चंडीगढ़ नगरनिगम में बायोमेट्रिक हाजिरी हुई अनिवार्य*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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चंडीगढ़ नगरनिगम में बायोमेट्रिक हाजिरी हुई अनिवार्य*
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चंडीगढ़ (रमेश गोयत) ;- चंडीगढ़ नगर निगम ने फर्जी कर्मचारियों और वित्तीय गड़बड़ियों पर शिकंजा कसने के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि 1 अप्रैल 2025 से सभी कर्मचारियों को बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करनी होगी, अन्यथा उन्हें वेतन नहीं मिलेगा।
फर्जी कर्मचारियों का नेटवर्क होगा बेनकाब
नगर निगम के विभिन्न विभागों, खासकर स्वास्थ्य विभाग (एमओएच) में कई आउटसोर्सिंग कर्मचारी केवल कागजों में मौजूद थे, लेकिन उनका वेतन निगम के खाते से जा रहा था। इनमें से कई कर्मचारी मोहाली और चंडीगढ़ में नेताओं, पार्षदों और अधिकारियों के फार्महाउस और कोठियों में घरेलू नौकर के रूप में काम कर रहे थे। अब जब बायोमेट्रिक प्रणाली लागू होगी, तो जो कर्मचारी वास्तविक रूप से मौजूद नहीं होंगे, उनका वेतन भी बंद हो जाएगा।
वित्तीय संकट से जूझ रहा है निगम
नगर निगम कर्मचारियों के वेतन भुगतान में लगातार देरी कर रहा है। पिछले कुछ महीनों से आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, जिससे वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। निगम के अधिकारियों का कहना है कि हर महीने करोड़ों रुपये फर्जी कर्मचारियों के नाम पर निकल जाते हैं, जिससे वित्तीय संकट गहराता जा रहा है।
कैसे लागू होगी बायोमेट्रिक हाजिरी प्रणाली?
नगर निगम की आईटी शाखा इस पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने के लिए तीन चरणों में काम करेगी—
7 मार्च 2025 तक:
सभी नियमित, अनुबंधित और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सिस्टम में पंजीकरण कराना होगा।
सभी को अपने स्मार्टफोन पर आधार बेस/आधार फेस एप डाउनलोड कर चेहरे की पहचान के जरिए उपस्थिति दर्ज करनी होगी।
3 मार्च से 13 मार्च 2025 तक:
सभी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
हर विभाग में एक सिंगल पॉइंट ऑफ कॉन्टैक्ट नियुक्त किया जाएगा, जो पूरे सिस्टम की निगरानी करेगा।
15 मार्च से 31 मार्च 2025 तक:
परीक्षण चरण (ट्रायल रन) चलेगा, जिसमें यह देखा जाएगा कि सिस्टम सही से काम कर रहा है या नहीं।
1 अप्रैल 2025 से:
बायोमेट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी, और इसी आधार पर कर्मचारियों का वेतन जारी किया जाएगा।
सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा स्वास्थ्य विभाग में!
चंडीगढ़ नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग (एमओएच) में सबसे ज्यादा फर्जी कर्मचारी होने की आशंका जताई जा रही है।
कई कर्मचारियों का नाम रजिस्टर में दर्ज है, लेकिन वे कभी काम पर नहीं आते।
कुछ कर्मचारी पार्षदों, नेताओं और अधिकारियों के घरों में काम कर रहे हैं, लेकिन वेतन निगम से ले रहे हैं।
सफाई कर्मचारियों की फर्जी भर्ती के कई मामले सामने आए हैं, जिनकी कोई शारीरिक उपस्थिति नहीं है।
क्या कह रहे हैं निगम अधिकारी?
नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “अब हर कर्मचारी की उपस्थिति बायोमेट्रिक तरीके से रिकॉर्ड होगी, जिससे फर्जीवाड़ा खत्म होगा। इस प्रणाली से निगम को हर महीने लाखों रुपये की बचत होगी।”
कई नियमित और अनुबंधित कर्मचारी इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन कुछ आउटसोर्सिंग कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं।
उनका कहना है कि “नगर निगम को पहले उनकी वेतन देरी की समस्या हल करनी चाहिए, फिर हाजिरी सिस्टम लागू करना चाहिए।”
कुछ कर्मचारी यह भी कह रहे हैं कि “अगर यह प्रणाली लागू होती है, तो कई प्रभावशाली लोगों की पोल खुल जाएगी।”
पार्षदों और अधिकारियों में मचा हड़कंप
जो पार्षद और अधिकारी अपने रिश्तेदारों या करीबी लोगों को बिना काम के वेतन दिलवा रहे थे, वे अब डर रहे हैं।
कुछ पार्षदों ने इस फैसले का विरोध किया है, लेकिन नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार ने साफ कर दिया है कि “अब किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
निगम कर्मचारियों के लिए क्या बदलेगा?
हर कर्मचारी को अब मोबाइल एप या बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी लगानी होगी। काम पर नहीं आने वालों का वेतन कट जाएगा।आउटसोर्सिंग घोटाला पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। निगम को हर महीने लाखों रुपये की बचत होगी। चंडीगढ़ नगर निगम में बायोमेट्रिक उपस्थिति लागू होने से बड़े पैमाने पर चल रहे फर्जीवाड़े की परतें खुलने वाली हैं। जिन कर्मचारियों की सिर्फ कागजों में मौजूदगी थी, उनका नाम अब सूची से हट सकता है। पार्षदों और अधिकारियों की सिफारिश पर बिना काम के वेतन पाने वालों की असलियत उजागर होगी।
यह कदम नगर निगम को आर्थिक रूप से मजबूत करने और प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा।