बहुमत से दूर 16 पार्षदों वाली भाजपा की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला कैसे बनी चंडीगड़ की मेयर*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बहुमत से दूर 16 पार्षदों वाली भाजपा की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला जानिए कैसे बनी चंडीगड़ की मेयर*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ़ ;- सिटी बीयूटीफुल चंडीगढ़ को नया मेयर मिल गया है। 16 पार्षदों वाली भाजपा की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला को 19 वोट मिले, जबकि आप और कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी प्रेमलता को कुल 17 ही वोट मिले। तीन वोट क्रॉस हुए हैं। यह तीनों वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पार्षदों के हैं।
इससे पहले आप और कांग्रेस के लोग कहते रहे कि बबला की बबली को हराना है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेयर चुनाव में पत्नी हरप्रीत कौर बबला की जीत पर पति देवेंद्र बबला का यही पहला रिएक्शन था। यहां पर वीरवार को चंडीगढ़ में मेयर चुनाव में भाजपा ने बड़ा उल्टफेर कर दिया। बहुमत न होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हरप्रीत सिंह बबला चुनाव जीत गई।
हरप्रीत कौर बबला भाजपा नेता देवेंद्र सिंह बबला की पत्नी हैं। दोनों पति पत्नी काफी लंबे समय से राजनीति से जुड़े हैं। बबला दंपती के दो बेटे हैं। पूरा परिवार सेक्टर-27 में रहता है। इससे पहले देवेंद्र सिंह बबला कांग्रेस पार्टी में थे। लगभग तीन साल पहले ही वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। देवेंद्र बबला और उनकी पत्नी हरप्रीत कौर बबला दो-दो बार पार्षद रह चुके हैं। वे विपक्ष के नेता और चंडीगढ़ मार्केट कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पिता सेना से रिटायर कर्नल
हरप्रीत कौर बबला सेना के परिवार से भी संबंध रखती हैं। क्योंकि उनके पिता सेना से कर्नल रिटायर थे। उनके दो बेटे हैं। एक बेटा परमवीर सिंह बबला पेशे से वकील है और दूसरा बेटा युधवीर सिंह बबला ट्राईसिटी में रियल एस्टेट का काम करता है। परमवीर सिंह बबला चंडीगढ़ क्लब लिमिटेड के सबसे युवा कार्यकारी सदस्य हैं। हरप्रीत कौर बबला ने देहरादून के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इतिहास में स्नातक और अंग्रेजी में परास्नातक (एमए) किया है। उनके पिता भारतीय सेना में कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, जिससे उनकी परवरिश अनुशासन और मूल्यों पर आधारित रही।
*पवन बंसल के करीबी रह चुके हैं देवेंद्र बबला*
देवेंद्र सिंह बबला कांग्रेस मे रहते हुए विपक्ष का नेता भी रह चुके हैं। वह चंडीगढ़ कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी समेत अन्य अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस में रहते हुए बबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बसंल के काफी करीबी थे। अहम बात है कि देवेंद्र सिंह बबला को दबंग नेता के तौर पर जाना जाता है। वह अपनी पत्नी के साथ साल 2022 में भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हें फिर उपाध्यक्ष भी बनाया गया था।
20 वोट थे आप-कांग्रेस के पास
गौरतलब है कि क्रॉस वोटिंग की वजह से ही हरप्रीत कौर बबला की जीत संभव हुई है। क्योंकि भाजपा के पास बहुमत नहीं था औऱ केवल 16 पार्षद थे। जब आप-कांग्रेस और सांसद के वोट को मिलाकर, उनके पास 20 पार्षद थे। फिर भी गठबंधन चुनाव हार गया।