अटल सेवा केंद्र का मालिक साहिल जैन फर्जी दस्तावेज बना बना कर बना करोड़पति!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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अटल सेवा केंद्र का मालिक साहिल जैन फर्जी दस्तावेज बना बना कर बना करोड़पति!*
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पानीपत के अटल सेवा केंद्र से एक बड़ा खुलासा जहां हर तरह के फर्जी दस्तावेज बनाने का खेल चल रहा था। प्राथमिक जांच में सामने आया कि आरोपी फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और आयुष्मान कार्ड के अलावा बुढ़ापा पेंशन से लेकर विधवा पेंशन तक बनवाने का ठेका लेते थे। पानीपत में अटल सेवा केंद्र में पिछले छह साल से फर्जी दस्तावेज बनाने का खेल चल रहा था। सरगना साहिल जैन अपने साले समेत तीसरे आरोपी के साथ करोड़ों रुपये कमा चुका है। पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि आरोपी अटल सेवा केंद्र पर आने वाले लोगों के दस्तावेजों की कॉपी लेकर ओटीपी पूछकर फर्जी बैंक खाते तक खुलवा चुका है।
माना जा रहा है कि इनसे साइबर क्राइम की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था, पुलिस इस एंगल पर भी लगातार पूछताछ कर रही है। आईबी की टीम ने भी इसी दिशा में आरोपियों से पूछताछ की है। इनके तार पड़ोसी प्रदेशों तक भी फैले हुए थे। कयास लगाए जा रहे है कि पानीपत में रिमांड खत्म होने के बाद दिल्ली, राजस्थान और चंडीगढ़ की टीम आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आ सकती है।
आरोपियों ने कम आयु वाले लोगों की भी पेंशन बनवाई
प्राथमिक जांच में सामने आया कि आरोपी फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और आयुष्मान कार्ड के अलावा बुढ़ापा पेंशन से लेकर विधवा पेंशन तक बनवाने का ठेका लेते थे। आरोपियों ने कम आयु वाले लोगों की भी पेंशन बनवाई हैं। पुलिस इस दिशा में भी पूछताछ कर रही है। इसके अलावा आरोपी फर्जी पासपोर्ट की संलिप्तता भी सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार आरोपी लोगों को कहते थे कि उन्हें डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए किसी भी शहर के चक्कर नहीं काटने होंगे, वह यहीं से उनका काम करा देंगे। सीआईए पासपोर्ट वाली दिशा में भी आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
आरोपियों के पास से पटवारी, नंबरदार व जिन पार्षदों की मुहर मिली है, सवाल ये है कि यह मुहर असली है और क्या इन अधिकारियों को उनकी मुहर के बारे में जानकारी थी या नहीं। आरोपियों ने यह मुहर कहां से मिली, कहां बनवाई या किसी ने इनको मुहैया कराई। आरोपियों के तार कहां-कहां जुडे हुए है, इन सब दिशा में पुलिस पूछताछ कर रही है।
आरोपियों के अटल सेवा केंद्र पर हर सरकारी दस्तावेज बनवाने के सरकारी रेट की लिस्ट लगी हुई थी। जिनमें 10 रुपये से अधिकतम 50 रुपये तक थे, लेकिन आरोपी अपनी मनमर्जी से लोगों से रुपये लेते थे। विरोध करने पर लोगों को कहते थे कि इतना स्टाफ यहां रखा है, इसकी तनख्वाह कहां से निकलेगी।
*पुलिस कप्तान ने मीडिया को बताया*
पुलिस तीनों आरोपियों से रिमांड के दौरान पूछताछ कर रही है। इनसे कई और जानकारी मिली हैं। पुलिस ने इन सब पर जांच कर रही है। इसमें जल्द ही बड़ा खुलासा किया जा सकता है।