पीयू में प्रदर्शन मामले में हाईकोर्ट एडवाइस स्टूडेंट्स हो तो कक्षाओं और लाइब्रेरी में रहो / संस्थान में प्रवेश लिया है तो नियमों को मानें*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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पीयू में प्रदर्शन मामले में हाईकोर्ट एडवाइस स्टूडेंट्स हो तो कक्षाओं और लाइब्रेरी में रहो / संस्थान में प्रवेश लिया है तो नियमों को मानें*
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चंडीगढ़ ;- किसी भी धरना प्रदर्शन से पहले पंजाब यूनिवर्सिटी की अनुमति लेने और ऐसा न होने पर दाखिला रद्द होने की प्रवेश के समय अंडरटेकिंग देने की शर्त को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि विद्यार्थी हो तो लाइब्रेरी और कक्षाओं में रहो, प्रदर्शन के लिए कहीं और नहीं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि विद्यार्थी पढ़ना चाहते हैं या संगठन बनाना चाहते हैं। मेरा खुद का मध्य प्रदेश का अनुभव है। 10 साल के लिए छात्र संगठन बैन थे और तब सब खुश थे। हालांकि, हाईकोर्ट ने याचिका पर पीयू व अन्य को नोटिस जारी कर दिया है।
बठिंडा निवासी परमप्रीत सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि यदि विद्यार्थी कक्षाएं बाधित करते हैं तो विश्वविद्यालय उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है लेकिन संविधान प्रदत्त विरोध के मूल अधिकार से पहले ही छात्रों को वंचित करना न्यायोचित नहीं है। याचिका में उस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई गई है, जिसमें यह कहा गया है कि प्रदर्शन, धरना या रैली के दौरान बाहरी व्यक्ति को शामिल नहीं किया
जाएगा ताकि कोई अनुचित स्थिति उत्पन्न न हो।
हाईकोर्ट से कहा गया कि इस प्रकार की अंडरटेकिंग छात्रों के अधिकार को प्रभावित करती है। याची ने कहा कि यह भी स्पष्ट नहीं है कि अनुमति किस से लेनी।है। यदि अनुमति नहीं दी जाती है तो अपील का प्रावधान नहीं है। कैसे पता चलेगा कि समस्या असल में सही है या नहीं। पंजाब यूनिवर्सिटी में जो शर्तें लगाई हैं उस से छात्रों के सर पर हमेशा तलवार लटकी रहेगी। कोर्ट ने कहा कि छात्र पढ़ने के लिए आए हैं उन्हें कक्षाओं में या लाइब्रेरी में होना चाहिए कहीं और नहीं। कोर्ट ने कहा कि आम आदमी का मामला अलग है, आप पढ़ने वाले छात्र हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि या तो संस्थान में प्रवेश न लें या फिर संस्थान के नियमों को मानें।

