राइट टू सर्विस कमीशन चंडीगढ के मुख्य आयुक्त डॉ. महावीर सिंह ने कहा कि SHO का कृत्य स्पष्ट रूप से कर्तव्य की अवहेलना / दस हजार रुपये का लगाया जुर्माना*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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राइट टू सर्विस कमीशन चंडीगढ के मुख्य आयुक्त डॉ. महावीर सिंह ने कहा कि SHO का कृत्य स्पष्ट रूप से कर्तव्य की अवहेलना / दस हजार रुपये का लगाया जुर्माना*
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चंडीगढ़ (गोयत) ;- चंडीगढ़ राइट टू सर्विस कमीशन ने एक ऐतिहासिक फैसले में सेक्टर 49 पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर इंस्पेक्टर ओम प्रकाश पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
यह कार्रवाई नवजोत लेहल की याचिका पर की गई, जिन्होंने पुलिस से DDR नंबर 057 (6 नवंबर 2024) की कॉपी मांगी थी, लेकिन समय पर सेवा प्रदान नहीं की गई। नवजोत लेहल ने 1 अप्रैल 2025 को SHO, सेक्टर 49 पुलिस स्टेशन से DDR की कॉपी मांगी थी, जो FIR नंबर 9/2018 (18 जनवरी 2018) से संबंधित है। इस FIR में उनके पिता गुरमुख सिंह लेहल शिकायतकर्ता थे, और अब नवजोत उनकी जगह शिकायतकर्ता हैं। राइट टू सर्विस एक्ट के तहत, यह दस्तावेज 1 घंटे के भीतर प्रदान किया जाना था, लेकिन SHO ने कोई कार्रवाई नहीं की।
याचिकाकर्ता ने पहले SDPO (साउथ) और फिर SSP, UT चंडीगढ़ के समक्ष अपील की, लेकिन दोनों अधिकारियों ने उनकी अपील खारिज कर दी। इसके बाद, उन्होंने कमीशन में पुनरीक्षण याचिका दायर की। कमीशन ने पाया कि SHO ने बिना किसी कानूनी आधार के सेवा देने से इनकार किया। SHO का दावा था कि DDR की कॉपी देने से जांच प्रभावित हो सकती है, लेकिन कमीशन ने इसे खारिज करते हुए कहा कि राइट टू सर्विस एक्ट के तहत यह सेवा अधिसूचित है और इसे देने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। कमीशन ने यह भी पाया कि SHO ने अपील प्राधिकारियों को गुमराह किया और याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत सबूतों का खंडन नहीं कर सके। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि एक अन्य मामले में पुलिस ने समान दस्तावेज़ आसानी से प्रदान किए थे, जिससे SHO के रुख में विरोधाभास स्पष्ट होता है।
कमीशन ने SHO ओम प्रकाश पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से 5,000 रुपये की राशि नवजोत लेहल को मुआवजे के रूप में दी जाएगी। इसके अलावा, कमीशन ने SSP, UT चंडीगढ़ को आदेश दिया कि वे पुलिस विभाग के सभी कार्यालयों में राइट टू सर्विस एक्ट के तहत अधिसूचित सेवाओं के बोर्ड को प्रमुखता से प्रदर्शित करें और विभागीय वेबसाइट पर भी इसकी जानकारी सार्वजनिक करें। यह निर्देश याचिकाकर्ता की शिकायत के बाद आया कि SDPO (साउथ) और SSP के कार्यालयों में ऐसे बोर्ड नदारद थे या फिर आसानी से दिखाई नहीं देते थे। कमीशन के मुख्य आयुक्त डॉ. महावीर सिंह (IAS, रिटायर्ड) ने कहा कि SHO का यह कृत्य स्पष्ट रूप से कर्तव्य की अवहेलना है और जनता को सेवाओं से वंचित करने का प्रयास है। उन्होंने डीजीपी, UT चंडीगढ़ को निर्देश दिया कि वे जुर्माना राशि की वसूली करें और याचिकाकर्ता को मुआवजा प्रदान करें। इसके साथ ही, सभी थानों में समय पर सेवाएं देने की दिशा में सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए गए हैं।”

