गुरु रविदास धर्म अस्थान सिरसगढ़ के गद्दी नशीन संत 108 श्री मनदीप दास जी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा ध्यान ही है आत्मा का परमात्मा से मिलन का सच्चा मार्ग*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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गुरु रविदास धर्म अस्थान सिरसगढ़ के गद्दी नशीन संत 108 श्री मनदीप दास जी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा ध्यान ही है आत्मा का परमात्मा से मिलन का सच्चा मार्ग*
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अम्बाला ;- पूरे ब्रह्मांड में सभी लोग यह जानते हैं कि परमात्मा हमारे अन्दर है और ये भी मानते हैं कि परमात्मा बाहर भी है, अब ये जो बाते हैं कि परमात्मा बाहर भी है और अन्दर भी अब ये देखें कि इसके पीछे किसका अस्तित्व है। इन बातों के पीछे कौन है, एक बात ये भी आई थी कि जो सन्देश वाहक रहे हैं वे संत रहे या ऋषि, पैगम्बर हुए वे हमें इशारे करते हैं वे हमें बताते हैं कि ऐसे ऐसे परमात्मा है और ज्यादातर सभी मानते हैं कि ऐसा है। यह प्रवचन श्री गुरु रविदास धर्म अस्थान सिरसगढ़ के गद्दी नशीन 108 संत मनदीप दास जी महाराज ने नतमस्तक हुए श्रद्धालुओं को कहे। उन्होंने कहा कि ध्यान ही आत्मा
का परमात्मा से मिलन का मार्ग मार्ग है परंतु इस मार्ग की खोज के लिए मन को एकाग्र करना पड़ता है। अब थोडा ध्यान दें अभी तक हम सुनते आये हैं कि तीन शक्तियां हैं प्रकृति, जीव, आत्मा। उन्होनें कहा कि प्रकृति कभी नष्ट हो सकती है। नहीं यह नष्ट नहीं हो सकती। परमात्मा कौन हैं, ये अनुभव करने वाला है हमारा मन। इन्सान जिसको हम गुरु कहें, जिसको हम संदेश वाहक कहें वह भी तो इन्सान ही है, और जो अनुभव कर लेता है वह परमात्मा तुल्य हो जाता है, परमात्मा को पा लेता है। लेकिन वह कौन आ मार्ग है जो हमें परमात्मा तक ले जाए। महात्मा कहते आए हैं कि ध्यान ही एक ऐसा मार्ग है जो आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। संत मनदीप जी महाराज ने कहा कि तीसरी शक्ति आत्मा है, जो परमात्मा से मिलने का एक सरल मार्ग है। यह वह शक्ति है जो कभी नहीं मिटती, न कभी नष्ट होती, उसी ने सब कुछ रचा है, पहले हमने दो चीजे बताई एक प्रकृति है और जीव है व अगर कोई तीसरी चीज जन्मी है तो वह इन दोनों के द्वारा जन्मी है। अब जब हम ये जान गए हैं कि परमात्मा हमारे अंदर ही है तो इसका मतलब ये हुआ कि परमात्मा सभी के अन्दर है और हम क्या करते हैं झूठे आडंबरों के पीछे भागने लगते हैं। जब हमें पता है कि परमात्मा हमारे अन्दर है तो इर्ष्या द्वेष क्यों, छल कपट क्यों, उस जीवन्त मूरत से प्रेम करो ये परमात्मा से मिलन का सरल मार्ग है, और उस मार्ग को केवल गुरु ही दिखा सकता है।

