यमुना एक्सप्रेस वे पर 5 साल में हुए ढाई हजार हादसे
रिपोर्ट कुशल प्रताप सिंह
मांट (मथुरा)। यमुना एक्सप्रेसवे बुधवार को पांच वर्ष का हो गया। इस वर्ष 300 से अधिक हादसे हुए। दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण हाईस्पीड वाहनों का दौड़ना है। एक्सप्रेसवे पर चढ़ते ही वाहन फर्राटा भरने लगते हैं।
चालक अपनी और वाहन में बैठे अन्य लोगों की जिंदगी को दाव पर लगा कर 180 से 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहनों को दौड़ा रहे हैं। एक्सप्रेसवे के चालू होने से ही यातायात नियमों का खुला उल्लंघन हो रहा है।
जेपी समूह ने अभी तक वाहनों की गति नियंत्रित करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं। एक्सप्रेसवे पर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किमी लंबे एक्सप्रेसवे पर यातायात नियमों का पालन करने के लिए कहीं भी पुलिस नजर नहीं आती।
इस मार्ग पर प्रतिदिन 20 से 22 हजार वाहन गुजरते हैं। वाहनों की रफ्तार 100 किमी प्रति घंटा तय की गई है। गति नियंत्रण पर निगरानी रखने के लिए जेपी समूह ने ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 164 सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। इस समय सभी कैमरे खराब हालात में हैं। इस बार भी हादसों का ग्राफ बढ़ा है। सर्वाधिक हादसे ओवरस्पीड के कारण हुए हैं।
2598 हादसे, 383 की मौत
एक्सप्रेसवे की शुरुआत नौ अगस्त 2012 को हुई थी। तब से अब तक 2598 हादसे हो चुके हैं। इन हादसों में 383 लोगों की मौत हो चुकी है।
एक्सप्रेसवे की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में 46 किमी सर्विस रोड बनाना प्रस्तावित था। ज्यादातर सर्विस रोड बन चुके हैं। सड़क के समानांतर रोड नहीं बनाई जा सकती। ग्रीन बेल्ट के लिए वन विभाग काम कर रहा है। तीन से पांच साल में यह पूरा होगा। बाजना में इंटरचेंज को जल्द ही शुरू किया जाएगा।
-अनिल चौहान, नोडल अधिकारी, यमुना एक्सप्रेसवे