सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गुरु की बोलती बंद, बिना बोले निकल गए गुरु, मीडिया के सामने रावत ने संभाला मोर्चा*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गुरु की बोलती बंद, बिना बोले निकल गए गुरु, मीडिया के सामने रावत ने संभाला मोर्चा*
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दिल्ली ;- पंजाब कांग्रेस में कैप्टन व सिद्धू चर्चा के शिखर पर हैं। पंजाब कांग्रेस में कब सब ठीक होगा और कब कैप्टन व सिद्धू के बीच की नाराजगी दूर होगी।इस बारे में कुछ कहना आसान नहीं हो पा रहा है क्योंकि रोज कुछ न कुछ खिचड़ी पकती नजर आ रही है। शुक्रवार को नवजोत सिंह सिद्धू फिर दिल्ली दरबार पहुंचे। बताया गया कि सिद्धू के लिए दिल्ली से बुलावा आया है इसलिए वह दिल्ली जा रहे हैं| बतादें कि, दिल्ली पहुंचकर सिद्धू ने 10 जनपथ में सोनिया गांधी से मुलाकात की है| सोनिया गांधी से मुलाकात खत्म होने के बाद सिद्धू कुछ बोलते नजर नहीं आये और सीधा सोनिया गांधी के आवास से रवाना हो गए| सिद्धू ने इसपर कोई बयान नहीं दिया कि सोनिया गांधी के साथ क्या बात हुई है। इस मुलाकात में कांग्रेस पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत भी मौजूद थे। ज्ञात रहे कि सिद्धू इससे पहले 30 जून को दिल्ली आए थे और प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इससे पहले भी सिद्धू दिल्ली चक्कर लगा चुके थे| वहीं कैप्टन अमरिंदर भी दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं।
रावत हुए मीडिया से रूबरू…
सोनिया से मिलकर सिद्धू भले ही बिना कुछ बोले चले गए हों लेकिन सोनिया से मुलाकात के बाद रावत मीडिया से मुखातिब जरूर हुए। और वह सिद्धू के अध्यक्ष बनने की बात को कहीं न कहीं घुमाते नजर आये। रावत ने कहा कि पंजाब के विषय में कांग्रेस अध्यक्ष का फैसला मुझे जैसे ही मिलेगा तो मैं आकर मीडिया बात करूंगा| रावत ने कहा, ‘मैं पंजाब में पार्टी को लेकर अपना नोट सबमिट करने के लिए पार्टी अध्यक्ष के पास आया था। बतादें कि, हरीश रावत पंजाब कांग्रेस में सब ठीक कराने में जुटे हुए हैं।
सिद्धू के अध्यक्ष बनने की चर्चा….
बतादें कि, सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जाने की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि सिद्धू का अध्यक्ष बनना तय हों चुका है| मगर सिद्धू की सोनिया से इस मुलाकात में क्या हुआ है यह किसी को पता नही। लेकिन कहा तो यह जा रहा है कि कांग्रेस अब जल्द ही पंजाब को लेकर कुछ बड़ा एलान कर सकती है| वहीं, दूसरी तरफ सिद्धू अध्यक्ष बनें, यह कैप्टन का मन नहीं हैं| ऐसे में अगर कैप्टन के दबाब में सिद्धू को अध्यक्ष नहीं बनाया जाता है तो आगे की रणनीति देखने लायक होगी|