हरियाणा के IPS सुसाइड केस ने फिर खड़े किए अनेको सवाल / देशभर में प्रशासनिक अधिकारियों के मानसिक तनाव को लेकर छिड़ी बहस / पहले भी कई IAS और IPS अधिकारी कर चुके है आत्महत्या?*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हरियाणा के IPS सुसाइड केस ने फिर खड़े किए अनेको सवाल / देशभर में प्रशासनिक अधिकारियों के मानसिक तनाव को लेकर छिड़ी बहस / पहले भी कई IAS और IPS अधिकारी कर चुके है आत्महत्या?*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ़ (AT) ;- हरियाणा के IGP वाई. पूरन कुमार 2001 बैच IPS ने 7 अक्टूबर 2025 को आत्महत्या कर ली। उन्होंने चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर यह कदम उठाया।
आत्महत्या के कारणों में तनाव जैसी कुछ बातें सामने आई है। उनके सुसाइड ने एक बार फिर प्रशासनिक अधिकारियों में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने देशभर में प्रशासनिक अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहस छेड़ दी है। किसी बड़े अधिकारी द्वारा आत्महत्या करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले भी कई बड़े IAS और IPS अधिकारियों की आत्महत्या के मामले सुर्ख़ियों में रहे हैं। इन मामलों में मुख्य रूप से काम का दबाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, पारिवारिक विवाद या गंभीर बीमारी जैसे कारण सामने आए हैं, जो सेवाओं में बढ़ते तनाव को दर्शाते हैं। आत्महत्या करने वाले IPS अधिकारियों में ‘सुपरकॉप’ के नाम से प्रसिद्ध हिमांशु रॉय (महाराष्ट्र IPS, 1988 बैच) शामिल हैं, जिन्होंने 2018 में मुंबई में अपने घर में सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या की थी। वे कैंसर और डिप्रेशन से जूझ रहे थे. इसी तरह, राजेश साहनी (यूपी IPS, एडिशनल SP ATS) ने 2018 में लखनऊ में अपने कार्यालय में सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या कर ली थी।
सी. विजयकुमार (तमिलनाडु IPS, 2009 बैच) ने 2023 में डिप्रेशन और OCD के कारण अपने कैंप ऑफिस में आत्महत्या कर ली थी। वे कोयंबटूर में DIG के रूप में तैनात थे. सुरेंद्र कुमार दास (यूपी IPS, 2014 बैच) ने 2018 में कानपुर में पारिवारिक समस्याओं की वजह से दवा ओवरडोज से जान दे दी थी. 2016 में एन. हरिश (तमिलनाडु IPS) और 2012 में राहुल शर्मा (छत्तीसगढ़ IPS) ने भी सर्विस रिवॉल्वर से आत्महत्या की थी। IAS अधिकारियों में भी इस तरह के मामले देखने को मिले हैं। कर्नाटक के डी. के. रवि (2009 बैच) ने 2015 में बेंगलुरु में अपने अपार्टमेंट में आत्महत्या की थी. वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख के लिए जाने जाते थे, और उनकी मौत के कारणों में काम का दबाव और राजनीतिक दखल की चर्चा रही। इसके अलावा, नागार्जुन गौड़ा (कर्नाटक IAS) और सुशील कुमार (यूपी IAS) ने भी डिप्रेशन और प्रशासनिक दबाव के कारण आत्महत्या की।
उत्तराखंड में भी एसपी रैंक के अधिकारी प्रमोद कुमार ने 2017 में डिप्रेशन के कारण आत्महत्या की थी। ये मामले पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं में कार्यस्थल के दबाव और व्यक्तिगत जीवन की चुनौतियों को उजागर करते हैं। कई बार डिप्रेशन, बीमारी, पारिवारिक तनाव या प्रशासनिक/राजनीतिक दबाव इन घटनाओं के कारण रहे?

