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विधायकों को धमकी मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुडडा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के नेतृत्व में विधायको ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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विधायकों को धमकी मामले में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुडडा और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के नेतृत्व में विधायको ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन*
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चंडीगढ़ ;- पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान के नेतृत्व में विधायकों ने बिगड़ती कानून व्यवस्था, लगातार सामने आ रहे घोटालों, भ्रष्टाचार और आंदोलनों के विरुद्ध पुलिसिया बर्बरता के मुद्दों को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने महामहिम से बातचीत में उन्हें प्रदेश के हालातों से अवगत करवाया। उन्हें बताया कि सरकार जनता व जनप्रतिनिधियों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रही है। प्रदेश का हर नागरिक आज खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है। असुरक्षित माहौल होने की वजह से प्रदेश का विकास रुक गया है क्योंकि यहां कोई निवेश करने के लिए तैयार नहीं है। इसी वजह से प्रदेश में बेरोजगारी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है।
ज्ञापन में कहा गया है कि कांग्रेस विधायक प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था, व्याप्त भ्रष्टाचार और सामाजिक अशांति की तरफ महामहिम राज्यपाल का ध्यान दिलाना चाहते हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि विधायकों से भी फिरौती मांगी जा रही है और उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। पिछले कुछ दिनों में प्रदेश के 6 विधायकों रेणु बाला, संजय सिंह, सुरेंद्र पवार, कुलदीप वत्स, सुभाष गांगोली, मामन खान और उनके परिजनों को धमकियां मिल चुकी हैं। बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हैं कि कुलदीप वत्स के घर में घुसकर उनके नौकरों और स्टाफ के साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। यह धमकियां जनप्रतिनिधियों द्वारा अपराध के विरुद्ध उनकी आवाज को दबाने के लिए मिल रही हैं। विधायकों व व्यवसायियों से फिरौती की घटनाएं आम हो गई हैं। ज्ञापन में प्रदेश सरकार की तानाशाही को लेकर भी टिप्पणी की गई है। कहा गया है कि भाजपा-जजपा सरकार किसान और मजदूर विरोधी ही नहीं प्रजातंत्र विरोधी भी है। इसीलिए किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों व अन्य वर्गों के आंदोलनों को अलोकतांत्रिक तरीके से दबाया जाता है। आंदोलनकारियों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जाते हैं। किसान आंदोलन के दौरान पीपली, हिसार, करनाल समेत पूरे प्रदेश में, उसके बाद आंगनवाड़ी, अतिथि अध्यापकों, पीटीआई व अन्य कर्मचारियों पर पुलिसिया बल प्रयोग होता रहा है। हाल ही में खेदड़ बिजली प्लांट की राख गौशाला को देने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन पर भी पुलिसिया बर्बरता की गई। इसमें किसान की मौत हो गई। लेकिन सरकार ने निर्दोष लोगों पर हत्या के झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए। ऐसे में राज्यपाल से निवेदन है कि मृतक परिवार को उचित मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। सभी झूठे मुकदमों को वापस लेने बारे प्रदेश सरकार को निर्देश दिए जाएं। सरकार को टकराव की बजाए बातचीत व समाधान का रास्ता अपनाना चाहिए। क्योंकि लठ और गोली से नहीं, प्रजातंत्र संवाद से चलता है।

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