बार काउंसिल द्वारा सही भावना से पालन नहीं किया जा रहा है। उस फैसले में कोर्ट ने पंजीकरण के लिए अत्यधिक शुल्क लेने पर रोक लगा दी थी
पक्षों की दलीलें इस याचिका के जवाब में, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक हलफनामा दायर कर दावा किया कि सभी राज्य बार काउंसिल अदालत के निर्देशों का पालन कर रहे हैं।

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