एक साल से हरियाणा की गठबंधन सरकार में असहज, होने के बावजूद जुड़े रहने का मतलब, दुष्यंत चौटाला सिर्फ सत्ता औऱ सत्ता के लालची!
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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एक साल से हरियाणा की गठबंधन सरकार में असहज, होने के बावजूद जुड़े रहने का मतलब, दुष्यंत चौटाला सिर्फ सत्ता औऱ सत्ता के लालची!
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चंडीगढ़ :- हरियाणा में 12 मार्च को कुछ घंटे के अंदर सरकार की तस्वीर बदल गई। सुबह भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी का गठबंधन टूटा। इसके कुछ देर बाद मनोहर लाल खट्टर ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।सीएम के इस्तीफे के बाद पूरी कैबिनेट का भी इस्तीफा हो गया। ऐसे में न चाहते हुए भी चीफ दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ी. फिर नए सीएम नायब सिंह सैनी और 5 कैबिनेट मंत्रियों का शपथ ग्रहण भी हो गया। अब दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने पर सफाई दी है. चौटाला इस दौरान बीजेपी के खिलाफ कुछ भी बोलने से बचते रहे. उन्होंने 9 साल सीएम रहे मनोहर लाल खट्टर की तारीफ भी की।
JJP चीफ दुष्यंत चौटाला ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गठबंधन टूटने को लेकर सफाई दी। इसके साथ ही उन्होंने आगे की रणनीति से जुड़े सवालों का जवाब भी दिया। गठबंधन के अचानक टूटने पर दुष्यंत चौटाला ने कहा, “गठबंधन सहयोगियों के बीच एक साल तक मुद्दे उठते रहे, लेकिन हमने इसे कभी मीडिया तक नहीं आने दिया. पिछले एक साल से हम गठबंधन में असहज थे.” जनता के दिमाग में कई तरह की बात आती है एक साल तक असहज होने के बावजूद भी सम्मान पूर्वक दुष्यंत चौटाला ने सत्ता क्यों नहीं छोड़ी। दुष्यंत पर विपक्षियों ने तरह तरह के इल्जाम भी लगाए। एक साल से भाजपा के बड़े बड़े नेता भी जजपा और दुष्यंत चौटाला को लेकर खुले मंच से गठबंधन तोड़ने की बात कर रहे थे। इतनी बेइज्जती होने के बावजूद भी गठबंधन नही तोड़ा तो इसका साफ मतलब निकलता है कि दुष्यंत सिर्फ सत्ता औऱ सत्ता के लालची है!