Friday, October 4, 2024
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस नेतृत्व ने प्रचार को बनाया हथियार/ गुटबाजी को खत्म कर एकजुटता का संदेश देने में कामयाब रहे राहुल*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के अंतिम सप्ताह में कांग्रेस नेतृत्व ने प्रचार को बनाया हथियार/ गुटबाजी को खत्म कर एकजुटता का संदेश देने में कामयाब रहे राहुल*
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चंडीगड़ ;- प्रचार के अंतिम दिनों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हरियाणा में ही रहे। राहुल ने ताबड़तोड़ आठ रैलियां व रोड शो, प्रियंका गांधी ने चार रैलियां व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दो बड़ी रैलियां करके कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। वहीं, प्रदेश के नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने पूरा हरियाणा नापा। भूपेंद्र सिंह ने रोड शो के साथ 75 रैलियां और सांसद हुड्डा ने 80 विधानसभा हलकों में जनसभा और रैलियां की। किसान, जवान और पहलवानों के मुद्दों को भी कांग्रेस जमकर भुनाया। साथ ही ओपीएस, बढ़ते अपराध, महंगाई को लेकर कांग्रेस ने जमकर प्रचार किया। साथ ही पोर्टलों और संविधान बचाने के मुद्दे को भी हवा दी गई। इस बीच जातिवाद और दलितों के मुद्दे पर भाजपा ने कांग्रेस को बार-बार घेरा। कांग्रेस ने इसका तोड़ निकालते हुए संविधान बचाने व आरक्षण खत्म किए जाने के मुद्दे को एक बार फिर से हवा दी।
कांग्रेस हाईकमान के नेताओं ने कांग्रेस के गढ़ में मजबूत किलेबंदी करने की कोशिश की है। भाजपा ने बड़ी रैलियों के मुकाबले कांग्रेस का फोकस रोड शो पर रहा। खुद राहुल गांधी, प्रियंका और हुड्डा पिता-पुत्र ने रणनीति के तहत रथ पर इलाकों को नापा। राहुल गांधी के कार्यक्रमों की बात करें तो राहुल गांधी ने तीन दिन हरियाणा में प्रचार किया।
पहले दिन उन्होंने कांग्रेस के मजबूत गढ़ नारायणगढ़ ने अपनी विजयी संकल्प यात्रा शुरू की और थानेसर में रैली की। दूसरे दिन बहादुरगढ़ से लेकर गोहाना में रैली तक कार्यकर्ताओं में जोश भरा। इसके बाद प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस सबसे मजबूत गढ़ नूंह और महेंद्रगढ़ में राहुल गांधी पहुंचे। इसी प्रकार, प्रियंका गांधी ने हाईकमान के चहेते प्रत्याशी जुलाना में विनेश फोगाट और बवानीखेड़ा में प्रदीप नरवाल के समर्थन में रैलियां की। खरगे ने बाढ़ड़ा और हांसी में हुंकार भरी। बेल्ट के हिसाब से बात करें तो कांग्रेस हाईकमान ने जीटी बैल्ट, जाट लैंड के साथ भाजपा के गढ़ अहीरवाल में सेंध लगाने की कोशिश की। हरियाणा के चुनाव में पड़ोसी राज्यों के दिग्गज नेताओं ने भी प्रचार को धार दी। इनमें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुख्खू, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग व पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रताप सिंह बाजपा ने भी हरियाणा के मतदाताओं को साधने की कोशिश की। इनके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी पहुंचे।
*गुटबाजी के बीच एकजुटता का संदेश*
खेमों में बंटी कांग्रेस ने एकजुटता का संदेश भी दिया है। खुद राहुल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के हाथ मिलवाए। दोनों में सीएम पद की दावेदारी को लेकर टकराव चल रहा है। सैलजा इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थी, लेकिन हाईकमान ने उनको टिकट नहीं दिया। साथ ही सैलजा के 11 समर्थकों को ही टिकट मिल पाया। इससे वह नाराज दिखी और 12 दिन तक प्रचार से दूर रहीं।
*24 नेताओं को पार्टी से निकाला*
कांग्रेस से कुल 24 नेताओं ने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा। अनुशासनहीनता के चलते पार्टी ने इन सभी को छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया है। हालांकि, पूर्व सीपीएस रामकिशन फौजी और पूर्व विधायक रणधीर गोलन, राजीव मामू गोंदर को कांग्रेस मनाने में कामयाब रही है। हालांकि, पूर्व सीपीएस शारदा राठौर, चित्रा सरवारा, नरेश ढांडे, सज्जन ढुल, सतबीर भाणा, अनिता ढुल, वीरेंद्र घोघड़िया, दिलबाग संडील, डॉ. कपूर नरवाल, राजकुमार वाल्मीकि, रोहिता रेवड़ी, विजय जैन समेत अन्य नेता पार्टी की परेशानी बढ़ा रहे हैं।
*कुमारी शैलजा भी नही रही पीछे*
कुमारी सैलजा ने भी दर्जनभर जनसभाएं की हैं। हालांकि, वे केवल अपने समर्थकों के लिए ही प्रचार करती दिखीं। सिरसा लोकसभा के साथ साथ उन्होंने अंबाला में पड़ने वाली
तीन सांसद व एक पूर्व मंत्री अपने ही क्षेत्रों में उलझे रहे
कांग्रेस हाईकमान की ओर से स्टार प्रचारकों की सूची में 40 दिग्गज नेताओं को शामिल किया गया था। हालांकि, इनमें से कई नेता अपने हलकों से ही बाहर नहीं निकल पाए। ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट जुलाना से बाहर नहीं निकल पाई, वह केवल चरखीदादरी में ही जा पाईं। इसी प्रकार, चौधरी बीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह, रणदीप सुरजेवाला अपने बेटे आदित्य सुरजेवाला के कारण हलके से बाहर नहीं निकल पाए। सांसद जेपी भी अपने बेटे के लिए कलायत में प्रचार करते दिखे, हालांकि, उन्होंने हिसार संसदीय क्षेत्र में हुई रैलियों में जरूर भागीदारी की।

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