हरियाणा में लगातार तीसरी बार किसी भी पार्टी को नही मिली सत्ता!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हरियाणा में लगातार तीसरी बार किसी भी पार्टी को नही मिली सत्ता*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगड़ ;- हरियाणा की राजनीति में 8 अक्टूबर का दिन बहुत खास है। उस दिन फैंसला होगा कि जनता ने प्रदेश में राज करने के लिए किस पार्टी को चुना है।क्या भाजपा सत्ता से बाहर होगी अथवा कांग्रेस 10 वर्ष के बाद प्रदेश में सत्ता संभालेगी। अब तक भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां लगातार 10 वर्ष के लिए सत्ता में कर चुकी है। मगर राज्य के इतिहास में अभी तक किसी भी दल को लगातार तीसरी बार जनादेश नहीं मिला। यानी की सत्ता में वापसी नहीं हुई है। विधानसभा चुनाव 2024 में कुल 66.96 प्रतिशत मतदान हुआ है, जोकि विधानसभा चुनाव 2019 के मुकाबले 1.12 प्रतिशत कम है। इतना ही नहीं हरियाणा के कुल 13 विधानसभा चुनाव की औसत मतदान प्रतिशत 69.19 रहा है। इससे भी मतदान प्रतिशत काफी कम रहा है।
हरियाणा के इतिहास में औसत प्रतिशत से चार बार कम मतदान होने पर भी सत्ता परिवर्तन हुआ है। हालांकि, सात बार औसत प्रतिशत ज्यादा मतदान होने पर भी सत्ता की चाबी सत्ताधारी पार्टी के हाथ से दूसरे दल के पाले में गई है। औसत से कम मत प्रतिशत का उलटफेर वर्ष 2000 के चुनाव में 69.09 प्रतिशत मतदान होने बाद भी दिखाई पड़ा। इस बार भी हरियाणा विकास पार्टी से सत्ता इनेलो को मिल गई और चौधरी ओम प्रकाश चौटाला सीएम बनें।
अब वर्ष 2005 में 71.97 प्रतिशत यानी कि पिछले विधानसभा चुनाव से 2 प्रतिशत ज्यादा मतदान होने के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य के सीएम बनें। वहीं, वर्ष 2009 में कुल 72.29 मत प्रतिशत होने के साथ कांग्रेस ही सत्ता में आई और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वर्ष 2014 में कुल 76.13 प्रतिशत मतदान हुआ था और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गयी।
पहली बार भाजपा से मनोहर लाल सीएम बने। जबकि वर्ष 2019 में 67.92 प्रतिशत मतदान हुआ यानि की 8.21 प्रतिशत कम मतदान के बावजूद भाजपा ने जजपा के साथ मिलकर लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। दूसरी बार मनोहर लाल ने सीएम पद संभाला, हालांकि 13 मार्च 2024 में भाजपा ने उलटफेर करते हुए मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी थी। सत्ताधारी भाजपा का गढ़ माना जाने वाले जीटी बेल्ट में आने वाले क्षेत्र पंचकूला, यमुनानगर, करनाल, पानीपन, कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला सहित 27 सीटें इसी इलाके में आते हैं। यहां पिछले चुनाव में औसत 66.40 मतदान के मुकाबले इस बार 67.70 प्रतिशत मतदान हुआ है। यह पिछले चुनाव के मुकाबले 1.30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
दक्षिण हरियाणा में 2.25 प्रतिशत बढ़ा मतदान
राज्य के दक्षिण हरियाणा में आने वाले जिले गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, फरीदाबाद समेत कुल 23 सीटें है, जिसमें भाजपा को 15 सीटें मिली थी। यहां पिछली बार चुनाव में 63.75 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार के चुनाव में बढ़कर 66 प्रतिशत मतदान हुआ है।
हुड्डा के गढ़ में 1.02प्रतिशत घटा मतदान
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माने जाने वाला जाटलैंड में अबकी बार 1.02 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। इस क्षेत्र में रोहतक, पानीपत, झज्जर, जींद, भिवानी, चरखी दादरी के 25 सीटें आती हैं। यहां मतदान प्रतिशत उल्टा सामने आया है, पिछली बार 67.87 प्रतिशत मतदान वाले जाटलैंड क्षेत्र में अबकी बार 1.02 प्रतिशत कम यानी 66.85 प्रतिशत मतदान हुआ है।
पश्चिम हरियाणा वोटिंग में सबसे अव्वल, 2.51 प्रतिशत मतदान ज्यादा
पश्चिम हरियाणा वोटिंग के मामले में सबसे अव्वल रहा है। इस क्षेत्र में सिरसा, फतेहाबाद, हिसार जिले की 15 सीटें आती हैं। यहां पिछली बार चुनाव में 70 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार चुनाव में कुल 72.51 प्रतिशत मतदान हुआ है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सीट लाडवा हलके में 3 प्रतिशत से ज्यादा मतदान प्रतिशत गिरा है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ी-सापलां-किलोई सीट पर 5 प्रतिशत से ज्यादा मतदान प्रतिशत कम हुआ है। हरियाणा में 42 सीटों पर 70 प्रतिशत से ज्यादा और 7 सीटों पर 55 प्रतिशत मतदान हुआ है। सबसे ज्यादा लोहारु में 79.30 प्रतिशत मतदान और सबसे कम बड़खल में 47.29 प्रतिशत मतदान हुआ है।
*टिकट वितरण के दौरान कांग्रेस व भाजपा में हुई बगावत*
जिससे अनेक नाराज नेता दिखाने को माने लेकिन चुनाव में सक्रिय नहीं रहे।