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*हरियाणा स्वास्थ्य विभाग का कड़ा कदम / लिंगानुपात में सुधार नही तो डॉक्टरों को विदेश यात्रा का भी नही मिलेगा अनापत्ति प्रमाण पत्र*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*हरियाणा स्वास्थ्य विभाग का कड़ा कदम / लिंगानुपात में सुधार नही तो डॉक्टरों को विदेश यात्रा का भी नही मिलेगा अनापत्ति प्रमाण पत्र*
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चंडीगढ़ ;- लिंगानुपात में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग कोई नरमी नहीं बरतना चाहता। स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि यदि किसी इलाके में लिंगानुपात में सुधार नहीं मिलता है तो ऐसे डॉक्टरों को विदेश यात्रा के लिए दिया जाने वाला अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। यह फैसला बीते दिनों हुई स्टेट टास्क फोर्स की बैठक में लिया गया है। हालांकि इस फैसले से डॉक्टरों में रोष भी है। वहीं, विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जन, आयुष विभाग व एमटीपी के मेडिकल आफिसरों को निर्देश दिए हैं कि बीएएमएस क्लीनिक व नर्सिंग होम के साथ समन्वय बनाएं और हर सप्ताह दस क्लीनिक व नर्सिंग होम की जांच करें। यदि कोई अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। एमटीपी सेंटर के अलावा कुछ नर्सिंग होम भी अवैध गर्भपात की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।
*आईवीएफ केंद्रों पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश*
बैठक में आईवीएफ केंद्रों पर निगरानी बढ़ाने के भी निर्देश जारी किए गए हैं। अब हर आईवीएफ केंद्र को हर महीने पीजीटी (प्रीइंप्लाटेंशन जेनेटिक टेस्टिंग ) की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को देनी होगी। दरअसल आईवीएफ के दौरान भ्रूण में आनुवंशिक रोगों की जांच के लिए पीजीटी टेस्ट करवाते हैं। इस दौरान भ्रूण लिंग की भी जांच की कोशिश होती है। स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि कुछ अनैतिक क्लीनिक इस गतिविधि में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में इन पर शिकंजा कसना जरूरी है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने एक या एक से अधिक स्वस्थ्य जीवित बालिकाओं वाली महिलाएं आईवीएफ के माध्यम से यदि दूसरा बच्चा चाहती हैं तो उन्हें डीसी व सीएमओ की गठित कमेटी से स्वीकृति लेनी होगी।
*82 गर्भपात घर व 60 निजी केंद्रों में किए गए*
पिछले दिनों में स्वास्थ्य विभाग ने 204 गर्भपात की जांच की, जिसमें पता चला है कि भिवानी में 30, सोनीपत में 76, झज्जर में 63, फतेहाबाद में 27 और भिवानी में 30 गर्भपात हुए। इनमें से 82 गर्भपात घर पर, 60 निजी केंद्र, छह प्रदेश से बाहर और 50 गर्भपात सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में हुए हैं। इनका विश्लेषण करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने झज्जर में 50 और भिवानी में छह सहेली को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। सहेली एक आशा कार्यकर्ता होती है जो गर्भावस्था की निगरानी के लिए गर्भवती महिलाओं से जुड़ी होती है। उनसे गर्भपात की स्थिति में स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित करने की अपेक्षा की जाती है।

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