किसान संगठनों ने की घोषणा, सरकार को दिया अल्टीमेटम खत्म, किसान अब रेल ट्रैक करेंगे जाम*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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किसान संगठनों ने की घोषणा, सरकार को दिया अल्टीमेटम खत्म, किसान अब रेल ट्रैक करेंगे जाम*
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नई दिल्ली ;- सरकार ने आज फिर दोहराया कि वह किसान संगठनों के साथ कृषि सुधार कानूनों की खामियों पर चर्चा करने के लिये किसी भी समय खुले मन से तैयार हैं। उधर, कृषि मंत्री की प्रेस कांफ्रेंस के बाद किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रेस कांफ्रेंस करके सरकार पर फिर हमला बोला। किसान नेताओं ने कहा कि हमने 10 तारीख का अल्टीमेटम दिया हुआ था कि यदि प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को नहीं सुना और कानूनों को रद्द नहीं किया तो सारे धरने रेलवे ट्रैक पर आ जाएंगे। आज की बैठक में ये फैसला हुआ कि अब रेलवे ट्रैक पर पूरे भारत के लोग जाएंगे। संयुक्त किसान मंच इसकी तारीख की जल्द घोषणा करेगा। सिंघु बॉर्डर से किसान नेता बूटा सिंह ने कहा है कि 14 तारीख को पंजाब के सभी DC ऑफिसों के बाहर धरने दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कुछ और, गृहमंत्री कुछ और कृषि मंत्री कुछ और बोल रहे हैं। विनती है कि हम एकजुट हैं और हमारी चुनी हुई सरकार को भी एकजुट होकर किसानों के पक्ष में फैसला लेना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने केंद्रीय मंत्री की ट्रेड के हितों को मुख्य रखते हुए बनाए गए कृषि कानूनों पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने आज खुद माना कि किसानों के लिए नहीं बल्कि कारपोरेट घरानों के ट्रेड के लिए कानून बनाए गए हैं।
राजेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार को किसी प्रदेश के कृषि माडल या कृषि कानूनों में हस्तक्षेप देने का अधिकार नहीं है।नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से आंदोलन खत्म करने की गुजारिश की। इससे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कृषि सुधार कानून में खामियों पर चर्चा के लिये सभी रास्ते खुले हुये हैं। सरकार ने किसान संगठनों को कानून में संशोधनों का प्रस्ताव दिया है।किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को अध्ययन के बाद खारिज कर दिया है और उन्होंने कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को निरस्त करने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग की है। इसके साथ ही किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को तेज करने की भी घोषणा की है। किसान संगठनों और सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। दोनों मंत्रियों ने किसान संगठनों से आंदोलन समाप्त कर सरकार के साथ बातचीत करने का प्रस्ताव दोहराया। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत चल ही रही थी कि इसी दौरान आंदोलन को तेज करने की घोषणा की गयी जो उचित नहीं है। बातचीत टूटने पर आंदोलन की घोषणा की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार को विश्वास है कि बातचीत से रास्ता निकलेगा।
तोमर ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र के उत्थान और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिये योजनाबद्ध ढंग से कार्य कर रही है। सरकार चाहती है कि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो और इससे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था सुधरे। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार तीन कृषि सुधार कानूनों को लाई थी, जिस पर लोकसभा और राज्यसभा में व्यापक चर्चा की गयी।