सभी जगह एक साथ पूजे जाएंगे लड्डूगोपाल।
वृन्दावन में लड्डूगोपाल बनाने का कार्य बहुत तेजी से हो रहा है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर वृंदावन में बने लड्डूगोपाल पूरी दुनिया में पूजे जाएंगे। देश से ही नहीं विदेशों से भी इसके लिए डिमांड लगातार आ रही है। रक्षाबंधन के पहले से ही आ रहे इन आर्डर के लिए पार्सल भेजे जा रहे हैं।
वृंदावन में श्रीराधा-कृष्ण और लड्डूगोपाल की मूर्तियां बनाई जाती हैं। रेतिया बाजार में मूर्तियों के कारीगर प्रभुदयाल सैनी ने बताया कि अलीगढ़ में मूर्तियों की ढलाई के बाद इनकी पॉलिश और फिनि¨शग का कार्य वृंदावन में किया जाता है। लड्डूगोपाल की मूर्तियों की मांग अमेरिका, लंदन, कनाडा, आस्ट्रेलिया, रसिया से थोक विक्रेताओं को मिल रही है।
मूर्तियों के थोक विक्रेता मनोज अग्रवाल कहते हैं कि 200 और तीन सौ ग्राम की मूर्तियों की अधिक बिक्री है। जबकि बड़ी मूर्तियों कम बिकती हैं। जिन शहरों में इस्कॉन व राधाकृष्ण के मंदिर हैं, वहां पर राधाकृष्ण की बड़ी मूर्तियों की डिमांड अधिक है। मगर, लड्डूगोपाल की मूर्तियां घरों में पूजा के लिए मंगवाई जा रही हैं।
राधाबल्लभ मंदिर मार्ग पर मुकुट श्रंगार विक्रेता पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि लड्डूगोपाल की मूर्तियों सौ रुपए से लेकर पांच हजार रुपए तक की बिक रही हैं। इनमें पीतल की मूर्तियों के अलावा काली धातु की मूर्तियों की भी बिक्री हो रही हैं। उन्होंने कहा कि गोपालजी की पीतल की मूर्ति को चमकाने और आकर्षक बनाने के लिए रेडियम भी लगाया जाता है। कुछ लोग पीतल की मूर्ति पर एल्युमिनियम की भी पॉलिश करके बाजार में मूर्तियां बेच रहे हैं। ये मूर्तियां जन्माष्टमी से लेकर राधाष्टमी तक अधिक मात्रा में बिकती हैं। मूर्तियों के साथ पोशाक, श्रगार की भी बिक्री जमकर होती है।