Tuesday, December 31, 2024
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*पार्टी व्हिप के बावजूद भाजपा के 20 से ज्‍यादा सांसद वोटिंग के वक्‍त लोकसभा से रहे गैरहाजिर*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*पार्टी व्हिप के बावजूद भाजपा के 20 से ज्‍यादा सांसद वोटिंग के वक्‍त लोकसभा से रहे गैरहाजिर*
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दिल्ली :- संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वहीं लोकसभा में इस विधेयक के प्रस्ताव को स्वीकार कराने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। लेकिन हैरानी की खबर यह है कि, इस दौरान सरकार के अपने कई बीजेपी सांसद ही सदन से गायब रहे। विधेयक के पक्ष-विपक्ष में जब वोट डाले जा रहे थे तो सदन में बीजेपी के कई सांसद मौजूद नहीं थे। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी अब गैरहाजिर रहने वाले सांसदों पर एक्शन लेगी।
*व्हिप के बावजूद गैरहाजिर रहे 20 से ज्यादा BJP सांसद*
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को महत्वपूर्ण विधायी कार्य चर्चा एवं पारित करने के चलते सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया था। जिसके चलते बीजेपी के सभी सांसदों को ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक पेश होने के दौरान लोकसभा सदन में मौजूद रहना था और इसे समर्थन करना था।
बताया जा रहा है कि, पार्टी व्हिप के बावजूद 20 से ज्‍यादा बीजेपी सांसद वोटिंग के वक्‍त लोकसभा से गैरहाजिर थे। यानि इन सांसदों ने लोकसभा में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के लिए वोट करने में शायद दिलचस्पी नहीं दिखाई। सांसदों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया।
लोकसभा में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक स्वीकार; वोटिंग में पक्ष में पड़े इतने वोट, JPC को भेजा जाएगा बिल, कांग्रेस का विरोध
*सांसदों की गैर-मौजूदगी पर पार्टी गंभीर, जवाब तलब*
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी सांसदों की गैर-मौजूदगी को लेकर काफी गंभीर है। पार्टी अब गैर हाजिर रहने वाले सांसदों को नोटिस भेज रही है। पार्टी गैरहाजिर रहे सांसदों से जवाब मांगेगी। इन सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी कर ये पूछा जाएगा कि आखिर क्‍यों वह लोकसभा में वोटिंग के दौरान गैरहाजिर थे। बीजेपी सांसदों पर कड़ा एक्शन भी ले सकती है।
*’वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक पर लोकसभा में हंगामा*
लोकसभा में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा जोरदार विरोध किया गया. जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्ष के सांसदों ने इस ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक को लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। वहीं हंगामे के बीच विधेयक के पक्ष में 269 वोट पड़े। जबकि विधेयक के विरोध में 198 वोट पड़े।
जहां पक्ष में ज्यादा वोट पड़ने से लोकसभा में विधेयक को स्वीकार कर लिया गया। बता दें कि, विधेयक को लेकर सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक डिवीजन हुआ। इस विधेयक के पक्ष में 220 सांसदों ने वोटिंग की तो 149 सांसदों ने इसका विरोध किया। हालांकि, बाद में फिर से वोट विभाजन की प्रक्रिया की गई। दोबारा से मत विभाजन में पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े।
*जेपीसी के पास भेजा जाएगा बिल*
विपक्ष ने विधेयक को जेपीसी में भेजने की मांग की। जहां केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के लिए संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने का प्रस्ताव रखा। केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 को भी जेपीसी भेजे जाने का प्रस्ताव रखा गया।
अर्जुन राम ने मेघवाल कहा कि, दोनों विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजे जाने चाहिए। सरकार की भी यह इच्छा है। मेघवाल ने कहा कि, हम संविधान सम्मत संसोधन विधेयक लेकर आए हैं। अनुच्छेद 327 संसद को ये अधिकार देता है कि वो विधान मंडलों के चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सके। जिसमें ये कहा गया है कि संसद समय-समय पर कानून द्वारा संसद के किसी भी सदन या विधान मंडलों के सदन के किसी भी मामले के संबंध में प्रावधान कर सकती है। अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि, संविधान संसोधन से न तो संसद और न तो विधानसभा, दोनों की शक्ति में कोई कमी नहीं आएगी। दोनों के बेसिक स्ट्रक्चर में कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। फिलहाल, विरोध के चलते दोनों विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजे जाएंगे। JPC में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक पर विस्तृत चर्चा और सामूहिक राय के बाद विधेयक की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। JPC में विधेयक पर विस्तार से चर्चा होगी और इसमें सभी दलों की राय ली जाएगी। विधेयक पर सामूहिक सहमति बनाने पर काम होगा। वहीं JPC अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपेगी। इसके बाद संसद में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ विधेयक फिर से पेश होगा। दोनों सदनों से विधेयक पास कराया जाएगा। विधेयक पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाएगी। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का कानून बन जाएगा।
*’वन नेशन-वन इलेक्शन’ का उद्देश्य क्या?*
दरअसल, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को कानून बनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि, देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें. जिससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार और खर्चों में कमी आने की बात कही गई है। इसके साथ ही यह कोशिश है कि, वन नेशन-वन इलेक्शन’ माध्यम से चुनावों को स्थिर और संगठित तरीके से कराने व देशभर में चुनावी गतिविधियों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके।
सरकार का कहना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता भी बनी रहेगी। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
*सितंबर में कैबिनेट ने समिति का प्रस्ताव मंजूर किया था*
इससे पहले इसी साल सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति (रामनाथ कोविंद कमेटी) की सिफारिशों को मंजूर किया था। यानि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाया गया है।
एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का चेयरमैन बनाया गया था। समिति ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का मसौदा तैयार किया और प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा। यह माना जा रहा था कि, केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में इस संबंध में बिल संसद में पेश कर सकती है।

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