कैथल में किसान मजदूर सम्मलेन मे कांग्रेस फिर दिखी दोफाड़, कार्यक्रम में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा के न पहुचने से पार्टी पर लगा सवालिया निशान*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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कैथल में किसान मजदूर सम्मलेन मे कांग्रेस फिर दिखी दोफाड़, कार्यक्रम में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा के न पहुचने से पार्टी पर लगा सवालिया निशान*
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कैथल ;- कृषि कानूनों को लेकर हो रहे किसानों के विरोध के समर्थन में कांग्रेस पार्टी द्वारा खुरानियां पैलेस में किसान मजदूर सम्मेलन आयोजित किया। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा इस सम्मेलन में नहीं पहुंची। हरियाणा प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल ने कहा कि किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानून एक साजिश के तहत बनाए गए हैं। आज पूरे देश का किसान इन कानूनों से परेशान है। यही कारण है कि किसान इस समय दिल्ली में प्रदर्शन कर रहा है।हरियाणा और पंजाब का आभार है कि जिन्होंने देश को स्वाभिमान और गौरव से जीना सिखाया है। हरियाणा और पंजाब की धरती कर्मभूमि है। परंतु आज इन्हीं किसानों को आंतकवादी और देशद्रोही कहा जाता है। कृषि कानून विरोधी आंदोलन में 200 से अधिक किसान अपनी जान गवां चुके हैं। भाजपा को बांटना आता है, जोड़ना नहीं आता है। इनके सामने केवल सत्ता का लक्ष्य रहता है, जिसे वह कुछ भी करके हासिल करना चाहते हैं। पूरी कांग्रेस किसानों के साथ है। लगातार बढ़ रही महंगाई के तहत पेट्रोल, डीजल और सिलिंडर के दाम बढ़ाने का फरमान दिल्ली से जारी हो जाता है। इन्हें गरीबों के आंसू की कोई परवाह नहीं हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को निशाने पर रखते हुए कहा कि धरतीं मां के बेटे, जिन्होंने अपनी जिंदगियां देश के लिए कुर्बान कर दीं। देश की संसद में बैठे भाजपा के सांसदों ने जान गंवाने वाले किसानों का मजाक उड़ाया है। यह लड़ाई जिंदा रहने की लड़ाई है। यह लड़ाई मजदूर और किसान लड़ रहा है। यदि वह यह लड़ाई हार गए तो वजूद मिट जाएगा। भाजपा के सत्ताधारी नेताओं ने किसानों के सीने में खंजर घोंपा है। इन्होंने किसान की फसल और नस्ल को बर्बाद करने का रास्ता बनाया है। यह लड़ाई कांग्रेस के झंडे के नीचे नहीं, बल्कि तिरंगे झंडे के नीचे की लड़ाई है। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा ने पहले तो किसानों को नाम से वोट मांगी, अब वोट लेने वालों से दगाबाजी की जा रही है। दुष्यंत चौटाला ने कानून में लिखवाया कि मंडी न रहें और अब खुद ही किसानों को झूठ बोलकर गुमराह कर रहे हैं कि मंडियां खत्म नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो अदानी-अंबानी किसान को फसल के ज्यादा रेट देंगे और जब मंडियां खत्म हो जाएंगी तो तरह-तरह के बहाने बनाकर फसल को औने-पौने दामों में खरीदेंगे। देश में पांच आदमी ही किसान की फसल का फैसला किया करेंगे।