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HCS से IAS बने सतपाल शर्मा ने हरियाणा सरकार में कायम की नई परम्परा / एसडीएम औऱ एडीसी के अनुभव बिना सीधा बने पंचकूला के डिप्टी कमिश्नर*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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HCS से IAS बने सतपाल शर्मा ने हरियाणा सरकार में कायम की नई परम्परा / एसडीएम औऱ एडीसी के अनुभव बिना सीधा बने पंचकूला के डिप्टी कमिश्नर*
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चंडीगढ़ ;- विगत दिवस हरियाणा सरकार द्वारा डेढ़ दर्जन आई.ए.एस. अधिकारियों के सम्बन्ध में किये गए ताज़ा तैनाती-तबादला आदेश में गत माह 4 अगस्त को हरियाणा सिविल सेवा ( एच.सी.एस.) एग्जीक्यूटिव ब्रांच – ई.बी. से आई.ए.एस. में प्रोमोट हुए 15 अधिकारियों में से एक सतपाल शर्मा, जिन्हें 21 अगस्त को आई.ए.एस. का 2017 बैच वर्ष (सेनिओरिटी/वरिष्ठता) अलोट किया गया, को पंचकूला जिले का उपायुक्त (डी.सी.) एवं साथ साथ माता मनसा देवी पूजास्थल बोर्ड का मुख्य प्रशासक तैनात किया गया है. शर्मा इससे पूर्व पंचकूला सहित हरियाणा शहरी विकास प्राधिकारण (एच.एस.वी.पी.) में बतौर प्रशासक (मुख्यालय) के पद पर तैनात थे.
बहरहाल, दिसम्बर, 2002 में जब से हरियाणा में तत्कालीन सत्तासीन ओ.पी. चौटाला सरकार दौरान ग्रुप सी कर्मचारी वर्ग के कोटे से सतपाल शर्मा को सीधे एच.सी.एस. अधिकारी नोमिनेट (मनोनीत) किया गया था (ज्ञात रहे कि तब इसके लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की कोई व्यवस्था नहीं थी), तब से गत माह अगस्त, 2025 तक अर्थात उनके आई.ए.एस. अधिकारी के तौर पर प्रमोशन तक, वह हरियाणा में वैसे तो प्रदेश सरकार के कई विभागों एवं बोर्ड/निगमों में उच्च प्रशासनिक पदों पर तैनात रहे हालंकि वह कभी किसी सब-डिवीज़न में बतौर एस.डी.एम. या किसी जिले में बतौर ए.डी.सी. तैनात नहीं रहे थे। इस विषय पर एडवोकेट हेमन्त का कहना है कि हालांकि सर्विस करियर दौरान एस.डी.एम. और ए.डी.सी. तैनात रहे बगैर डी.सी. पद पर पोस्टिंग में कुछ गलत नहीं है हालांकि सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था अनुसार हर एच.सी.एस. कैडर अधिकारी, बेशक वो हरियाणा लोक सेवा आयोग (एच.पी.एस.सी.) द्वारा आयोजित ओपन परीक्षा उत्तीर्ण में चयनित होकर एच.सी.एस. अधिकारी नियुक्त हुआ हो या तहसीलदार/डी.आर.ओ. कोटे या ग्रुप सी कर्मचारी वर्ग अथवा डी.डी.पी.ओ./बी.डी.पी.ओ. कोटे से नोमिनेट या प्रमोट आदि होकर एच.सी.एस. अधिकारी बना हो, वह अपने सेवा करियर दौरान कभी न कभी प्रदेश में किसी उपमंडल का एस.डी.एम. या किसी जिले में बतौर ए.डी.सी./ए.डी.एम. तैनात अवश्य रहता है. सतपाल शर्मा संभवत: प्रदेश सरकार की अफसरशाही में इकलौते ऐसे अधिकारी होंगे जो अपने एच.सी.एस. की दो दशक से ऊपर सर्विस दौरान उक्त दोनों पदों पर तैनात नहीं रहे।
यहाँ तक कि संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर आई.ए.एस. में चयनित होकर नियुक्त हुए अधिकारियों को भी अपने सेवा करियर के पहले चार वर्षो तक एस.डी.एम. और उसके बाद दो-तीन वर्षो तक जिले का ए.डी.सी. तैनात किया जाता है जिसके बाद अर्थात आई.ए.एस. में आने के कम से कम सात से आठ वर्षो के बाद ही उन्हें किसी जिले का डी.सी. तैनात किया जाता है। इसी बीच हेमंत ने यह भी बताया कि हालांकि नॉन-एच.सी.एस. (गैर राज्य सिविल सेवा) कोटे से सीधे आई.ए.एस. में चयनित होकर सीधे आई.ए.एस. बने अधिकारियों में ऐसे कई उदाहरण अवश्य हैं जब इस प्रकार से आई.ए.एस. बने अधिकारियों को प्रदेश में एस.डी.एम. या ए.डी.सी. तैनात किये बगैर नियुक्ति के एक-दो या कुछ वर्षो बाद जिला डी.सी. के तौर पर पोस्टिंग दे दी गई हो परन्तु आज तक एच.सी.एस.से आई.ए.एस. में प्रोमोट होने वाले सतपाल शर्मा ऐसे संभवत: इकलौते अधिकारी हैं जिन्हें अपने सर्विस करियर दौरान एस.डी.एम. या ए.डी.सी. रहे बगैर जिला उपायुक्त पद पर तैनाती का गौरव प्राप्त हुआ हो

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