*हरियाणा में विधानसभा का बिगुल बजते ही JJP के MLA रामकरण काला, देवेंद्र बबली, अनूप धनकऔऱ ईश्वर सिंह ने क्यों छोड़ी पार्टी!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*हरियाणा में विधानसभा का बिगुल बजते ही JJP के MLA रामकरण काला, देवेंद्र बबली, अनूप धनकऔऱ ईश्वर सिंह ने क्यों छोड़ी पार्टी!*
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चंडीगड़ ;- हरियाणा में विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा होते ही जेजेपी में भूचाल आ गया. जेजेपी के तीन विधायकों ने पार्टी नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इन तीन विधायकों का अगला कदम क्या होगा, यह तो पता नहीं चल पाया है लेकिन संभावना है कि ये पाला बदलकर दूसरी पार्टी में जाएंगे. इस्तीफा देने वाले विधायकों में अनूप धनक, देवेंद्र सिंह बबली और रामकरण काला हैं।
अनूप धनक उकलाना से विधायक हैं जबकि रामकरण काला शाहबाद से चुनाव जीतकर आए थे. वहीं देवेंद्र सिंह बबली टोहना से विधायक हैं. बता दें कि यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब चुनाव की घोषणा होते हुए जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने अपील करते हुए कहा था, ”मेरा सभी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और मतदाताओं से निवेदन है कि आपसी मन-मुटाव को भूल कर यह समय एक नई शुरुआत का, नये मनोबल के साथ आगे बढ़ने का है.”
*पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह बबली*
देवेंद्र सिंह बबली टोहना से विधायक हैं. 2019 में उन्होंने बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को चुनाव में हराया था. बबली को इस चुनाव में 100752 वोट मिले थे और उन्होंने बीजेपी के बराला को भारी अंतर से हराया था. बराला को केवल 48450 वोट ही मिल पाए थे. जेजेपी और बीजेपी गठबंधन की सरकार में देवेंद्र सिंह बबली को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. उनके पास दो पोर्टफोलियो था. उन्हें पंचायती राज विभाग दिया गया था.
*पूर्व मंत्री अनूप धनक*
अनूप धनक उकलाना से विधायक हैं और 2019 चुनाव में उन्होंने बीजेपी की आशा खेदर को हराया था. धनक को 65369 वोट मिले थे जबकि आशा खेदर को केवल 41676 वोट प्राप्त हुए थे. वह उन चार विधायकों में शामिल थे जिन्होंने इंडियन नेशनल लोक दल में बिखराव के बाद जेजेपी ज्वाइन की थी. धनक भी मनोहर लाल खट्टर सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
*रामकरण काला*
रामकरण काला ने बीजेपी के कृष्ण कुमार बेदी को हराया था. काला को 69233 वोट मिले थे और उन्हें कृष्ण कुमार को 37127 वोटों के अंतर से मात दी थी. 2014 के चुनाव में कृष्ण कुमार यहां से विजयी हुई थी और उन्हें रामकरण काला से कुछ वोटों से हार मिली थी. काला भी पहले आईएनएलडी में थे। काला ने मई में भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी तो माना जा रहा था कि वह कांग्रेस में शामिल होंगे लेकिन तब यह सिर्फ अटकलें साबित हुईं. वहीं, आज के उनके इस्तीफे से इसपर फिर से चर्चा होने लगी है।