हरियाणा में आचार सहिंता लगने के चुनावी मोड़ में आई सभी राजनीतिक पार्टियां/ पाँच लोकसभा सीट जीतने से कांग्रेस के हौंसले बुलंद*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा में आचार सहिंता लगने के चुनावी मोड़ में आई सभी राजनीतिक पार्टियां/ पाँच लोकसभा सीट जीतने से कांग्रेस के हौंसले बुलंद*
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चंडीगड़ ;- हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख़ों का एलान हो चुका है ।चुनाव आयोग ने 16 अगस्त को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग एक चरण में एक अक्टूबर को होगी और नतीजे चार अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की लगातार तीसरी जीत के बाद अब पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। कौन-कौन सी पार्टियां राज्य में मैदान में हैं
हरियाणा विधानसभा में कई पार्टियां हैं जिनके बीच मुक़ाबला रहेगा. भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जहां अकेले मैदान में हैं वहीं इंडियन नेशनल लोक दल और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन बनाकर हिस्सा ले रही हैं। बीजेपी ने ये एलान किया है कि वो इस चुनाव में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, वहीं कांग्रेस ने अभी भी किसी मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं की है। इस साल जुलाई में ही बहुजन समाज पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल ने गठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव में लड़ने का एलान किया था। इस गठबंधन का चेहरा अभय सिंह चौटाला को बनाया गया है। वो गठबंधन की तरफ़ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे। उस वक़्त हरियाणा में गठबंधन की सरकार बनी थी और मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनाए गए थे।
दुष्यंत चौटाला उस सरकार में अपनी नई पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ शामिल थे और वो उप-मुख्यमंत्री बनाए गए थे।2019 के उस चुनाव में बीजेपी को 40 और जननायक जनता पार्टी को 10 सीटें हासिल हुई थीं। जबकि बहुमत का आंकड़ा 46 था जिसके बाद दोनों दलों ने साथ आकर गठबंधन की सरकार बनाई। 75 से ज़्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाने के बावजूद बीजेपी को बहुमत भी हासिल नहीं हुआ था, जैसा कि पार्टी को 2014 में मिला था।सरकार की स्थिरता के लिए बीजेपी ने उस वक्त निर्दलीय उम्मीदवारों पर निर्भर रहने के बजाय, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ जाने का फ़ैसला लिया था। उस वक्त, दुष्यंत चौटाला ने अपनी पारिवारिक पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल से बाहर आकर ख़ुद की पार्टी जननायक जनता पार्टी खड़ी थी और पार्टी की राजनीतिक पहचान बनाने में जुटे थे. विधानसभा चुनाव में 10 सीटें मिलने के बाद, दुष्यंत चौटाला को उप-मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
हालांकि, उनका ये फ़ैसला उनके कुछ समर्थकों को रास नहीं आया था, क्योंकि अपनी पार्टी के प्रचार में वो बीजेपी की जमकर आलोचना करते आए थे। दुष्यंत ने वृद्धावस्था पेंशन को 5,100 रुपये तक बढ़ाने और स्थानीय युवाओं के लिए 75% नौकरियों की आरक्षित करने का वादा किया था, जो कि पूरा नहीं हुआ। मार्च, 2024 में इस गठबंधन के साढ़े चार साल पूरा होने के बाद, बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं, इंडियन नेशनल लोक दल ने एक सीट हासिल की थी वहीं एचएलपी नेता गोपाल कांडा ने एक सीट जीती थी. बाकी सीट निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती थीं।
बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के टूटने के बाद मनोहर लाल खट्टर ने लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद कुरुक्षेत्र से सांसद नायब सिंह सैनी को हरियाणा का नया मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला।
खट्टर ने करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, जबकि सैनी ने करनाल से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते. मनोहर लाल खट्टर को बीजेपी केंद्र में ले आई और सैनी ने राज्य सरकार का ज़िम्मा संभाला। जुलाई में कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ एक ‘चार्जशीट’ लॉन्च की, जिसमें बेरोज़गारी और क़ानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे पर सरकार की आलोचना की गई.
साथ ही पार्टी ने 15 जुलाई से एक राज्यव्यापी अभियान भी शुरू किया, जिसका नाम रखा गया- ‘हरियाणा मांगे हिसाब.’
इस अभियान के तहत कांग्रेस के नेता राज्य की सभी 90 विधानसभा सीटों का दो महीने में दौरा करेंगे और सरकार की ख़ामियों के बारे में लोगों को बताएंगे।हुड्डा ने ये ज़ोर देकर कहा कि इस अभियान का मक़सद सरकार की ख़ामियों को उजागर करना तो है ही साथ ही पार्टी के चुनावी घोषणापत्र के लिए जनता से फीडबैक इकट्ठा करना भी है. हुड्डा का कहना है कि अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो वो इन दिक्कतों पर काम करेंगे। कांग्रेस नेता उदयभान कहते हैं कि पार्टी की ‘चार्जशीट’ में बीजेपी के लिए कई मुद्दों पर 15 सवाल उठाए गए हैं। कांग्रेस की ‘चार्जशीट’ में ये भी बताया गया है कि क़रीब 2 लाख सरकारी नौकरियों के पद ख़ाली हैं. इन पदों में से 60 हज़ार एजुकेशन सेक्टर में और 20 हज़ार पुलिस और स्वास्थ्य विभाग में हैं।
बीजेपी सरकार पर घोटाले और एग्ज़ाम पेपर लीक के भी आरोप लगे हैं. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख उदय भान का आरोप है कि इस सरकार में अपराध दर बढ़ रही है, दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार बढ़ गए हैं, और महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों में वृद्धि हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि व्यापारियों को भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
लोकसभा चुनाव में क्या दिखा?
हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को 5-5 सीटें मिली हैं।
बीजेपी राज्य की सभी 10 सीटों को जीतने का दावा कर रही थी, जैसा कि पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में किया था, लेकिन इस बार बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है.
इसे बीजेपी के 10 सालों के शासन के ख़िलाफ़ संकेत माना जा रहा है।