*आध्यात्मिक क्रान्ति के तहत् भाव-स्वाभाविक परिवर्तन लाओ और अपना जीवन सफल बनाओ*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*आध्यात्मिक क्रान्ति के तहत् भाव-स्वाभाविक परिवर्तन लाओ और अपना जीवन सफल बनाओ*
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सतयुग दर्शन ट्रस्ट (रजि०) फरीदाबाद, के सौजन्य से सतयुग दर्शन वसुन्धरा परिसर में, दिनाँक 28 एवं 29 दिसम्बर 2024 को, व्यापक स्तर पर भाव-स्वाभाविक परिवर्तन लाने हेतु, आध्यात्मिक क्रान्ति के तहत्, मानवता फेस्ट का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम दिनाँक २७ दिसम्बर शाम छ: बजे आरम्भ होगा व २९ दिसम्बर शाम चार बजे तक चलेगा। ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम में बिना किसी भेद-भाव के हर उम्र, धर्म, जाति व सम्प्रदाय के सदस्य भाग ले सकते हैं यानि यह कार्यक्रम सबका सांझा है व इसमें हर व्यक्ति को आने का समान अधिकार है। जो सजन किसी मजबूरी के कारण इस आयोजन में सम्मिलित न हो सके वह सतयुग दर्शन ट्रस्ट के यू-टयूब चैनल पर दिये गये लाईव लिन्क के माध्यम से ज्वायन कर सकते हैं।
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रथम दिवस योग, मेडिटेशन सैशन, आध्यात्मिक क्रान्ति – महान शुभारंभ, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति द्वारा संकल्प पर फतह पाओ और जन्म की बाजी जीत जाओ, आत्मयथार्थ नामक नृत्य नाटिका तथा शारीरिक-मानसिक स्वस्थता का राज नामक विषयों पर बात होगी। इसी के साथ बोन फायर, अंताक्षरी, इनडोर गेमस, पेटिंग एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी इस दिन के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहेंगे।
कार्यक्रम के द्वितीय दिवस जूम्बा, मेडिटेशन सैशन, सतवस्तु का कुदरती ग्रन्थ-एक परिचय एवं इसमें विदित नीतियों को अपनाने की महत्ता पर वार्तालाप, शरीर के विभिन्न प्रकार तथा इन्द्रियों, मन, बुद्धि, चित्त व ख़्याल की समुचित क्रियाविधि पर चर्चा होगी। इसी के साथ भाव-स्वभाव परिवर्तित कर आत्मिकज्ञान प्राप्त करने की युक्ति भी समझायी जायेगी ताकि इंसान स्वार्थपरता छोड़ परमार्थ के मार्ग पर सहजता से चल सके।
आयोजन की सर्वहितकारी महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए सबसे निवेदन है कि सपरिवार, अपने दोस्तों व मित्रों के साथ इस कार्यक्रम में अवश्य सम्मिलित हों तथा इस आयोजन द्वारा प्राप्त होने वाले आत्मिक ज्ञान का लाभ उठाकर, अविलम्ब सदाचारी मानव बनने के लिए तत्पर हो जायें। कहने का आशय यह है कि इस आध्यात्मिक क्रान्ति के माध्यम से, अपने भाव-स्वभावों में तबदीली ला, दु:खों भरे जीवन से छुटकारा पायें व इसी जीवन में पूर्ण परमानन्द का अनुभव कर पारिवारिक व सामाजिक रूप से एकता के सूत्र में बन्ध जायें।
कार्यक्रम के आयोजन की आवश्यकता के बारे में पूछने पर ट्रस्ट के प्रवक्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से हम वर्तमान संक्रमण काल में जबकि पाप और अधर्म का प्रतीक कलियुग जा रहा है व सत्यधर्म का सूचक सतयुग आ रहा है, व्यक्तिगत स्तर पर भाव-स्वभाव परिवर्तन की लहर चला, सापेक्ष पारिवारिक व सामाजिक परिवर्तन लाने की चेष्टा कर रहे हैं ताकि मानसिक तौर पर सब काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जनित द्वि-द्वेष, वैर-विरोध, लड़ाई-झगड़े का भाव त्यागकर सम, सन्तोष, धैर्य, सच्चाई, धर्म जैसे दिव्य गुण अपनायें और निष्कामता से परोपकार कमाते हुए एकता, एक-अवस्था में आ जायें।
ट्रस्ट के प्रवक्ता ने कहा, आज के समय में ऐसा करना इसलिए भी अति आवश्यक है क्योंकि युग परिवर्तित हो रहा है। अत: यही अनुकूल समय है जब असत्य-अधर्म के मार्ग पर चलने वाले हर दु:खी मानव को अनथक परिश्रम द्वारा जीवन की यथार्थता का ज्ञान बोध कराया जा सकता है और सत्यधर्म के विचारयुक्त मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर सतयुगी संस्कृति अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। इसी तथ्य के दृष्टिगत आध्यात्मिक क्रांति की लहर चला, कुल मानव जाति को इसमें सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि सब परम पुरुषार्थ द्वारा सर्व एकात्मा का भाव अपनाएं और समभाव नज़रों में कर समदर्शिता अनुरूप सबके साथ सजनता का व्यवहार करने में समर्थ हो जाएं।
अत: सर्वहितकारी इस आयोजन की महत्ता को समझते हुए, वैश्विक स्तर पर प्रत्येक बाल, युवा, प्रौढ़ व वृद्ध सजन से प्रार्थना है कि वह ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से इस आयोजन के माध्यम से प्रसारित किए जा रहे संदेश को देखे-सुने-समझे व तद्नुरूप क्रांतिकारी स्तर पर अपने अंतर्घट में भाव-स्वाभाविक परिवर्तन लाने के लिए तत्पर हो जाए। इस तरह आध्यात्मिक क्रांति के माध्यम से दुराचारिता, भ्रष्टाचारिता, अत्याचारिता व व्यभिचारिता जैसे दुर्भाव त्याग कर, विचार, सत् जबान, एक दृष्टि, एकता और एक अवस्था में आ, सदाचारिता का प्रतीक बन जाए और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ की विचारधारा को साकार कर, इस धरा पर पुन: सतयुग जैसा उत्तम समयकाल ले आए। तो आओ सजनों मिलकर इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और अपने जीवन को मंगलमय बनाएं। इस हेतु आत्मज्ञान प्राप्ति को प्राथमिकता दें और सतयुग की पहचान व मानवता का स्वाभिमान बन, इस ब्रह्माण्ड में पुन: सत्य धर्म का परचम लहराएं और भारत माता के कर्त्तव्यपरायण सुपुत्र कहलाएं।