दिवाली के बाद बढ़ने लगा प्रदूषण का स्तर/ आम जनता को होने लगी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दिवाली के बाद बढ़ने लगा प्रदूषण का स्तर/ आम जनता को होने लगी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं!*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ ;-अंबाला सहित पूरे प्रदेश में दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगा है, जिससे आम जनता को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. दिवाली के दौरान लगातार दो दिनों तक पटाखों के जलने के बाद से शहर के आसमान में धुएं की चादर छाई हुई है. इस वजह से लोगों के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, और कई लोगों की आंखों में जलन की समस्या भी सामने आ रही है. इसके अलावा, सांस लेने में दिक्कतें बढ़ गई हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें पहले से अस्थमा या सांस की अन्य समस्याएं हैं।
अंबाला के विभिन्न अस्पतालों में प्रदूषण से संबंधित मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. डॉक्टरों के अनुसार, दिवाली के बाद से सांस की समस्याओं से जूझ रहे मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है. शहर की हवा में बढ़े हुए प्रदूषण कण, जैसे पीएम 2.5 और पीएम 10, लोगों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के कारण अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना आम लोगों को करना पड़ रहा है।
शहर के निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने दिवाली के दौरान रात 8 से 10 बजे तक पटाखे जलाने की अनुमति दी थी, लेकिन पटाखों का शोर रात 2 बजे तक सुनाई देता रहा. लोगों ने बताया कि इस दौरान प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे प्रदूषण का स्तर नियंत्रण से बाहर हो गया।
प्रदूषण के बढ़ने के पीछे केवल पटाखे ही एकमात्र कारण नहीं हैं. दिवाली से पहले ही हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने के कारण भी हवा में प्रदूषकों का स्तर बढ़ा हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को रोकने के लिए हरियाणा सरकार को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे, लेकिन किसानों के लिए तो सख्ती की गई, मगर पटाखों पर प्रशासन ने वैसा नियंत्रण नहीं लगाया. नतीजतन, पराली और पटाखों के धुएं के मिले-जुले असर से शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। जब लोकल 18 की टीम ने अंबाला की जनता से बात की तो लोगों ने अपनी समस्याएं खुलकर रखीं. लोगों का कहना है कि दिवाली के समय जगह-जगह अवैध पटाखों की बिक्री हो रही थी, और प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हमारे बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. आँखों में जलन है और पूरे घर में धुएं की गंध घुसी हुई है. प्रशासन को सख्ती से नियम लागू करने चाहिए थे।
लोगों का कहना है कि प्रशासन द्वारा नियमों की अनदेखी करना और पटाखों के जलाने पर कोई ठोस नियंत्रण न करना प्रदूषण बढ़ने का एक प्रमुख कारण है. कई लोग मानते हैं कि हर वर्ष दिवाली के बाद प्रदूषण का यही हाल रहता है, मगर प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता की आवश्यकता
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ, आम जनता और प्रशासन दोनों के लिए यह जरूरी है कि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक हों. दिवाली जैसे त्यौहारों पर केवल प्रतीकात्मक दीप जलाकर ही खुशियां मनाई जा सकती हैं. प्रशासन को भी चाहिए कि वह वायु प्रदूषण के खतरे को समझे और भविष्य में कड़ी नीतियां बनाए ताकि इस प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े।